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पंचक क्या है ?
पंचक क्या है ?
पांच समूह, पांच नक्षत्रों के समूह को पंचक कहा गया है :--- धनिष्ठा नक्षत्र का उत्तरार्द्ध, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।
इन पांचों नक्षत्रों को ज्योतिष में पंचक!-->!-->!-->!-->!-->…
विद्वान और विद्यावान में अंतर
विद्वान और विद्यावान में अंतर
कई आलेखों में शिक्षित और एज्युकेटेड में बहुत फर्क बताया है । आज यह सटीक उदाहरण प्रस्तुत है।
विद्वान व विद्यावान में अंतर समझना हो तो *हनुमान जी व रावण के चरित्र!-->!-->!-->!-->!-->…
शबरी की भक्ति
शबरी की भक्ति !!
शबरी के पिता भीलों के राजा थे. शबरी जब विवाह योग्य हुई तो इनके पिता ने एक भील कुमार से इनका विवाह पक्का किया. विवाह के दिन निकट आये. सैकडों बकरे-भैंसे बलिदान के लिये इकट्ठे किये!-->!-->!-->…
रोग निवारण के कुछ पारंपरिक उपाय? मानो न मानो आपकी इच्छा तर्क वितर्क न करें।
रोग निवारण के कुछ पारंपरिक उपाय? मानो न मानो आपकी इच्छा तर्क वितर्क न करें।
जिस घर में जब कोई रोग आ जाता है तो उस रोगी के साथ साथ उस घर के सभी व्यक्ति भी मानसिक रूप से चिंता और आशांति का अनुभव!-->!-->!-->…
उर्मिला-त्याग की देवी
उर्मिला-त्याग की देवी
रामायण जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती हैं । भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी माँ सीता ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा!-->!-->!-->…
टॉपलेस हुई नेहा भसीन, बोल्डनेस की सारी हदें हुई पार
भारतीय सिंगर नेहा भसीन हमेशा ही किसी न किसी कारण खबरों का हिस्सा बनी रहती हैं। उन्होंने अपने गानों के दम पर इंडस्ट्री में खूब नाम और शोहरत हासिल की है. हालांकि नेहा पिछले कुछ वक्त से अपने गानों ही!-->…
लाल ड्रेस में तुर्की में मलाइका अरोड़ा पर छाई मस्ती
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जब बात कुछ गॉर्जियस लुक्स परोसने!-->!-->!-->!-->!-->…
ॐ त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर हैं
ॐ त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर हैंजो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं।उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं।इन तैंतीस देवताओं की सम्पूर्ण!-->…
भगवान शिवजी की तरफ ही मुंह करके क्यों बैठते हैं नंदी, जानें वजह।
भगवान शिवजी की तरफ ही मुंह करके क्यों बैठते हैं नंदी, जानें वजह।आप जब भी किसी शिव मंदिर में गए होंगे, तो मंदिर में प्रवेश करते ही आपको नंदी महाराज की मूर्ति अवश्य दिखेगी। नंदी की इस प्रतिमा का मुंह!-->…
मुरारबाजी 22 मई,1665 बलिदान दिवस ।
मुरारबाजी 22 मई,1665 बलिदान दिवस ।
यदि आप समय काल और परिस्थिति को देखें तो यह पायेंगे कि धर्म का सबसे अधिक नुकसान कुछ गद्दारों ने किया है अन्यथा विधर्मियों में इतना साहस कभी नहीं था कि वे इस को!-->!-->!-->…
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