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सामूहिक अनुदेशन (सामूहिक शिक्षा)

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सामूहिक अनुदेशन (सामूहिक शिक्षा)

  • शिक्षा एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है जो जीवन प्रयत्न चलती रहती है
  • शिक्षा का उद्देश्य बालक के व्यवहार में वांछित एवं संशोधित परिवर्तन लाना है ताकि वह समाज का कुशल कर्मठ एवं योग्य सदस्य बन सके
  • शिक्षाशास्त्री एडम्स के अनुसार शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है जिसमें एक ध्रुव शिक्षक है तथा दूसरा शिक्षार्थी
  • शिक्षक अपने व्यक्तित्व के प्रभाव से शिक्षार्थी के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है तथा अपने कृत्य के माध्यम से शिक्षार्थी के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन एवं सुधार करता है
  • शिक्षा तथा शिक्षार्थी के मध्य चलने वाली अंतः क्रिया शिक्षा कहलाती है इस प्रक्रिया में शिक्षक के प्रयास को शिक्षण तथा शिक्षार्थी के प्रयास को अधिगम कहते हैं
  • शिक्षक बालक को प्रेरित करता है उनका पथ प्रदर्शन करता है जिसके परिणाम स्वरूप शिक्षार्थी अपने आप को भावी जीवन के लिए तैयार करता है
  • जिस समय शिक्षक एक ही शिक्षार्थी पर पूरा ध्यान रखकर शिक्षण करता है तब यह वैयक्तिक शिक्षण कहलाता है
  • जिस समय शिक्षक एक साथ कई छात्रों को शिक्षित करता है तो वह सामूहिक शिक्षा कहलाती है इसे सामान्य भाषा में कक्षा शिक्षण कहा जाता है
  • शिक्षार्थी का विकास अपने और समाज दोनों के लिए होना आवश्यक है इस कारण सामूहिक शिक्षा का अत्यधिक महत्व है
  • सामूहिक शिक्षण के अंतर्गत समूह में रहने पर शिक्षार्थियों को इंद्रियों का प्रशिक्षण भी मिल जाता है क्योंकि शिक्षण में जितना अधिक इंद्रियों का प्रशिक्षण दिया जाएगा उतना ही अधिगम सरल और अच्छा होगा
  • सामूहिक निर्देशन के लिए कई प्रणालियों का प्रयोग लाया जाता है इनमें से कुछ प्रमुख है समस्या समाधान, पर्यवेक्षित अध्ययन, टोली शिक्षण आदि
  • सामूहिक शिक्षा के कारण अध्यापक कई छात्रों को एक साथ पढ़ाता है जिससे लागत कम आती है और आर्थिक लाभ होता है
  • समूह में पढ़ने से समय की बहुत अधिक बचत होती है किसी विषय को बार-बार नहीं पढ़ाना होता
  • बालक बालिकाओं को जो किसी समूह में मिलकर पढ़ते हैं तो उनमें सामूहिक भावना की जागृति होती है वह एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहेंगे और एक दूसरे की सहायता करेंगे
  • समूह शिक्षा में छात्रों में परस्पर प्रेम सहानुभूति और सहयोग तथा त्याग की भावना का विकास होता है
  • छात्र एक साथ बैठकर शिक्षण करते हैं तो उनमें स्पर्धा की भावना जागृत होती है छात्र एक दूसरे से अधिक अच्छा कार्य करने का प्रयास करते हैं
  • सामूहिक अनुदेशन के द्वारा छात्रों में व्यवहार कुशलता आती है छात्रों की झिझक कम हो जाती है और वह दूसरों के अनुकरण से सीखते रहते हैं
  • समूह में कार्य करने से छात्रों में प्रेरणा उत्पन्न होती है वह एक साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं

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