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Rajni

व्यक्तिगत भिन्नता

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व्यक्तिगत भिन्नता

  • व्यक्तिगत भेद या व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से रूपरंग शारीरिक गठन विशिष्ट योग्यताओं बुद्धि रुचि स्वभाव उपलब्धियों एवं व्यक्ति के अन्य गुणों आदि में भिन्नता से है
  • संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो किसी दूसरे व्यक्ति से पूर्ण समानता रखता हो
  • व्यक्तिगत भेद के अंतर्गत व्यक्ति की शारीरिक मानसिक संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताएं सम्मिलित हैं
  • शारीरिक भिन्नताओं में कोई लंबा होता है तो कोई नाटा होता है कोई मोटा होता है तो कोई पतला होता है कोई गोरा होता है तो कोई काला होता है
  • सभी व्यक्तियों की मानसिक शक्ति अलग अलग होती है बुद्धि परीक्षण के आधार पर कुछ बालक की बुद्धि तीव्र होती है तो कुछ मंद तथा कुछ सामान्य बुद्धि के होते हैं
  • संवेगात्मक दृष्टि से कुछ लोग अधिक प्रसन्न रहते हैं तो कुछ लोग चिड़चिड़े होते हैं कुछ लोग अधिक भावुक होते हैं तो कुछ लोग बड़े ही ईष्यालु निर्दयी और लोभी होते हैं जबकि कुछ लोग शांत सहयोगी दयालु और परोपकारी होते हैं
  • व्यक्तित्व संबंधी भिन्नता में कुछ लोगों का व्यक्तित्व उत्तम एवं प्रभावशाली होता है कुछ लोगों का व्यक्तित्व प्रभावहीन होता है कुछ अंतर्मुखी व्यक्तित्व के होते हैं तो कुछ लोग बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले होते हैं
  • भिन्न-भिन्न बालकों के चरित्र में भिन्नता पाई जाती है कोई बालक सच्चा ईमानदार तथा उच्च चरित्र का होता है तो कोई झूठा बेईमान तथा निम्न कोटि के चरित्र वाला होता है
  • प्रत्येक बालक की अपनी अपनी रुचि तथा अपने दृष्टिकोण होते हैं कुछ लोगों की रूचि खेलने में होती है कुछ कि पढ़ने में तथा कुछ कि अच्छे वस्त्र पहनाने में तो कुछ की उपन्यास आदि पढ़ने में होती है
  • बालकों की सीखने की शक्तियों में भी बहुत अधिक भिन्नता पाई जाती है कुछ बालक शीघ्र ही सीख लेते हैं तो कुछ ऐसे होते हैं जिनको बार-बार बताने पर भी वह नहीं सीख पाते
  • प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई विशेष योग्यता और अभिक्षमताएं पाई जाती है कोई बालक किसी विषय में योग्य एवं कुशल होता है तो कोई बालक कोई दूसरी विशेष योग्यता रखता है
  • वर्तमान समय में बाल केंद्रित शिक्षा को बहुत अधिक महत्व दिया जाने लगा है अतः बालकों को उनकी व्यक्तिगत भिन्नताओं रुथियो योग्यताओं क्षमताओं आदि के अनुसार शिक्षा दी जाती है
  • बालकों को उनकी मानसिक योग्यता के अनुसार निर्देशन देने के लिए उनको विभिन्न सजातीय समूह में बाँट देना चाहिए
  • बालकों की व्यक्तिगत भिन्नता के आधार पर ही पाठ्यक्रम का निर्धारण करना चाहिए यह पाठ्यक्रम बालको की रुचियों योग्यताओं क्षमताओं आयु बुद्धि के अनुकूल होना चाहिए
  • व्यक्ति भिन्नता के आधार पर शिक्षा तभी दी जा सकती है जबकि कक्षा का आकार भी निश्चित रखा जाए यदि कक्षा में छात्रों की संख्या असीमित होगी तो व्यक्ति भिन्नता के अनुसार शिक्षा कठिन हो जाएगा

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