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धरती माता ना हो तो कोई जन्म नहीं ले सकता: इंद्रेश कुमार

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धरती माता ना हो तो कोई जन्म नहीं ले सकता: इंद्रेश कुमार

राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर और राष्ट्र मंदिर से विश्व बंधुत्व का निर्माण

जहां नारी का सम्मान नहीं वहां पर राक्षस दुराचारी बसते

धरती माता नहीं हो तो सब कुछ ठन ठन गोपाल हैं

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम।
 श्री राधा कृष्ण मंदिर, सेक्टर 23 कार्टरपुरी, में श्री राम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान का विशेष कार्यक्रम  हुआ। इस कार्यक्रम के संरक्षक पूजनीय रवि पुरी महाराज बाबा प्रकाश पुरी आश्रम गुरुग्राम, मुख्यअतिथि के रुप में माननीय इंद्रेश कुमार जी अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विशिष्ट अतिथि के रुप में माननीय विजय जी प्रांत प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा एवं माननीय अशोक चैरसिया जी राष्ट्रीय अध्यक्ष नेपाली संस्कृति परिषद तथा इस कार्यक्रम में सानिध्य प्राप्त हुआ लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर जे.बी.एस यादव जी का। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमान धर्मपाल यादव जी समाजसेवी व अन्य बड़ी संख्या में लोगों का आगमन हुआ । मुख्य वक्ताओं की बातों को बड़े ही धैर्य से सुना तथा इस विशेष निधि संग्रह कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर अपना योगदान भी दिया।

सबके राम हैं और सब में हैं राम,  से आरभ करते हुए इंद्रेश कुमार ने अपने वक्तव्य में रामजी की महिमा राम हमारे जीवन में कितने महत्वपूर्ण है , राम के समर्पण और त्याग से प्रेरणा लेते हुए सभी जीवो से लगाव को भी अपने जीवन में लाना होगा। उन्होंने कहा की जो मां का नहीं और मातृभूमि का नहीं, वह दुनिया में किसी का भी नहीं। मां जन्म देती है और मातृभूमि उसका पालन पोषण करती है। अगर धरती माता ना हो तो हम में से कोई जन्म नहीं ले सकता। धरती मां का सम्मान नहीं तो किसी के पास ना कोई अन्न है, ना जल है। भारत माता आधार देती है। अपना अन्न भी देती है। वायु भी देती है। और जल भी देती है। धरती माता नहीं हो तो सब कुछ ठन ठन गोपाल हैं।

जब बेटी पैदा होती है तो घरवाले कहते हैं लक्ष्मी आई है । जब बेटी ब्याह कर दूसरे घर जाती है तो कहते हैं भाग्यलक्ष्मी आई है । यह हमारी सनातन धर्म की परंपरा थी । कहां से यह कुचलन और अधर्म पैदा हो गया कि बेटियां बोझ हो गई। हम उस भारतीय परंपरा के हैं जहां पर जब नारी का हरण हुआ तो हरण करने वाले का सर्वनाश कर कर वापस अपनी मर्यादा को हम लेकर आए। जब स्त्री का चीर हरण हुआ तो महाभारत हुआ था। भारतवासियों को भारतवर्ष की परंपरा को भूलना नहीं है। जहां नारी का सम्मान नहीं वहां पर राक्षस दुराचारी बसते हैं। राम के साथ जीवन जीने के लिए कुछ संकल्प कराएं और कहा अगर आप राम के नारों को अपने जीवन में उतारना चाहते हैं तो इन संकल्पों का दृढ़ता से पालन करना होगा । यह संकल्प राम से जोड़ने वाला है और हर एक व्यक्ति समाज को इस राम मंदिर से जुड़ना है।  जिस प्रकार श्रीराम ने रास्ते में सबका सहयोग लेकर उनमें  नल-नील जामवंत, हनुमान, अंगद, सुग्रीव, निषाद, राज, जटायु आदि और रावण का अंत किया था। उसी प्रकार हम सभी मिलकर मंदिर से राष्ट्र निर्माण करेंगे। इस कार्यक्रम में मंच संचालन श्रीमान अशोक दिवाकर ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप समाजसेवी यादव , हरीश शर्मा , जगदीश ग्रोवर , महावीर भरद्वाज , अजीत सिंह ,  ब्रह्मप्रकाश कौशिक , महेश सारवान, अतरचंद्र , अमित शर्मा  संजीव , अमन , एवं अनुराग कुलश्रेष्ठ  उपस्थित रहे।

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