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मेटल पैकेजिंग इंडस्ट्री एक बड़े संकट में फंसी क्योंकि वैश्विक टिनप्लेट/टिन फ्री स्टील आपूर्तिकर्ताओं ने बीआईएस मानकों के चलते भारत में सप्लाई से हाथ खींचे 

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मेटल पैकेजिंग इंडस्ट्री एक बड़े संकट में फंसी क्योंकि वैश्विक टिनप्लेट/टिन फ्री स्टील आपूर्तिकर्ताओं ने बीआईएस मानकों के चलते भारत में सप्लाई से हाथ खींचे
प्रधान संपादक योगेश

नई दिल्ली: भारत की 10,000 करोड़ रूपए की मेटल पैकेजिंग इंडस्ट्री इस समय एक बड़े संकट का सामना कर रही है क्योंकि उनके पास कच्चे माल को सुरक्षित रखने के लिए शायद ही कोई विकल्प बचा है क्योंकि अधिकांश वैश्विक कंपनियों और टिनप्लेट/टिन फ्री स्टील आपूर्तिकर्ताओं ने बीआईएस मानकों के लागू होने के चलते भारत में सप्लाई को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
मेटल कंटेनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया एक प्राथमिक संगठन है जो धातु के कंटेनर, पैकेजिंग और संबंधित कम्पोनेंट्स के उत्पादन में शामिल कंपनियों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है, जिनमें धातु के डिब्बे, कंटेनर और कम्पोनेंट्स आदि के व्यवसाय में लगे एमएसएमई शामिल हैं। एसोसिएशन का कहना है कि आने वाले समय में देश में हमारी सदस्य कंपनियों के पास कच्चे माल की काफी अधिक कमी हो सकती है क्योंकि वैश्विक कंपनियों ने टिनप्लेट/टिन फ्री स्टील प्रदान करने के उनके ऑर्डर्स को लेने से इनकार कर दिया है जबकि घरेलू बाजार मांग को पूरा करने के लिए इस समय पूरी तरह से तैयार नहीं है।
भारत की ये एक प्रमुख इंडस्ट्री जो विभिन्न देशों से टिनप्लेट/टिन फ्री स्टील के आयात पर काफी हद तक निर्भर है। इस समय देश में कच्चे माल की कमी पहले से ही चल रही है क्योंकि हाल ही में इन उत्पादों की कीमतों में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। मेटल कंटेनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एमसीएमए)-ने 17 जुलाई, 2020 को जारी इस्पात और इस्पात उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को अभी इस समय लागू ना करने और कुछ समय के लिए स्थगित करने की मांग की है। एसोसिएशन ने इस्पात मंत्रालय से अनुरोध किया है कि जब तक स्थानीय स्तर पर टिनप्लेट/टिन फ्री स्टील की पर्याप्त मात्रा तक उत्पादन शुरू नहीं हो जाता है तब तक क्यूसीओ के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया जाए। स्थानीय स्तर पर मांग को पूरा करने के लिए इन उत्पादों का उत्पादन 700000 टन प्रतिवर्ष तक किया जाना जरूरी है। 
इसके अलावा ये भी ध्यान में रखने वाला तथ्य है कि कोरोना महामारी के चलते देश की मेटल कंटेनर इंडस्ट्री पहले से की काफी अधिक दबाव का सामना कर रही है। देश भर में लागू की गए लॉकडाउन और भारत सहित कई देशों में बड़े पैमाने पर वायरस का खतरा अभी भी मंडरा रहा है, ऐसे में उनको और अधिक दबाव में ना लाया जाए।
एसोसिएशन ने इस्पात मंत्रालय से बीआईएस प्रमाणित सामग्री के अलावा आईएसओ प्रमाणन सामग्री के उपयोग की अनुमति देने का भी अनुरोध किया है। मेटल कंटेनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने आईएसओ से एलाइंड  सामग्रियों के उपयोग की अनुमति देने के लिए मंत्रालय से विनम्र अनुरोध किया है। इसे एफएसएसएआई के आदेश में भी शामिल किया गया है और इस की सिफारिश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) मंत्रालय द्वारा भी की गई है।
भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय ने 17 जुलाई 2020 को स्टील एंड स्टील प्रोडक्ट्स क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (क्यूसीओ) नामक एक आदेश जारी किया। यह आदेश उद्योग द्वारा टिनप्लेट और टिन-मुक्त स्टील जैसे प्रमुख इनपुट पर बीआईएस प्रमाणन को अनिवार्य करता है। यह स्टील के उत्पादों पर प्रतिबंध लगाता है जैसे कि ईजी-ओपन एंड्स, पील ऑफ एंड्स आदि, जिनको इंडस्ट्री कई दूसरे देशों से आयात करती है।
मेटल कंटेनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन का मानना है कि क्यूसीओ को ऐसे समय में अधिसूचित किया गया है जब उद्योग पहले से ही दबाव में है और महामारी के दौरान व्यापार को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। उद्योग को लगता है कि बीआईएस सर्टीफिकेशंस के लिए अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं को बाध्य करना मुश्किल है क्योंकि बीआईएस पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी करना इन समय के दौरान पूरा करना काफी मुश्किल है।
मेटल कंटेनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन का कहना है कि पैकेजिंग फूड और अन्य वस्तुओं के लिए उपयोग किए जाने वाले कंटेनर्स आदि को तैयार करने के लिए कच्चे माल की कमी है। इसके परिणामस्वरूप पैकेजिंग वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है।
टिन के कंटेनर और क्लोजर का उपयोग ज्यादातर खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं की पैकिंग के लिए किया जाता है। टिन-फ्री स्टील का उपयोग सॉफ्ट ड्रिंक्स, बीयर, जूस और फ्लेवर्ड मिल्क  आदि के लिए बोतलों को सील करने के लिए उपयोग किए जाने वाले क्लोजर्स, क्राउन और कम्पोनेट्स के निर्माण के लिए किया जाता है। 17 जुलाई, 2020 को इस्पात और इस्पात उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण आदेश, जो बीआईएस प्रमाणित कच्चे माल के उपयोग को निर्देशित करता है, का भारत में मेटल कंटेनर पैकेजिंग उद्योग पर प्रभाव पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप कच्चे माल की कमी हो गई है क्योंकि आयातित इनपुट में बीआईएस प्रमाणीकरण नहीं है। 
मेटल कंटेनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधित्व के बाद, भारत सरकार ने मुश्किलों को समझते हुए इसे 17 अप्रैल 2021 तक स्थगित कर दिया था, लेकिन मेटल कंटेनर्स निर्माता कंपनियों और पूरी इंडस्ट्री ने क्यूसीओ के कार्यान्वयन के लिए कम से कम 31 मार्च, 2022 तक के लिए कुछ और समय मांगा है।
सरकार ने गुणवत्ता नियंत्रण के तहत कई इस्पात उत्पादों को लाने का आदेश जारी किया। अधिसूचित इस्पात की वस्तुओं का उत्पादन, बिक्री / कारोबार, आयात और स्टॉक नहीं किया जा सकता है जब तक कि उनके पास बीआईएस मार्क न हो। मेटल कंटेनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन  सदस्यों का मानना है कि कोविड-19 महामारी के कारण, विदेशी टिनप्लेट बनाने वाली कंपनियां इस समय संबंधित बीआईएस लाइसेंस प्राप्त करने की स्थिति में नहीं है जो उद्योग को काफी बड़े स्तर पर प्रभावित करेगी। भारत टिन प्लेटों के अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए एक बहुत बड़ा बाजार नहीं है और वे नौकरशाही और महंगे बीआईएस प्रमाणीकरण में जाने में कोई खास रुचि नहीं लेंगे। चूंकि इन आपूर्तिकर्ताओं ने भारत में टिन प्लेटों की शिपिंग पहले ही रोक दी है, इसलिए बाजार में इन सभी उत्पादों की भारी कमी हो गई है। 
एमसीएमए का कहना है कि उद्योग को बचाने और भारत के घरेलू बाजार में कच्चे माल की मौजूदा कमी से निपटने के लिए आईएसओ प्रमाणीकरण को केवल बीआईएस-जैसे एफएसएसएआई की जगह पर मान्य माना जाना चाहिए।
इसी प्रकार के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश पहले भी वर्ष 2008, 2015 और 2017 में जारी किए गए थे, लेकिन मांग की आपूर्ति के अंतर को ध्यान में रखते हुए, कार्यान्वयन और एमएसएमई क्षेत्र में विशेष रूप से धातु पैकेजिंग में आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने टिनप्लेट/ टिन फ्री स्टील पर मसौदा गुणवत्ता नियंत्रण आदेश वापस ले लिया था। तब से लेकर आपूर्ति को लेकर हालात में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।
देष में अभी भी प्रतिवर्ष 250000 टन की मांग आपूर्ति अंतर है और उद्योग मुख्य रूप से एमएसएई इस कमी के कारण मुश्किलों का सामना कर रहा है। इसलिए, मेटल कंटेनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने एक बार फिर से मंत्रालय को सुझाव दिया है कि क्यूसीओ आदेश तारीखः 17 जुलाई, 2020 को टिनप्लेट/टिन फ्री स्टील पर और उत्पादों को पूरी तरह से वापस ले लिया जाना चाहिए। 
इसके साथ ही यह व्यापक तौर पर माना जाता है कि इसके कार्यान्वयन से धातु पैकेजिंग क्षेत्र में लगे व्यापार और उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और इससे खाद्य और फार्मा जैसे आवश्यक क्षेत्रों को रोजगार और धातु पैकेजिंग की अनुपलब्धता का नुकसान होगा। इसके व्यापक प्रभावों को देखते हुए इसको अभी लागू नहीं किया जाना चाहिए। 

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