बर्बरीक (योद्धा)
बर्बरीक (योद्धा)
- बर्बरीक को महाभारत की गाथा में महान योद्धा बताया गया है
- बर्बरीक का अर्थ है घुंघराले बालों वाला
- कृष्ण ने इनका नाम सुह्रदय रखा था
- बर्बरीक नाम से स्पष्ट है कि वह अफ्रीकी मूल का रहा होगा
- छल से उसका सिर कटवा दिया गया था
- बर्बरीक को उनकी माँ ने यही सिखाया था कि हमेशा हारने वाले की तरफ से लड़ना और वे इसी सिद्धांत पर लड़ते भी रहे
- बर्बरीक को कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से पलक झपते ही महाभारत के युद्ध में भाग लेनेवाले समस्त वीरों को मार सकते थे
- जब वे युद्ध में सहायता देने आये, तब इनकी शक्ति का परिचय प्राप्त कर श्रीकृष्ण ने अपनी कूटनीति से इन्हें रणचंडी को बलि चढ़ा दिया
- महाभारत युद्ध की समाप्ति तक युद्ध देखने की इनकी कामना श्रीकृष्ण के वरदान से पूर्ण हुई और इनका कटा सिर अंत तक युद्ध देखता और वीरगर्जन करता रहा
- कुछ कहानियों के अनुसार बर्बरीक एक यक्ष थे, जिनका पुनर्जन्म एक इंसान के रूप में हुआ था
- बर्बरीक गदाधारी भीमसेन का पोता और घटोत्कच के पुत्र थे
- राजस्थान में सीकर के निकट हर्ष पर्वत पर उसका कटा सिर रखवा दिया गया कहा जाता है कि यहां से ही उसने महाभारत का युद्ध देखा
- आदिवासी भोले इमानदार और सत्यवादी होते हैं युद्ध के बाद पांडव अपनी अपनी वीरता के डींगे हांकने लगे अंतिम निर्णय के लिए वे सत्यवादी बर्बरीक के पास गए जिसने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया
- हर्ष पर्वत और रींगस के बीच खाटू गांव है जहां बर्बरीक की सिर की मूर्ति रखी है
- शीश काट देने के बाद भी आदिवासी बर्बरीक की नहीं, कृष्ण की पूजा करते हैं और उसे श्याम बाबा कहते हैं यह मंदिर खाटू श्याम कहलाता है
- नाग आदिवासी कभी कश्मीर में रहते थे आज नागालैंड में बसे हैं महाभारत के अनुसार बर्बरीक नाग कन्या अहिलवती का पुत्र था
- एक बार दुर्योधन ने पांडवों को जलक्रीड़ा के लिए बुलाया उसने भीम के भोजन में विष मिला दिया जब भीम अचेत हो गए तो उसे लताओं से बांध कर नदी में फेंक दिया
- भीम बह कर नागलोक पहुंचे गए नागराज वासुकी ने भीम को अपने महल में रखकर उनकी चिकित्सा करवाई और अपनी पुत्री अहिलवती से विवाह करवाया
- स्वास्थ्य होने पर भीम वापस हस्तिनापुर चले आए बाद में अहिलवती को पुत्र हुआ जिसका नाम नारद ने बर्बरीक रखा
- अहिलवती ने बर्बरीक को युद्ध की शिक्षा दी अग्नि ने उसे धनुष और शिव ने उसे 3 बाण दिए
- स्कंद पुराण की एक कथा में बर्बरीक भीमसेन का पुत्र है पर दूसरी कथा में भीम के पुत्र घटोत्कच का पुत्र है पहली कथा भीम का पुत्र और दूसरी में पौत्र है
- बर्बरीक को सुहृदय सिद्धेश्चर्य सिद्धसेन चांडिल तीन बाण धारी और शीश का दानी भी कहते हैं
- वेदव्यास में स्कंद पुराण के कोमारिक खंड में बर्बरीक का उपारकान लिखा है
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