क्या होता है एडेनोवायरस, जानें कैसे बचें संक्रमित होने से
क्या होता है एडेनोवायरस, जानें कैसे बचें संक्रमित होने से
अभी पूरा विश्व कोरोना के डर से मुक्त भी नहीं हुआ है कि एडेनोवायरस का बढ़ता प्रकोप लोगों में फिर दहशत पैदा कर रहा है। भारत में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल में एडेनोवायरस से मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। एडेनो वायरस इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। शोधकर्ताओं ने लगभग 50 प्रकार के एडेनोवायरस की खोज की हैं, जो केवल इंसानों को सामान्य से लेकर गंभीर स्थिति तक संक्रमित कर सकते हैं। यह वायरस अधिकतर सांस लेने (श्वसन) की प्रणाली को प्रभावित करता है। वैसे तो एडेनोवायरस संक्रमण पूरे साल होता है, लेकिन सर्दियों व सर्दियों की समाप्ति के बाद वसंत ऋतु की शुरुआत में यह अधिक प्रभावी होता है।
किसे प्रभावित करता है?
यह वायरस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। बच्चों में (खासकर 5 साल से छोटे) यह वायरस अधिक खतरा उत्पन्न करता है। दरअसल, बच्चों में स्वच्छता व जानकारी का अभाव होता है और वे इसके प्रति सजग नहीं होते। यह कोरोना वायरस की तरह ही भीड़ वाली जगहों पर जल्दी फैलता है। इसके अतिरिक्त जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी सिस्टम) कमजोर होती है उन्हें भी एडेनो वायरस का खतरा अधिक होता है। सावधानी न बरतने पर बच्चों में यह वायरस गंभीर हेपेटाइटिस के रूप में भी परिवर्तित हो सकता है।
विश्व स्तर पर एडेनो वायरस
डब्ल्यूएचओ के अनुसार यूरोप में पोलीमरेज चेन रिएक्शन टेस्ट (पीसीआर) से एडेनो वायरस का पता चला और फिर वहां के 52 प्रतिशत बच्चे हेपेटाइटिस की चपेट में आ चुके थे। वहीं जापान में 9 प्रतिशत बच्चे इससे संक्रमित हुए हैं। यूरोप की स्थिति को देखते हुए अधिकांश देश एडेनो वायरस के प्रति सचेत हो गये हैं। जिससे अन्य देशों में स्थिति अभी सामान्य है। कुछ दिनों से भारत (पश्चिम बंगाल) में इसकी दस्तक देखी गई है, जिसमें बच्चें ज्यादा संक्रमित हुए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन) (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार बच्चों में रहस्यमय हेपेटाइटिस की पहचान 5 अप्रैल 2022 को हुई थी। वहीं 8 जुलाई 2022 तक 5 महाद्वीप के 35 देशों में इसकी संख्या 1010 हो गई, वहीं 22 बच्चों की मौत भी हुई। आधे के करीब मामले यूरोप से आए है, जहां 21 देशों में 484 बच्चों में हेपेटाइटिस के मामले मिले। वहीं यूके (यूनाइटेड किंगडम) में कुल मामलों का 27 प्रतिशत यानि 272 बच्चों में यह संक्रमण पाया गया।
एडेनो वायरस संक्रमण के लक्षण
एडेनो वायरस संक्रमण के मुख्य लक्षणों में खांसी, बुखार, फ्लू जैसी स्थिति, नाक चलना (बहना), गले में खराश, आंखें गुलाबी होना, कान में संक्रमण, सीने में ठंड, दस्त, उल्टी व पेट दर्द, निमोनिया आदि शामिल हैं।
वहीं बच्चों में हेपेटाइटिस में उल्टी सबसे ज्यादा (लगभग 60 प्रतिशत मामलों में) होती है। अन्य पीलिया, सामान्य कमजोरी, पेट दर्द जैसी शिकायतें आती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अुनसार लैब परीक्षण में पता चला कि संक्रमित रोगी में हेपेटाइटिस ए से ई मौजूद नहीं था यानि जो हेपेटाइटिस के मुख्य कारक होते हैं, उनमें से कोई भी नहीं था। जांच में पाया गया कि ऐसे हेपेटाइटिस के गंभीर मामलों में एडेनो वायरस की भूमिका हो सकती है।
बचाव व उपचार
एडेनोवायरस आमतौर पर एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह रोगी द्वारा खांसने या छींकने से हवा द्वारा अथवा बच्चे का डायपर बदलते समय दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता है। एडेनोवायरस से संक्रमण अधिकतर दो सप्ताह तक रहता है तथा गंभीर संक्रमण अधिक समय तक भी रह सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार एडेनो वायरस के इलाज के लिए अभी तक कोई अनुमोदित दवा या कोई विशिष्ट उपचार नहीं हैं। केवल दर्द निवारक, एंटीबायोटिक दवा या अन्य दवा द्वारा ही इसकी रोकथाम की जाती हैं। चूंकि अधिकतर मामले हल्के होते है, इसलिए इससे केवल सावधानी से ही बचा जा सकता है। जैसे स्वच्छता का सबसे ज्यादा ध्यान रखें। बीमार व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचें, हाथों को धोए बिना आख, नाक या मुंह को न छुएं आदि।
एडेनो वायरस की खोज
वर्ष 1953 में रोवे और उनके सहयोगियों द्वारा एडेनो वायरस की खोज की गई थी। इसको पहले एडेनोविरिडे कहा गया, क्योंकि इनको पहले एडेनोइड सेल कल्चर से अलग किया गया था। अभी तक लगभग 50 प्रकार के एडेनो वायरस की पहचान हो चुकी है।
ट्रेंटिन और उनके सहयोगियों ने 1962 में पाया कि एडेनो वायरस से टयूमर पैदा हो सकता है। जिसके बाद एडेनो वायरस को मानव कैंसर उत्पन्न करने के रूप देखा गया, लेकिन मनुष्यों में एडेनो वायरस से कैंसर होना अभी तक साबित नहीं हुआ है।
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