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Rajni

𝐃𝐢𝐟𝐟𝐞𝐫𝐞𝐧𝐜𝐞 𝐛𝐞𝐭𝐰𝐞𝐞𝐧 𝐅𝐃𝐈, 𝐅𝐏𝐈 𝐚𝐧𝐝 𝐅𝐈𝐈:

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𝐃𝐢𝐟𝐟𝐞𝐫𝐞𝐧𝐜𝐞 𝐛𝐞𝐭𝐰𝐞𝐞𝐧 𝐅𝐃𝐈, 𝐅𝐏𝐈 𝐚𝐧𝐝 𝐅𝐈𝐈:

हम सब ये तीन शब्द अक्सर सुनते रहते है हममे से कई लगभग इन्हें एक सा ही मानते है। पर इनके अर्थ में अंतर है। वो अंतर क्या है आइए देखते है।

𝐅𝐨𝐫𝐞𝐢𝐠𝐧 𝐃𝐢𝐫𝐞𝐜𝐭 𝐈𝐧𝐯𝐞𝐬𝐭𝐦𝐞𝐧𝐭 (𝐅𝐃𝐈) – यह किसी भी देश मे बाहर के निवासीयों या कंपनियों द्वारा किया गया सीधा निवेश है। इसके तहत बाहर की कंपनियां हमारे देश के एसेट्स डायरेक्ट खरीदती है। समान्यतः FDI निवेश लंबी अवधि का होता है और जिस देश मे इसका निवेश होता है उसे फायदा होता है। इस निवेश को इनवेस्टर मैनेज भी खुद ही करता है। खरीदे जाने वाले एसेट्स भी सामान्यतः दीर्घकालिक होते है।

𝐅𝐨𝐫𝐞𝐢𝐠𝐧 𝐏𝐨𝐫𝐭𝐟𝐨𝐥𝐢𝐨 𝐈𝐧𝐯𝐞𝐬𝐭𝐨𝐫𝐬 (𝐅𝐏𝐈𝐬)-इसके तहत वैसे निवेशक आते है जो किसी बाहर के देश के शेयर, बांड्स आदि में निवेश करते है। पर ये निवेश वो खुद नही करते, जैसा कि FDI में होता है, बल्कि किसी और के माध्यम से करते है। निवेश शार्ट टर्म के लिए होता है। इसके मार्फत आने वाला निवेश काफी अस्थिर (Volatile) होता है। आप जो कभी कभी सुनते है कि स्टॉक मार्केट से फोरेनर्स पैसा निकाल रहे है वो इसी FPI निवेश का पैसा होता है।

𝐅𝐨𝐫𝐞𝐢𝐠𝐧 𝐈𝐧𝐬𝐭𝐢𝐭𝐮𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐈𝐧𝐯𝐞𝐬𝐭𝐨𝐫𝐬 (𝐅𝐈𝐈𝐬)- ये संगठीत रूप से स्थापित इकाइयां (Entities) होती है जिनके माध्यम से ऊपर बताए FPIs निवेश करते है।

भारत जैसे विकाशील देश मे विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता है जिसे घरेलू निवेशक पूरा नही कर सकते। इसके लिए हमे चाहिए बाहर की पूँजी और वो भी FDI के रूप में जो देश मे दीर्घकालिक अवधि के लिए रहे और देश के विकाश में भागीदार बन सके।

पिछले कुछ वर्षों से जारी भारत मे रेकॉर्ड FDI निवेश एक अच्छा संकेत है। पिछले वर्ष 2021 में भारत मे 81.72 बिलियन डॉलर का FDI निवेश हुआ जो कि अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर था। 2020 के दौरान यह 74.39 बिलियन डॉलर था।

एक और अच्छी बात यह है कि वर्षो से मॉरिसस भारत मे सबसे बड़ा FDI इन्वेस्टमेंट का स्रोत था जिसे सिंगापुर और अमेरिका ने अब तीसरे नंबर पे धकेल दिया है। मॉरिसस से हुए इनवेस्टमेंट पारदर्शी नही माने जाते थे इसलिए उसका तीसरे नंबर पे जाना एक अच्छा ट्रेंड है।

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