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Rajni

इंद्रियों के प्रकार

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इंद्रियों के प्रकार
☝🏻 संस्कृत भाषा में इंद्रियों को करण कहा जाता है।
〰️👉🏻 दूसरे शब्दों में इंद्रिया शरीर का ऐसा अवयव हैं जिनके द्वारा हम वाह्य एवम आंतरिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
〰️👉🏻 इंद्रियों के द्वारा हम जो भी कर्म करते हैं उन्हीं के अनुसार हमें ज्ञान प्राप्त होता है।

☝🏻 हमारे शरीर में, ज्ञानेंद्रिय एवम कर्म इंद्रियां प्रमुख रूप से पाई जाती हैं तथा संयुक्त रुप से इनमें पांच पांच इंद्रियां वर्गीकृत है।
〰️👉🏻 कर्म इंद्रियों से ✷रूप, ✷रस, ✷गंध, ✷स्पर्श, एवम ✷शब्द आदि का ज्ञान करते हैं•••
तथा
〰️👉🏻 ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से अभ्यंतर विषयों का जैसे— ✷सुख-दुख आदि का अनुभव करते हैं।

हमारे शरीर में इंद्रियों का अभाव हो तो हम किसी भी प्रकार के विषय का ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकते हैं। ☝🏻 हमारे शरीर में पाई जाने वाली इंद्रियों से हम जो भी कोई कार्य करते हैं अथवा कोई ज्ञान प्राप्त करते हैं अभ्यंतर के सुख-दुख हमें जो भी प्राप्त होता है उसका अनुभव हम मन के द्वारा करते हैं।
〰️👉🏻 ऐसे में यह माना जाता है कि शरीर के अंदर कर्म व ज्ञान इंद्रियों के साथ-साथ मन इंद्री भी पाई जाती है इस प्रकार से इन्द्रियों इंद्रियों की संख्या 11 हो जाती है।

⚪विभिन्न मतों के अनुसार इंद्रियां कितनी होती है???

अनेक मतों के अनुसार शरीर में पाई जाने वाली इंद्रियां भिन्न—भिन्न वर्णित की गई हैं, सामान्यत: देखा जाए तो शरीर के अंदर 11 इंद्रियों का वर्णन विशेष रूप से मिलता है, परन्तु अलग-अलग मतों के अनुसार इंद्रियों की संख्या भी अलग-अलग बताई गई है।

🏵️ संतमत दर्शन के अनुसार इंद्रियां कितनी है???

☝🏻 संतमत के दर्शन के अनुसार इंद्रियों की संख्या को 14 माना गया है, जिसमें से पांच कर्मेंद्रियां व पांच ज्ञानेंद्रियों होती हैं तथा चार इंद्रियां अंतः करण माना गया है।
〰️👉🏻 इसके अंतर्गत ✷मन, ✷चित्र, ✷बुद्धि, तथा ✷अहंकार को रखा गया है।
〰️👉🏻 संतमत दर्शन के अनुसार ज्ञानेंद्रियों के अंतर्गत— ✷आंख, ✷कान, ✷नाक, ✷जीभ व ✷त्वचा; तथा
कर्मेंद्रियां के अंतर्गत— ✷हाथ, ✷पैर, ✷मुंह, ✷गुदा व ✷लिङ्ग को रखा गया है।

⚖️ न्याय दर्शन के अनुसार इंद्रियाँ कितनी है???

⚪न्याय के अनुसार इंद्रियों को दो भागों में विभक्त किया गया है•••
☝🏻 जिसमें बहिरिंद्रिय के अंतर्गत— ✷घ्राण, ✷रसना, ✷चक्षु, ✷त्वक् तथा ✷श्रोत्र (पाँच) आती हैं
तथा
अन्तरिन्द्रीय के अन्तर्गत – केवल ✷मन को रखा गया है।
〰️👉🏻 इस प्रकार से शरीर में दो प्रकार के इंद्रियों का वर्णन न्याय दर्शन के अनुसार किया गया।

⚪ न्याय दर्शन के अनुसार इंद्रियों को क्रमशः ✷गंध, ✷रस, ✷रूप, ✷स्पर्श तथा ✷शब्द की उत्पत्ति को मन से होता हुआ बताया गया है तथा सुख दुख आदि भी भीतरी विषय हैं इनकी उपलब्धि मन से ही होती है।

📖 सांख्य दर्शन के अनुसार इन्द्रियाँ कितनी है???

⚪सांख्य दर्शन के अनुसार इंद्रियों की संख्या को 11 बताया गया है जिसके अंतर्गत ज्ञानेंद्रियों तथा कर्मेंद्रियों को पांच पांच भागों में बांटा गया है। ज्ञानेंद्रियां अन्य मतों के अनुसार वही मानी गई है किन्तु इस मत के अनुसार कर्मेंद्रियां— ✷मुख ✷हाथ ✷पैर ✷मलद्वार तथा ✷जननेंद्रिय को माना गया है•••
☝🏻 जो क्रमशः ✷बोलने ✷ग्रहण करने ✷चलने ✷मल त्यागने तथा ✷संतान उत्पादन का कार्य करती हैं।

☝🏻 इसके अतिरिक्त 11वीं इंद्री के रूप में मन को माना गया है।
〰️👉🏻 इस मन को संकल्पविकल्पात्मक मन कहा जाता है। इस प्रकार से सांख्य दर्शन के अनुसार 11 इंद्रियों वर्णित है।

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