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ज्वार भाटा

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ज्वार भाटा

  • चंद्रमा और सूर्य की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने और नीचे गिरने को ज्वार-भाटा कहते हैं
  • सागरीय जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ने को ज्वार ( Tide ) तथा सागरीय जल को नीचे गिरकर पीछे लौटने को भाटा ( Ebb ) कहते हैं
  • पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं
  • उच्च ज्वार की घटना तब होती हैं, जब सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक सीध में होते हैं
  • निम्न ज्वार की घटना तब होती हैं जब सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा समकोणिक अवस्था में होते हैं
  • चंद्रमा का ज्वार उत्पादक बल सूर्य की अपेक्षा दुगुना होता हैं, क्योकि यह सूर्य की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट हैं
  • चंद्रमा सूर्य से 2.6 लाख गुना छोटा है लेकिन सूर्य की तुलना में 380 गुना पृथ्वी के अधिक समीप है. फलतः चंद्रमा की ज्वार उत्पादन की क्षमता सूर्य की तुलना में 2.17 गुना अधिक है
  • अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, सूर्य, और पृथ्वी एक सीध में होते है, अतः इस दिन उच्च ज्वार उत्पन्न होता हैं
  • दोनों पक्षों की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चंद्रमा, पृथ्वी के केंद्र पर समकोण बनाते हैं, इस स्थित में सूर्य और चंद्रमा के आकर्षण बल एक दुसरे को संतुलित करने के प्रयास में प्रभावहीन हो जाते हैं. अतः इस दिन निम्न ज्वार उत्पन्न होता हैं
  • पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर प्रतिदिन 12 घंटे 26 मिनट के बाद ज्वार, और ज्वार के 6 घंटा 13 मिनट बाद भाटा आता हैं
  • ज्वार प्रतिदिन दो बार आते हैं – एक बार चंद्रमा के आकर्षण से और दूसरी बार पृथ्वी के अपकेन्द्रीय बल के कारण
  • सामान्यता ज्वार प्रतिदिन दो बार आता हैं किन्तु इंगलैंड के दक्षिणी तट पर स्थित साउथैम्पटन में ज्वार प्रतिदिन चार बार आते हैं. यहाँ दो बार ज्वार इंग्लिश चैनल से होकर और दो बार उत्तरी सागर से होकर विभिन्न अंतरालों पर आते हैं
  • दीर्घ ज्वार प्रत्येक 6 महीने के अंतराल पर आते हैं और लघु ज्वार प्रत्येक 15 दिन पर
  • जिस स्थान पर दिन में केवल एक बार ज्वार-भाटा आता है, तो उसे दैनिक ज्वार-भाटा कहते हैं. दैनिक ज्वार 24 घंटे 52 मिनट के बाद आते हैं. मैक्सिको की खाड़ी और फिलीपाइन द्वीप समूह में दैनिक ज्वार आते हैं
  • ज्वार के दो विभिन्न केंद्रों के कारण 12 घंटे 26 मिनट बाद सागर में आने वाला ज्वार अर्द्ध दैनिक ज्वार कहलाता है
  • दिन में दो बार आने वाले ज्वार को मिश्रित ज्वार कहते हैं
  • मासिक ज्वार चंद्रमा की परिभ्रमण गति तथा चंद्रमा की उपभू स्थिति के कारण आते हैं
  • समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटा की उर्जा को उपयुक्त टर्बाइन लगाकर विद्युत शक्ति में बदल दिया जाता है. इसमें दोनो अवस्थाओं में विद्युत शक्ति पैदा होती है – जब पानी ऊपर चढ़ता है तब भी और जब पानी नीचे उतरने लगता है. इसे ही ज्वारीय शक्ति (tidal power) कहते हैं. यह एक अक्षय उर्जा का स्रोत है

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