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…यह व्यंग्यात्मक चित्र समस्याओं का चाहते हैं समाधान

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…यह व्यंग्यात्मक चित्र समस्याओं का चाहते हैं समाधान

सत्ता पक्ष के किये वादे और विपक्ष के प्रहार का प्रतीक

मास्टर इन फाइन आर्ट छात्र भरत का चिंतन और मंथन

जो कुछ घट रहा उसी को ही चित्र मे प्रस्तुत किया गया

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम।
 रंग,  चित्र और व्यंग । यह एक ऐसा सामंजस्य है , जब किसी चिंतन और मनन करने वाले चित्रकार के मन में सवाल उठते हैं तो यही एक ऐसा सशक्त प्लेटफार्म है, जिसके माध्यम से बात को कहते हुए ध्यान आकर्षित किया जा सकता है । ऐसा लंबे अरसे से कार्टूनिस्ट, व्यंग कार, चित्रकार करते आ रहे । एक ही मकसद होता है कि आम जनमानस से राजनेताओं के द्वारा जो भी वादे किए जाते हैं , समाज के अंतिम पायदान तक का व्यक्ति हर पल यही उम्मीद लगाए रहता है कि आज नहीं तो कल कल नहीं तो अगले दिन कभी न कभी तो इसी प्रकार के रंग उसके जीवन में भी भरे जा सकेंगे ।

इन दिनों आजादी का अमृत महोत्सव आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष पर पूरे देश में उमंग उत्साह जोश से लबरेज होकर मनाया जा रहा है । लेकिन फिर भी अनेकानेक भारत देश में रहने वाले लोग उन सपनों में राजनेताओं के दिखाए गए वायदे का रंग भरने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। जिन वायदों को किया गया , आज भी 80 करोड़ गरीब लोगों को प्रति महीने निशुल्क राशन दिया जा रहा है । दूसरी ओर आजादी का अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा मुहिम को सफल बनाने के लिए तिरंगा झंडा को भी कथित रूप से जबरदस्ती खरीदने के लिए ऐसे लोगों को मजबूर किया जाने के मामले सामने आ रहे हैं, जिन्हें सरकार के द्वारा निशुल्क राशन फ्री के थैले में ही डाल कर दिया जा रहा है । अफसोस और दुख की बात यह है कि जब ऐसे मामले सामने आए कि देश की आन बान शान और प्रत्येक भारतीय सहित सीमा पर देश की रक्षा करने वाले सैनिक अपने सीने पर गोली खाते हुए तिरंगे की रक्षा करते हुए शहादत को प्राप्त कर उसी तिरंगे में लिपट कर अपने परिजनों तक पहुंचते हैं , इसी तिरंगे के ही विभिन्न स्थानों पर दाम वसूलने के भी मामले सामने ही नहीं आए । बल्कि शासन प्रशासन को कठोर कार्रवाई भी करनी पड़ी है ।

हालात यहां तक बन गए विभिन्न प्रदेशों के सत्तासीन मुखिया को सार्वजनिक रूप से कहना पड़ रहा है कि तिरंगा झंडा का दाम वसूल नहीं किया जाएगा । तिरंगा झंडा निशुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा । 13 से 15 अगस्त के बीच प्रत्येक घर पर तिरंगा झंडा फहराने का राजनीति से ऊपर उठकर प्रत्येक राष्ट्रवादी राजनीतिक दल राजनेता सामाजिक संगठन उद्योगपति जिसका जितना सामर्थ है , वह अपना दिल खोल कर सहयोग भी दे रहे । कोरोना के दौरान यह भी देखने के लिए मिला था की करोड़ों लोगों को निशुल्क भोजन और आवास की सुविधा इस देश में रहने वाले बड़े दिलवाले समाज के लोगों के द्वारा ही उपलब्ध करवाई गई ।  लेकिन ऐसा  सब हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगा उपलब्ध करवाने में पुराना जोश और उमंग कहीं ना कहीं ठंडी ही दिखाई दे रही है । वरिष्ठ पत्रकार फतह सिंह उजाला के पुत्र भरत के द्वारा कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बैचलर इन फाइन आर्ट और इसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अप्लाइड आर्ट में मास्टर फाइन आर्ट की डिग्री प्राप्त युवा व्यंग्यकार चित्रकार कार्टूनिस्ट भरत के बनाए हुए मौजूदा घटनाक्रम पर चित्रों को मीडिया पर भी लोगों के द्वारा पसंद करने के साथ-साथ सरहाना भी दी जा रही है।

सवाल वही है जोकि बनाए गए चित्रों में स्पष्ट देखा और महसूस किया जा सकता है कि समाज के अंतिम पायदान के गरीब तबके के व्यक्ति सुविधाएं पहुंचने में और कितना समय लेंगी ? फ्री के राशन को फ्री के थैले में दिया गया, लेकिन राशन की दुकान पर ही सबसे पहले तिरंगा के दाम वसूलने का मामला सुर्खियां बना । हर गरीब को घर देने का वादा किया गया , मौजूदा दौर में इस बात से इंकार नहीं की समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति और प्रत्येक गरीब व्यक्ति के हाथ में अगले 3 दिनों में तिरंगा झंडा तो दिखाई देगा , लेकिन ऐसे लोगों के पास तिरंगा झंडा फहराने के लिए आवास की सबसे गंभीर चुनौती भी बनी हुई हैं , इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। बहर हाल युवा कार्टूनिस्ट और चित्रकार के द्वारा रंग भरे व्यंग के चित्रों के माध्यम से कुछ ऐसी गंभीर समस्याएं सामने हैं जिनकी तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए ऐसी समस्याओं के समूल नष्ट करने के लिए ठोस योजनाएं बनाने को अपने मनोभाव प्रस्तुत किए गए हैं । मास्टर इन फाइन आर्ट युवा आर्टिस्ट भरत कि कुछ कलाकृतियां राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी में भी स्थान प्राप्त कर पुरस्कृत हो चुकी हैं।

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