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Rajni

श्रीराम जानकी विवाह मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी श्रीराम पंचमी!!!

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श्रीराम जानकी विवाह मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी श्रीराम पंचमी!!!

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                    अयोध्‍या में हर वर्ष भगवान श्रीराम और सीताजी के विवाह का उत्‍सव मनाया जाता है. राम-जानकी विवाह मार्गशीर्ष के शुक्‍ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन हुआ था, इस दिन को श्रीराम पंचमी के नाम से भी जाना जाता है.     

                      राम-जानकी विवाह जनकपुर में हुआ था जो वर्तमान में नेपाल में स्थित है. यहां हर साल धूमधाम से राम-जानकी विवाहोत्‍सव मनाया जाता है. यहां नेपाल और भारत के अलावा अन्‍य देशों से भी भक्‍त दर्शन करने आते हैं. भगवान राम की जन्‍मभूमि अयोध्‍या से हर वर्ष श्री राम बारात जनकपुर के लिए रवाना होती है.

                     पौराणिक कथा अनुसार जनकपुरी में राम-सीता का विवाह हुआ था. जहां बाद में जानकी मंदिर बना दिया गया. जनकपुर आज भारत और नेपाल के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में फैले हिंदुओं के लिए तीर्थ-स्थल में बदल चुका है.

                      राम मंदिर यहां के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जिसे गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने 1700 साल पहले बनवाया था. यहां राम नवमी और दशहरे पर भारी संख्या में भक्‍तों का तांता लगा रहता है.

                      यह वह स्‍थान है जहां राम और सीता जी का विवाह संपन्‍न कराया गया था. विवाह पंचमी के दिन यहां बने मंदिर में हजारों भक्‍त आकर माता सीता से आशीर्वाद प्राप्‍त करते हैं. यह मंडप प्राचीन काल की वास्‍तु कला का बेहतरीन नमूना पेश करता है.

                           यह मंदिर मुख्‍य शहर जनकपुर से करीब 107 किमी दूर स्थित है और पाण्डू पूत्र भीम को समर्पित करते हुए बनाया गया है.  इस मंदिर की विशेष बात यह है कि इस पर छत नहीं है. यहां भीम के अलावा मां भगवती, और भगवान शिव की प्रतिमा भी स्‍थापित हैं.

                    यह जनकपुर से 40 किमी दूर स्थित है, जिसे धनुष सागर के नाम से जाना जाता है. मान्‍यता है कि जब भगवान राम ने शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई तो वह तीन टुकड़ों में टूट गया. इस धनुष का एक हिस्सा उड़कर स्वर्ग पहुंचा. दूसरा हिस्सा पाताल में जा गिरा, जिसके ठीक ऊपर विशाल धनुष सागर है और तीसरा हिस्सा यहां जनकपुर के पास आ गिरा. जिसे आज धनुषधाम मंदिर के नाम से जाना जाता है.

                       प्राचीन स्‍थल लुम्बिनी में स्थित यह मंदिर भगवान और सीता माता को समर्पित है. यह विशाल मंदिर चारों ओर से खूबसूरत बगीचे और ए‍क पवित्र जलस्रोत रत्‍ना सागर से घिरा हुआ है. इसलिए इस मंदिर का नाम रत्‍ना सागर मंदिर रखा गया है. लुंबिनी वास्तव में गौतम बुद्ध की जन्म स्थली है. 

                       यह स्थान बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल है. यह विशाल और पवित्र झील गंगा सागर जनकमहल के करीब स्थित है. धनुष सागर और रत्‍ना सागर के अलावा यह पवित्र जलस्रोत मानी जाती है.


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