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शिव-सावन-और-नारी

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शिव-सावन-और-नारी

पत्नी के स्वाभिमान की रक्षा करने वाले भगवान शिव की पवित्र सावन माह में विशेष पूजा अर्चना करके महिलाएं अपने मन में यही कामना करती हैं कि भगवान उन्हें भी ऐसा ही वर दें, जो उनके स्वाभिमान की रक्षा करें। स्त्रियां भगवान शिव को इतना महत्व क्यों देती हैं, इसका एक और बड़ा कारण भी है कि जहां देवी लक्ष्मी हमेशा भगवान विष्णु की सेवा करते हुए उनके चरण कमल दबाते हुए दिखाई पड़ती हैं,वही मां गौरी अर्थात देवी पार्वती शिव के आधे शरीर में विराजती हैं। भगवान शिव ऐश्वर्य के लिए नहीं जाने जाते हैं । वह ऐश्वर्य से दूर रहते हैं,लेकिन प्रकृति के सर्वाधिक निकट हैं। यही वजह है कि पशुपतिनाथ भी कहलाते हैं अर्थात जीव जंतुओं के संरक्षक ।वह अपने साथ कभी भी धन दौलत लेकर नहीं चलते हैं,किंतु बड़े दानी कहलाते हैं।वह औघड़दानी के नाम से भी जाने जाते हैं।इस संदर्भ में मैथिली कविवर विद्यापति के गीत जन जन में व्याप्त हैं–
🌻 टूटली फाटली मडैया, अधिक सोहावन हे,ताहिर तर गौरा भेली ठाढ़ि,मन ही मन झांखथि हे–
इसका अर्थ है कि महादेव की पत्नी गौरा टूटी झोपड़ी के सामने खड़ी है और चिंतित हैं। यह शिव का जनपक्षी रूप है।
🌹🌳 एक लोक कथा है कि एक बार देवी गौरा ने शिव से कहा कि आप खेती किसानी कीजिए। यह शिव उनकी बात मान जाते हैं और जमकर मेहनत करते हैं। देवी गौरा कुछ दिनों बाद खेतों की तरफ जाती है तो वहां हरे भरे खेतों में भांग और धतूरे लहलहा रहे होते हैं ।इस पर देवी गौरा अपना सिर्फ पीट लेती हैं। ऐसे भोले हैं भोले बाबा ! आधुनिक काल में शिव स्त्रियों को सबसे अधिक आकर्षित करते हैं, क्योंकि उनके जीवन में किसी प्रकार का निषेध नहीं है। यही कारण है कि देवी पार्वती घोर तपस्या करके बाघंबरधारी शिव को चुनती हैं। गौरी-शिव की तरह सह-जीवन जीते सर्वसुलभ सर्वव्यापक जोड़ी ही सावन का अभिष्ट है।

ब्रह्माण्ड की अनूठा और आदर्श दाम्पत्य जीवन का उदाहरण है शिव-गौरी का।

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