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Rajni

बिच्छू

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बिच्छू

  • 🛑बिच्छू देखने में काफी खतरनाक लगते हैं और सच कहें तो खतरनाक होते भी हैं
  • इनके पास एक डंक होता है, जिसमें जहर होता है,ऑल इंडिया न्यूज़
  • वैसे देखा जाए तो इंसानों के लिए ये डंक जानलेवा तो नहीं होता है, लेकिन दर्दनाक बहुत होता है
  • कुछ ही ऐसे बिच्छू हैं जिनका जहर इंसानों के लिए जानलेवा साबित होता है
  • बिच्छू आमतौर पर दूसरे कीड़ों का शिकार करके उन्हें खाते हैं
  • बिच्छू उष्ण प्रदेशों में पाए जाते हैं
  • ये पत्थर और चट्टानों के बीच बनी दरारों में छिपे रहते हैं
  • ये रात्रि में ही बाहर निकलते हैं, क्योंकि ये रात्रिचर जीव होते हैं
  • इसकी अनेक जातियाँ हैं, जिनमें आपसी अंतर बहुत मामूली हैं
  • बिच्छू की लगभग 2000 जातियाँ होती हैं
  • यह न्यूजीलैंड तथा अंटार्कटिक को छोड़कर विश्व के सभी भागों में पाई जाती हैं
  • इसका शरीर लंबा चपटा और दो भागों- शिरोवक्ष और उदर में बटा होता है
  • शिरोवक्ष में चार जोड़े पैर और अन्य उपांग जुड़े रहते हैं
  • सबसे नीचे के खंड से डंक जुड़ा रहता है जो विष-ग्रंथि से संबद्ध रहता है
  • शरीर काइटिन के बाह्यकंकाल से ढका रहता है
  • इसके सिर के ऊपर दो आँखें होती हैं
  • इसके दो से पाँच जोड़ी आँखे सिर के सामने के किनारों में पायी जाती हैं
  • बिच्छू साधारणतः उन क्षेत्रों में रहना पसन्द करते हैं जहां का तापमान 20० से 37० सेंटीग्रेड के बीच रहता हैं परन्तु ये जमा देने वाले शीत तथा मरूभूमि की गरमी को भी सहन कर सकते हैं
  • अधिकांश बिच्छू इंसान के लिए हानिकारक नहीं हैं वैसे, बिच्छू का डंक बेहद पीड़ादायक होता है और इसके लिए इलाज की जरूरत पड़ती है
  • शोधकर्ताओं के मुताबिक बिच्छू के जहर में पाए जाने वाले रसायनक्लोरोटोक्सिन को अगर ट्यूमर वाली जगह पर लगाया जाए तो इससे स्वस्थ और कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की पहचान आसानी से की जा सकती है
  • वैज्ञानिकों का दावा है कि क्लोरोटोक्सिन कैंसरग्रस्त कोशिकाओं पर सकारात्मक असर डालता है
  • यह कई तरह के कैंसर के इलाज में कारगर साबित हो सकता है
  • उनका मानना है कि बिच्छू का जहर कैंसर का ऑपरेशन करने वाले सर्जनों के लिए मददगार साबित हो सकता है
  • उन्हें कैंसरग्रस्त और स्वस्थ कोशिकाओं की पहचान करने में आसानी होगी
  • बिच्छू दिन में भूरे या फिर ब्लैक दिखते हैं लेकिन चांद की रोशनी मिलते ही बिच्छू चमकने लग जाते हैं
  • बिच्छू की 160 प्रजातियां साउथ अफ्रीका में पाई जाती है जो सिर्फ रात में ही बाहर निकलती है
  • बिच्छू अपने जीवनसाथी को मार देते हैं यानी कि यह एक दूसरे को मार देते हैं
  • बिच्छू की नजर बहुत ही कमजोर होती है
  • बिच्छू अल्ट्रावायलेट किरणों की वजह से धुंधले चमकते हुए दिखाई देते हैं
  • शाम के समय तथा रात में बिच्छू चमकते हैं इस समय अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन की किरणें बहुत तेज होती है
  • बिच्छू की त्वचा रेडिएशन किरणों को अवशोषित करती है किसकी वजह से बिच्छू चमकता है
  • हम अल्ट्रावायलेट किरण को नहीं देख सकते हैं जितनी ज्यादा अल्ट्रावायलेट किरण होगी उतना ज्यादा बिच्छू तेज चमकेगा
  • बिच्छू के चमकने से इन्हें 3 फायदे होते है

यह इनके जीवन साथी ढूंढने का अच्छा संकेत हो सकता है जब चांद की रोशनी में यह चमकते हैं तब यह ऐलान करते हैं कि उनका अभी तक कोई जीवनसाथी नहीं है यानी कि वह अभी तक सिंगल है
इसका दूसरा फायदा यह है कि जब यह चमकते हैं तो दूसरे कीड़े मकोड़े इनकी तरफ आकर्षित होते हैं और वह इनका शिकार कर लेते हैं जिससे कि इनको खाना मिल जाता है तथा इनका पेट भर जाता है
बिच्छू अल्ट्रावायलेट किरण को देख सकते हैं जिससे कि यह खतरा भांप कर छिप सकते हैं अपने सुरक्षा की दृष्टि से यह बिच्छू के लिए काफी फायदेमंद है

  • पक्षी कीड़े मकोड़े तथा दूसरे जीव अल्ट्रावायलेट किरण को नहीं देख सकते हैं लेकिन उल्लू अल्ट्रावायलेट किरण को देख सकते हैं

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