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वैश्य विरोधियों को ना वोट ना नोट: अग्रवाल वैश्य समाज

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वैश्य विरोधियों को ना वोट ना नोट: अग्रवाल वैश्य समाज

-वैश्य समाज जेब में नहीं, प्रगति का अगुवा
-बीजेपी के वरिष्ठ नेता के बयान से अग्रवाल वैश्य समाज में है रोष
-वैश्य समाज पर कटाक्ष करने वाले नेता को पार्टी से निष्कासित करने की मांग

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम/दिल्ली। अग्रवाल वैश्य समाज भले ही सरल स्वभाव व सीधेपन का परिचायक है। यह समाज किसी की जेब में नहीं है, बल्कि प्रगति का अगुवा है। यह वह समाज है, जिसने आजादी से लेकर अब तक देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। अगर नेता इस तरह की बयानबाजी करते रहे तो वैश्य समाज का उन्हें ना वोट मिलेगा और ना नोट। यह बात प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में अग्रवाल वैश्य समाज के अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने मध्यप्रदेश भाजपा प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव के उस बयान पर प्रतिक्रिया में कही है, जिनमें उन्होंने बनिया को अपनी जेब में रखने की बात कही।

प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता में अशोक बुवानीवाला ने कहा कि वैश्य समाज पर अभद्र टिप्पणी करना नेताओं की ओछी मानसिकता को दर्शाता है। साथ ही यह पूरे वैश्य समाज का अपमान है। उन्होंने कहा कि शांत समाज को कमजोर ना समझा जाए। जिस भी नेता ने वैश्य समाज के बारे में गलत तरीके से टिप्पणी की है, भविष्य में उसका पतन निश्चित है। श्री बुवानीवाला ने कहा कि बीजेपी ऐसे नेताओं को पार्टी से तुरंत प्रभाव से निष्कासित करे। साथ ही बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को देश-दुनिया में रह रहे वैश्य समाज के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में 220 मिलियन की आबादी वाले वैश्य समाज का देश के हर कार्य में बहुत बड़ा योगदान रहता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतवर्ष में जो व्यापार हो रहा है, उसका लगभग 80 फीसदी व्यापार वैश्य समाज चला रहा है।

67 फीसदी राजस्व अकेले वैश्य समाज का: अभय जैन
अग्रवाल वैश्य समाज के गुडग़ांव लोकसभा अध्यक्ष अभय जैन एडवोकेट ने कहा कि करीब 67 फीसदी राजस्व अकेले अग्रवाल वैश्य समाज से केंद्र व प्रदेश की सरकारों को आता है। धर्मार्थ गतिविधियों में यह समाज 82 फीसदी का योगदान देता है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि राष्ट्र के विकास, निर्माण में वैश्य समाज का कितना योगदान है। इस समाज के बिना राष्ट्र के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि देश की राजनीति में नैतिकता का पतन हो रहा है। वैश्य समाज इसे रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है।

राजनीति की दशा-दिशा तय करता है वैश्य समाज: मुदित अग्रवाल
वैश्य नेता मुदित अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि वैश्य समाज के लोग पहले राजनीति में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। जब से देश आजाद हुआ है, करीब 80 सांसद इस समाज से आते थे। राजनीति के नैतिक पतन के कारण ही वैश्य समाज ने अपने को राजनीति से किनारा किया। वैश्य समाज इतना मजबूत है कि राजनीति की दशा और दिशा तय करता है। हमारे पास वोट और नोट दोनों है। नोटों से देश को आर्थिक मजबूती दे रहे हैं। वोटों से राजनीतिक दलों को मजबूती।  

आजादी से आधुनिक भारत निर्माण में हम रहे हैं अगुवा: संतोष मंगल
वैश्य नेता संतोष मंगल ने कहा कि देश की आजादी में वैश्य समाज से ही महात्मा गांधी जी, लाला लाजपत राय जी का विशेष योगदान रहा। वैश्य केवल एक समुदाय नहीं, बल्कि एक संस्कति है। जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति दोनों सिखाई है। शिक्षा से लेकर उद्योग तक, रोजगार से लेकर लॉजिस्टिक तक अनगिनत वैश्य लोगों ने आधुनिक और प्रगतिशील भारत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैश्य हमेशा गरीबों, बीमारों, वंचितों, पूर्वाग्रहों के शिकार लोगों के लिए आशा की किरण रहा है। केवल दान से नहीं, बल्कि उन सिद्धांतों के कारण जैसे सहिष्णुता और अवसर, मानवीय गरिमा और न्याय।

देश में बेरोजगारी का हल है वैश्य समाज: श्रीनिवास गुप्ता
अग्रवाल वैश्य समाज के उप-प्रधान श्रीनिवास गुप्ता ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी समाज का निरादर करता है तो यह बहुत ही शर्मनाक है। राजनेताओं का अपनी वाणी पर नियंत्रण होना चाहिए। जिस समाज के वोटों से वे कुर्सी पर बैठते हैं, उसी समाज पर इस तरह की टिप्पणी करके वे अपनी राजनीतिक जड़ों को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज देश में बेरोजगारी का हल है। छोटी से छोटी इकाई में भी 20 परिवारों को रोजगार मिलता है। ऐसे समाज पर भाजपा नेता की यह टिप्पणी अशोभनीय है। उनकी मांग है कि भारतीय जनता पार्टी अपने इस नेता पर संज्ञान ले और भविष्य में कोई भी नेता ऐसी हरकत ना करे, इसके लिए भी एडवाइजरी पार्टी स्तर पर जारी करे।  

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