मेहंदी
मेहंदी
- मेहंदी, आमतौर पर शादी-विवाह के अलावा जब-तब त्योहारों में भी ये लगाई जाती है
- हाथों के साथ ही लोग इसे बालों में लगा हुआ भी देख सकते हैं
- ये बालों को जितना मजबूत रंग देती है। उतनी ही सेहत के लिए भी उपयोगी है
- मेहंदी जिसे हिना भी कहते हैं, दक्षिण एशिया में प्रयोग किया जाने वाला शरीर को सजाने का एक साधन होता है
- इसे हाथों, पैरों, बाजुओं आदि पर लगाया जाता है
- 1990 के दशक से ये पश्चिमी देशों में भी चलन में आया है
- मेहंदी का प्रचलन आज के इस नए युग में ही नहीं बल्कि काफी समय पहले से हो रहा है
- आज भी सभी लड़कियां और औरतें इसे बड़े चाव से लगाती है, यहाँ तक की लड़कियां और औरतें ही नहीं कई पुरुष भी मेहंदी के बड़े शौकीन होते है
- हमारी भारतीय परंपरा में मेहंदी का प्रचलन काफी पुराने समय से होता आ रहा है, क्योंकि मेहंदी नारी श्रृंगार का एक अभिन्न अंग है जिसके बिना हर रीति-रिवाज अधुरा माना जाता है
- मेहंदी ओलगाने के लिये हिना नामक पौधे/झाड़ी की पत्तियों को सुखाकर पीसा जाता है। फिर उसका पेस्ट लगाया जाता है
- कुछ घंटे लगने पर ये रच कर लाल-मैरून रंग देता है, जो लगभग सप्ताह भर चलता है
- हिना या हीना एक पुष्पीय पौधा होता है जिसका वैज्ञानिक नाम लॉसोनिया इनर्मिस है
- हीना से ही मेहंदी भी लगायी जाती है
- मेंहदी (henna) का वानस्पतिक नाम ‘लॉसोनिया इनर्मिस’ (lawsonia inermis) है
- यह लिथेसिई (lythraceae) कुल का काँटेदार पौधा है
- यह उत्तरी अफ्रीका, अरब देश, भारत तथा पूर्वी द्वीप समूह में पाया जाता है
- अधिकतर घरों के सामने की बाटिका अथवा बागों में इसकी बाड़ लगाई जाती है जिसकी ऊँचाई आठ दस फुट तक हो जाती है और यह झाड़ी का रूप धारण कर लेती है
- कभी कभी जंगली रूप से यह ताल तलैयों के किनारे भी उग आती है
- टहनियों को काटकर भूमि में गाड़ देने से ही नए पौधे लग जाते हैं
- इसके छोटे सफेद अथवा हलके पीले रंग के फूल गुच्छों में निकलते हैं, जो वातावरण को, विशेषत: रात्रि में अपनी भीनी महक से सुगंधित करते हैं
- फूलों को सुखाकर सुगंधित तेल भी निकाला जाता है
- इसकी छोटी चिकनी पत्तियों को पीसकर एक प्रकार का लेप बनाते हैं, जिसे स्त्रियाँ नाखून, हाथ, पैर तथा उँगलियों पर श्रृंगार हेतु कई अभिकल्पों में रचाती हैं
- लेप को लगाने के कुछ घंटों के बाद धो देने पर लगाया हुआ स्थान लाल, या नारंगी रंग में रंग जाता है जो तीन चार सप्ताह तक नहीं छूटता
- पत्तियों को पीसकर भी रख लिया जाता है, जिसे गरम पानी में मिलाकर रंग देने वाला लेप तैयार किया जा सकता है
- इस पौधे की छाल तथा पत्तियाँ दवा में प्रयुक्त होती हैं
- मेहंदी को लेकर अनेक तरह की मान्यताएं भी हैं
- मेहंदी हिंदू-मुस्लिम परिवारों में बड़े शौक से लगाई जाती है
- दूल्हा-दुल्हन का श्रंगार इसके बिना अधूरा रहता है। इसलिए शादियों में मेहंदी रस्म का अलग से आयोजन किया जाता है
- मेहंदी श्रंगार का प्रतीक अवश्य है लेकिन इसे अपवित्र या अशुद्ध माना जाता है। जिसे लगाने के बाद भगवान या भोजन का स्पर्श नहीं करना चाहिए
- मेहंदी की खुशबू अति आकर्षक होती है, जिससे कई जीव जंतु भी आकर्षित हो जाते हैं। इसलिए इसे आमतौर पर घर से दूर लगाना चाहिए
- मेंहदी रक्त संचार में भी नियंत्रण रखती है
- मेंहदी हार्मोन को प्रभावित करती ही है और उन्हें पूरा दुरूस्त रखती है
- मेंहदी दिमाग को शांत और तेज बनाती है
- मान्यता ये भी है कि जिसकी मेहंदी जितनी रंग लाती है, उसको उतना ही अपने पति और ससुराल का प्रेम मिलता है
- मेहंदी की सोंधी खुशबू से लड़की का घर-आंगन तो महकता ही है साथ ही लड़की की सुंदरता में भी चार चांद लग जाते हैं। इसलिए कहा भी जाता है कि मेहंदी बिना दुल्हन अधूरी है
- मेंहदी का प्रयोग बालों में करने से बाल तो स्वस्थ होते ही हैं बल्कि ये माइग्रेन को भी कंट्रोल करता है
- मेहंदी की तहसीर ठंडी होती है इसलिए जितनी फायदेमंद ये गर्मी में होती है उतना ही नुकसान ठंड के दिनों में पहुंचा सकती है
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