भगवान राम पंडित रावन संवाद
भगवान राम – पंडित रावन संवाद
हनुमान की तरफ कनखियों से देखते हुए रावन बोला, “राम, मैं महादेव शिव का भक्त ही नहीं, उनका दास भी हूँ | मुझे मात्र महादेव ही प्रिय हैं, किन्तु मैं देख रहा हूँ कि मेरे आराध्य महादेव तो तुम्हारे भक्त हैं और उन्हें तुम अतिप्रिय हो | मेरे निदान के लिए उन्होंने तुम्हारा चयन किया हैं राम, क्यूंकि महादेव अपने इस हठी, दुराग्रही, अतिप्रिय शिष्य को मृत्यु नहीं, मुक्ति प्रदान करना चाहते हैं |”
प्रभु श्रीराम ने कहा,” महात्मन्! यह सब कुछ आप राम से मित्रता करके भी प्राप्त कर सकते थे, फिर मेरे प्रति आपके शत्रु भाव का कारण क्या हैं?”
यह सुनकर रावन मुस्कराते हुए बोला,”राम तुम्हारी मित्रता मुझे ज्ञान से भर देती, किन्तु रावन को ज्ञान नहीं, ज्ञान से मुक्ति चाहिए | राम, मैं केवल महादेव के प्रति ही मित्रता के भाव से भरा हुआ हूँ | महादेव के अलावा किसी भी अन्य का मेरे मित्रभाव मे प्रवेश निषिद्ध हैं, फिर भले ही महादेव को ही क्यों ना प्रिय हो इसीलिए तुम्हें रावन की मित्रता नहीं मिलती |
मन को त्राण(life/soul) से मुक्त करनेवाला मित्र होता है और शंकाओं के त्राण से मुक्त करने वाला शत्रु होता हैं “
महादेव जानते हैं कि राम का संपर्क किसी भी भाव से क्यों ना हो, वह व्यक्ति को निःशंक(Brave) कर देता हैं
Comments are closed.