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भगवान गणेश जी के बारे में जानिए गणेश जी के प्रतीक और उनका महत्व

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भगवान गणेश जी के बारे में जानिए : गणेश जी के प्रतीक और उनका महत्व

🌼 कोई उनकी पूजा के बगैर कार्य शुरू कर देता है तो किसी न किसी प्रकार के विघ्न आते ही हैं। सभी धर्मों में गणेश की किसी न किसी रूप में पूजा या उनका आह्वान किया ही जाता है।

🌹 गणेश देव : वे अग्रपूज्य, गणों के ईश गणपति, स्वस्तिक रूप तथा प्रणव स्वरूप हैं। उनके स्मरण मात्र से ही संकट दूर होकर शांति और समृद्धि आ जाती है।

🌹 माता-पिता : शिव और पार्वती।

🌹 गणेशजी के भाई : श्रीकार्तिकेय (बड़े भाई)। हालांकि उनके और भी भाई हैं जैसे सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा।

🌹गणेशजी की बहन : अशोक सुंदरी। हालांकि महादेव की और भी पुत्रियां थीं जिन्हें नागकन्या माना गया- जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि। अशोक सुंदरी को भगवान शिव और पार्वती की पुत्री बताया गया इसीलिए वही गणेशजी की बहन है। इसका विवाह राजा नहुष से हुआ था।

🌹गणेशजी की पत्नियां : गणेशजी की 2 पत्नियां हैं : ऋद्धि, सिद्धि।

🌹गणेशजी के पुत्र : पुत्र लाभ और शुभ तथा पोते आमोद और प्रमोद।
सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’ नाम के दो पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है।

🌹जन्म समय : अनुमानत: 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्रपद माह की चतुर्थी अर्थात आज से 12,016 वर्ष पूर्व।

🌹प्राचीन प्रमाण : दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ ऋग्वेद में भी भगवान गणेशजी का जिक्र है। ऋग्वेद में ‘गणपति’ शब्द आया है। यजुर्वेद में भी ये उल्लेख है।

🌹गणेश ग्रंथ : गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेशजी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र।

🌹गणेश संप्रदाय : गणेश की उपासना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते हैं।

🌹गणेशजी के 12 नाम : सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, विघ्नराज, द्वैमातुर, गणाधिप, हेरम्ब, गजानन।

🌹अन्य नाम : अरुणवर्ण, एकदन्त, गजमुख, लम्बोदर, अरण-वस्त्र, त्रिपुण्ड्र-तिलक, मूषकवाहन।

🌹गणेश का स्वरूप : वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदक पात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। वे रक्त चंदन धारण करते हैं।

🌹प्रिय भोग : मोदक, लड्डू

🌹प्रिय पुष्प : लाल रंग के

🌹प्रिय वस्तु : दुर्वा (दूब), शमी-पत्र

🌹अधिपति : जल तत्व के

🌹प्रमुख अस्त्र : पाश, अंकुश

🌹 गणेशजी का दिन : बुधवार।

🌹 गणेशजी की तिथि : चतुर्थी।

🌹 ग्रहाधिपति : केतु और बुध

🌹 गणेश पूजा-आरती : केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती की जाती है। उनको मोदक का लड्डू अर्पित किया जाता है। उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं।

🌹 गणेश वाहन : सिंह, मयूर और मूषक। सतयुग में सिंह, त्रेतायुग में मयूर, द्वापर युग में मूषक और कलियुग में घोड़ा है।

🌹 गणेशजी का जप मंत्र : ॐ गं गणपतये नम: है।

🌹 गणेशजी की पसंद : गणेशजी को बेसन और मोदक के लड्डू पसंद हैं।

🌹 गणेशजी की प्रार्थना के लिए : गणेश स्तुति, गणेश चालीसा, गणेशजी की आरती, श्रीगणेश सहस्रनामावली आदि।

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