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सूर्य अर्घ्य का महत्व

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सूर्य अर्घ्य का महत्व

हम सभी जानते हैं कि सूर्य सारे ब्रह्मांड की उर्जा का स्रोत है। सृष्टि के कण-कण को शक्ति सूर्य से ही मिलती है। प्रकृति हो या मनुष्य या चर-अचर जगत की कोई भी वस्तु, सभी सूर्य की किरणों के स्पर्श मात्र से नया जीवन पाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की प्रत्येक रचना पांच मुख्य तत्वों पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु से मिलकर हुई है। ये पांचों प्रकृति के आधार तत्व हैं और इन सभी का केंद्र है सूर्य। ब्रह्मांड निर्माण के इन पांचों तत्वों को उर्जा सूर्य से मिलती है।

☀️ऋग्वेद में है सूर्य अर्घ्य का महत्व–:
भारतीय दर्शन के मूल आधार चारों वेदों में से पहले और प्रमुख ऋग्वेद में इसका समुचित और विस्तृत विवरण मिलता है। ऋग्वेद में कहा गया है कि सूर्य प्रकृति के प्रत्येक कण को जागृत करता है। सूर्य के कारण ही सृष्टि का प्रत्येक कण काम करता है और सक्रिय रहता है। सृष्टि के समस्त जीवित तत्व अपनी उर्जा के लिए सूर्य पर ही निर्भर करते हैं। सूर्य जीव मात्र की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दुर्बलताओं को समाप्त कर प्रत्येक प्राणी को स्वस्थ और दीर्घायु बनाता है। सूर्य की किरणों में समाहित सात रंग मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण और असरकारी हैं। यदि कोई व्यक्ति सुबह स्नान करने के बाद एक कलश जल सूर्य को अर्पित करता है, तो उस जल की धार से छनकर आती सूर्य की किरणें पूरे शरीर पर पड़कर सारे रोगों को दूर करती हैं और व्यक्ति को बुद्धिमान बनाती हैं।

☀️वैज्ञानिकों ने भी माना अर्घ्य का महत्व-:
धर्म से इतर वैज्ञानिक प्रमाणों पर विश्वास करने वाली आधुनिक पीढ़ी के लिए सूर्य को अर्घ्य देने के पक्ष में पर्याप्त वैज्ञानिक आधार हैं। कई वैज्ञानिकों ने अनुसंधान और शोध के बाद प्रमाणित किया है कि वेदों में बताया गया हर कार्य विज्ञान सम्मत है। सूर्य को अर्घ्य देने की रीति के बारे में विस्तृत प्रमाण देते हुए विज्ञान ने भी साबित किया है कि जब हम सूर्योदय के समय दोनों हाथों को उपर उठाकर सूर्य को जल चढ़ाते हैं, तब तीखे किनारी वाले कलश से पानी की पतली सी धार गिरती है। इस धार से सूर्य और जल चढ़ा रहे व्यक्ति के बीच पानी की एक पतली दीवार बन जाती है। यूं तो सूर्य के प्रचंड प्रकाश की तरफ खाली आंखों से देख पाना संभव नहीं है, पर पानी की धुंधली दीवार से छनकर जब सूर्य की किरणें हमारी आंखों पर पड़ती हैं, तो वह नेत्र ज्योति को परिष्कृत करती हैं। इससे आंखों की ना सिर्फ रोशनी बढ़ती है, बल्कि कई तरह के रोगों से बचाव भी होता है। पानी की धार से छनकर आती सूर्य की किरणें पूरे शरीर पर सकारात्मक उर्जा का छिड़काव करती हैं। इससे व्यक्ति के आंतरिक और आत्मिक बल में वृद्धि होती है।

☀️ज्योतिषीय महत्व—:
सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व केवल वेदों और विज्ञान में ही नहीं बताया गया है, बल्कि ज्योतिष ग्रंथों में भी सूर्य को अर्घ्य देने के अनेक लाभ बताए गए हैं।
सूर्य सभी ग्रहों का राजा है अतः कुंडली में सूर्य जितना बली होगा उतना ही जातक को लाभ होगा, सूर्य को जल अर्पित करने से सूर्य बली होता है।
यदि जन्मांगचक्र में सूर्य की कमजोर स्थिति हो और सूर्य को बली बनाना हो तो सूर्य को प्रतिदिन लाल पुष्प, कच्चा दूध डालकर अर्घ्य दिया जाता है।
नौकरी या बिजनेस में लाभ नहीं मिल रहा हो या अटका हुआ पैसा निकालना हो तो सूर्य को जल चढ़ाना लाभकारी होता है।
जल में तिल मिलाकर सूर्य को अर्ध्य देने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
लाल पुष्प कुमकुम मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य बली होकर यश प्रदान करता है।

☀️धर्म हो या विज्ञान—:
बहरहाल, धर्म हो या विज्ञान, दोनों का उद्देश्य मानव मात्र की भलाई और उसकी क्षमताओं में वृद्धि करना है। दोनों ही अपने स्वभाव और मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के विकास में सहायक होते हैं। यही वजह है कि कभी धर्म विज्ञान का, तो कभी विज्ञान धर्म का परीक्षण करता रहता है। इसी क्रम में सूर्य को अर्घ्य देने जैसी रीतियां प्रमाणित होती हैं, जो मनुष्य के लिए कल्याणकारी होती हैं। वैसे भी सूर्य को जल चढ़ाना ना तो अधिक समय और ना ही अतिप्रयास मांगता है। एक छोटे से प्रयास को आदत बनाकर हम अपना संपूर्ण कल्याण बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं,
और वैसे भी सूर्य को अर्घ्य देने से प्रकृति के प्रति समर्पण भाव को बल मिलता है।
अतः प्रातः काल स्नान के बाद सूर्य को अर्ध देने की आदत डालें।।

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