ढोल नगाड़ों के साथ मनाया हरियाली तीज उत्सव : डॉ विरेंद्र अंतिल
ढोल नगाड़ों के साथ मनाया हरियाली तीज उत्सव : डॉ विरेंद्र अंतिल
प्रधान संपादक योगेश
द्रोणाचार्य गवर्नमेंट कॉलेज गुरुग्राम में आज तीज महोत्सव का विशेष आयोजन किया गया।कॉलेज प्रोफेसर्स के साथ साथ विद्यार्थियों ने भी इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।कॉलेज प्रांगण में फूलों से सजी झूल डाल कर परंपरागत रूप से इस त्योहार को मनाया गया।महिला प्रोफेसर न केवल झूले पर झूली बल्कि ढोल नगाड़े पर जम कर नृत्य भी किया।
बताते चलें कि सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, उसे ही हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी है।
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। परन्तु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं। विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।
इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है।
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है।
पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते है।
इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। इस त्योहार में स्त्रियां हरी लहरिया न हो तो लाल, गुलाबी चुनरी में भी सजती हैं, गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं,श्रृंगार करती हैं, नाचती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं।
द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय में भी आज मेले जैसा ही उत्सव था।कॉलेज प्राचार्य डॉ विरेंद्र अंतिल ने सभी के आग्रह पर झूला झूलने की रस्म की स्वयं अदायगी की।सभी के चेहरे पर खुशी के भाव थे।इस मौके पर प्रोफेसर लीलमणी गौड़, डॉ राजकुमार शर्मा, डॉ करतार सिंह,जितेंद्र रावत,गोविंद,कर्मवीर,मीनाक्षी पांडेय,बीना,सुमन कटारिया,मोनिका त्यागी,प्रियंका, मानसा, डोली,पायल,वीना,मोना,सुनीता,प्रीति,सीमा सहित दर्जनों स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।
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