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Rajni

स्वयं की तुलना

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स्वयं की तुलना 🌻

एक कौवा एक वन में रहा करता था,उसे कोई कष्ट नहीं था और वह अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट था!एक दिन उड़ते हुए वह एक सरोवर के किनारे पहुँचा, वहाँ उसने एक उजले सफ़ेद हंस को तैरते हुए देखा।

उसे देखकर वह सोचने लगा – “यह हंस कितना सौभाग्यशाली है,जो इतना सफेद और सुंदर है। इधर मुझे देखो,मैं कितना काला और बदसूरत हूँ। ये हंस अवश्य इस दुनिया का सबसे खुश पक्षी होगा।वह हंस के पास गया और अपने मन की बात उसे बता दी। सुनकर हंस बोला- नहीं मित्र! वास्तव में ऐसा नहीं है।

पहले मैं भी सोचा करता था कि मैं इस दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी हूँ। इसलिए बहुत सुखी और खुश था।लेकिन एक दिन मैंने तोते को देखा,जिसके पास दो रंगों की अनोखी छटा है,उसके बाद से मुझे यकीन है कि वही दुनिया का सबसे सुंदर और खुश पक्षी है।”

हंस की बात सुनने के बाद कौवा तोते के पास गया और उससे पूछा कि क्या वह दुनिया का सबसे खुश पक्षी है, तोते ने उत्तर दिया, “मैं बहुत ही खुशगवार जीवन व्यतीत कर रहा था,जब तक मैंने मोर को नहीं देखा था, किंतु अब मुझे लगता है कि मोर से सुंदर तो कोई हो ही नहीं सकता।इसलिए वही दुनिया का सबसे सुखी और खुश पक्षी है।

इसके बाद कौवा मोर की खोज में निकला। उड़ते-उड़ते वह एक चिड़ियाघर पहुँचा, वहाँ उसने देखा कि मोर एक पिंजरे में बंद है और उसे देखने के लिए बहुत सारे लोग जमा हैं।सभी मोर की बहुत सराहना कर रहे थे,सबके जाने के बाद कौवा मोर के पास गया और उससे बोला – “तुम कितने सौभाग्यशाली हो,जो तुम्हारी सुंदरता के कारण हर रोज़ हजारों लोग तुम्हें देखने आते हैं,मुझे तो लोग अपने आस-पास भी फटकने नहीं देते और देखते ही भगा देते हैं,तुम इस दुनिया के सबसे खुश पक्षी हो ना?”

कौवे की बात सुनकर मोर उदास हो गया। वह बोला, “मित्र !! मुझे भी अपनी सुंदरता पर बड़ा गुमान था। मैं सोचा करता था कि मैं इस दुनिया का क्या,बल्कि इस पूरे ब्रम्हाण्ड का सबसे सुंदर पक्षी हूँ। इसलिए खुश भी बहुत था।लेकिन मेरी यही सुंदरता मेरी शत्रु बन गई है और मैं इस में बंद हूँ। यहाँ आने के बाद इस पूरे चिड़ियाघर का अच्छी तरह मुआयना करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि कौवा ही एक ऐसा पक्षी है, जो यहाँ कैद नहीं है।इसलिए पिछले कुछ दिनों से मैं सोचने लगा हूँ कि काश मैं कौवा होता,तो कम से कम आज़ादी से बाहर घूम सकता और तब मैं इस दुनिया का सबसे सुखी और खुश पक्षी होता।

शिक्षा:-
हम हमेशा दूसरों को देखकर व्यर्थ ही स्वयं की तुलना उनसे करने लगते हैं और दु:खी हो जाते हैं,भगवान ने सबको अलग बनाया है और अलग गुण दिए हैं,हम उसका महत्व नहीं समझते और दु:ख के चक्र में फंस जाते हैं,इसलिए दूसरों के पास जो है,उसे देखकर जलने के बजाय हमें हमारे पास जो है,उसके साथ खुश रहना सीखना चाहिए।खुशी बाहर ढूंढने से नहीं मिलती, वह तो हमारे अंदर ही छिपी हुई होती है।

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