कोयला खनिक दिवस
कोयला खनिक दिवस
भारत एक ऐसा देश है जहां पर खनिज पदार्थों की कमी नहीं है। देश की धरती सोना उगलती है, लेकिन इस सोने को तराशने के लिए खदानों में हजारों-लाखों मजदूरों को दिन रात मेहनत करनी पड़ती है। उन्हीं नायकों की मेहनत की सराहना करने के लिए हर साल 4 मई को कोयला खनिक दिवस मनाया जाता है। इस महान नायकों को याद किया जाता है और सुरंग बनाने से लेकर खदानों को खोजने और निकालने तक के उनके कामों को याद किया जाता है।
भारत में कोयला खनन की शुरुआत 1774 में हुई जब ईस्ट इंडिया कंपनी के जॉन समर और सुएटोनियस ग्रांट हीटली ने दामोदर नदी के पश्चिम किनारे के साथ रानीगंज कोल फील्ड में वाणिज्यिक की खोज की।
इसके बाद 1853 में रेलवे लोकोमोटिव की शुरुआत के बाद कोयले की मांग बढ़ गई। हालांकि, इस दौरान कोयला खदानों में मजदूरों के शोषण और नरसंहार की कई घटना हुई।
देश में स्वतंत्रता के बाद 1973 में पहली पंचवर्षीय योजना के तहत कोयला उत्पादन को 33 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक बढ़ाया गया और इस दौरान कोयला उद्योग को बढ़ाने और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ये दिन कोल खनिक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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