छत्रपति शिवाजी महाराज
छत्रपति शिवाजी महाराज
- छत्रपति शिवाजी महाराज को शिवाजी या शिवाजी राजे भोसले के नाम से भी जाना जाता है
- उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 में शिवनेरी दुर्ग जो कि पुणे जुन्नर नगर में शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से हुआ था
- उनके पिताजी शहाजी राजे भोसले बीजापुर के दरबार में उच्चाधिकारी थे
- शिवाजी का लालन पालन उनकी माताजी जीजाबाई जी की देखरेख में हुआ
- उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण और प्रशासन की समझ दादोजी कोंडदेव जी से मिली थी
- वह भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे और हम सब जानते है की उनके नाम से मुग़ल काँपते थे
- 1674 में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी
- शिवाजी बहुत बुद्धिमान थे और उन्हे यह कतई मंजूर नहीं था की लोग जात पात के झगड़ों में उलझे रहे वह किसी भी धर्म के खिलाफ नही थे
- उनका नाम भगवान शिव के नाम से नही अपितु एक क्षेत्रीय देवता शिवाई से लिया गया है
- उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया था इसलिए उन्हें भारतीय नौसेना के पिता के रूप में जाना जाता है
- अपने प्रारंभिक चरणों में ही उनको नौसैनिक बल के महत्व का एहसास हो गया था क्योंकि उन्हें यकीन था कि यह डच, पुर्तगाली और अंग्रेजों सहित विदेशी आक्रमणकारियों से स्वतंत्र रखेगा और समुद्री डाकुओं से कोंकण तट की भी रक्षा करेगा
- उन्होंने जयगढ़, विजयदुर्ग, सिन्धुदुर्ग और अन्य कई स्थानों पर नौसेना किलों का निर्माण किया था
- उनके पास चार अलग-अलग प्रकार के युद्धपोत भी थे जैसे मंजुहस्म पाल्स, गुरब्स और गल्लिबट्स
- शिवाजी युद्ध की रणनीति बनाने में माहिर थे और सीमित संसाधनों के होने के बावजूद छापेमारी युद्ध कौशल का परिचय उन्होने तब दिया जब बहुत ही कम उम्र मात्र 15 साल में ‘तोरना’ किले पर कब्जा करके बीजापुर के सुल्तान को पहला तगड़ा झटका दिया था
- 1655 आते आते उन्होने एक के बाद एक कोंडन, जवली और राजगढ़ किलों पर कब्जा कर धीरे धीरे सम्पूर्ण कोकण और पश्चिमी घाट पर कब्जा जमा लिया था
- बीजापुर को जीतने के लिए शिवाजी ने औरंगजेब की सहायता के लिए हाथ आगे भड़ाया था पर ऐसा हो ना सका क्योंकि अहमदनगर के पास मुगल क्षेत्र में दो अधिकारियों ने छापा मार दिया था
- वह शिवाजी थे, जिन्होंने मराठों की एक पेशेवर सेना का गठन किया इससे पहले मराठों की कोई अपनी सेना नही थी
- उन्होंने एक औपचारिक सेना जहा कई सैनिकों को उनकी सेवाओं के लिए साल भर का भुगतान किया गया उसका गठन किया था
- मराठा सेना कई इकाइयों में विभाजित थी और प्रत्येक इकाई में 25 सैनिक थे
- हिंदू और मुस्लिम दोनों को बिना किसी भेदभाव के सेना में नियुक्त किया जाता था
- वह महिलाओं के सम्मान के कट्टर समर्थक थे
- शिवाजी ने महिलाओं के खिलाफ दृढ़ता से उन पर हुई हिंसा या उत्पीड़न का विरोध किया था
- उन्होंने सैनिकों को सख्त निर्देश दिये थे कि छापा मारते वक्त किसी भी महिला को नुकसान नही पहुचना चाहिए
- यहा तक कि अगर कोई भी सेना में महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करते वक्त पकड़ा गया तो गंभीर रूप से उसे दंडित किया जाएगा
- पन्हाला किले की घेराबंदी से भागने में शिवाजी कामियाब हुए थे
- वह गुरिल्ला युद्ध के प्रस्तावक थे उनको पहाडों का चूहा कहा जाता था क्योंकि वह अपने इलाके की भूगोलिक, गुरिल्ला रणनीति या गनिमी कावा जैसे की छापा मरना, छोटे समूहों के साथ दुश्मनो पे हमला करना आदि अच्छी तरह से वाकिफ थे
- उन्होंने कभी भी धार्मिक स्थानों या वहा पे रहने वाले लोगो के घरो में कभी छापा नही मारा
- उनकी खासियत थी की वह अपने राज्य के लिए बाद में लड़ते थे पहले भारत के लिए लड़ते थे
- उनका लक्ष्य था नि: शुल्क राज्य की स्थापना करना और हमेशा से अपने सैनिकों को प्रेरित करना की वह भारत के लिए लड़े और विशेष रूप से किसी भी राजा के लिए नहीं
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