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जननी के अलावा केवल गाय को ही माता माना गया

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जननी के अलावा केवल गाय को ही माता माना गया

गोपाष्टमी पर्व पर गाय माता की चरण वंदन कर लिया आशिर्वाद

जिस भी घर में गाय होती वहीं पर देवताओं का होता है वास

फतह सिंह उजाला
पटौदी। 
गोपाष्टमी के पावन पर्व पर मंगलवार को दक्षिण हरियाणा की सबसे बड़ी गौशाला फरूखनगर में गौ भक्तों ने गायों और बछियाओं का परम्परागत तरीके से श्रृंगार किया और तदउपरांत मंत्रों उच्चारण के साथ धूप, दीप, फूल माला, हराचारा, गुड़ आदि से पूजन किया ।

गोपाष्टमी के पावन पर्व पर गाय माता की चरण वंदन करके विश्व शांति की दुआं मांगी और भगवान श्रीकृष्ण के जयघोष के नारे लगाएं ।  इस मौके पर नीरू शर्मा पूर्व नगर पार्षद, केसर देवी, नीलम गुप्ता, अलका गुप्ता, राजेश गुप्ता, आर्चाय राम रतन शर्मा, बाबा निर्माण पुरी जी महाराज, ओमवीर चौहान जाटौली, विक्रम प्रधान लोकरी, बलबीर सिहं सहरावत, डा राम कुंवार मुंडाखेडा, राज कुमार देवरखाना आदि ने बताया कि गाय माता में सभी देवताओं का वास है । भगवान श्री कृष्ण ने स्वंय गाय को माता का दर्जा दिया और सृष्टि में सबसे ऊंचा दर्जा भी दिया । गाय की देखरेख और सुरक्षा करने वाले लोग कभी किसी भी संकट का सामना नही करते है।

समाज में सदैव उन्हे सम्मान की दृष्टी से देखा जाता है । गायों की पूजा और उनके पालन में दिया गया दान परमात्मा सौ गुणा वापिस देता है । इसलिए हम सभी का दायित्व बनता है कि अपनी नेक-कष्ट कमाई में से गायों के लिए अवश्य दान करे। इससे परिवार में खुशहाली और समृधी का निवास होता है । हिन्दू धर्म में गाय को मां कह कर पुकारा जाता है , इसलिए प्रत्येक हिन्दू पुत्र का धर्म बनता है कि मां की सेवा, रक्षा और संरक्षण के अपने दायित्व को निभाने में गुरेज ना करे ।

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