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आखिर किसके इशारे पर पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा की गई हड़ताल !

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आखिर किसके इशारे पर पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा की गई हड़ताल !

पटौदी के नागरिक अस्पताल में रोगी और पीड़ित होते रहे हलकान

एसडीसीएच असिस्टेंट, एनएचएम और एमपीएचडब्ल्यू स्टाफ का धरना

ओपीडी कार्ड नहीं बनने से पीड़ित और रोगी उपचार से रहे वंचित

अचानक पैरामेडिकल द्वारा हड़ताल किया जाना अनसुलझा सवाल

फतह सिंह उजाला
पटौदी । जो कुछ भी शुक्रवार को पटौदी मंडी नगर परिषद के पटौदी उपमंडल नागरिक अस्पताल में हुआ, यह अपने आप में सुलगता हुआ सवाल बन गया है। लाख टके का सवाल यही है कि आखिर किसके इशारे पर पटौदी अस्पताल का पैरामेडिकल स्टाफ 4 घंटे से अधिक समय तक अपना काम का छोड़कर अस्पताल परिसर में ही हड़ताल कर धरना देकर बैठा रहा ? इस हड़ताल सहित धरने में मुख्य रूप से एनएचएम , एमपीएचडब्ल्यू , आशा वर्कर तथा ऑफिस अथवा कलेरिकल कार्य से संबंधित कर्मचारी ही शामिल रहे । जिसका खामियाजा पटौदी नागरिक अस्पताल में पहुंचे आसपास के गांवों के अनेक रोगियों-पीड़ितों जिनमें मासूम बच्चे, गर्भवती महिलाएं , आंखों के रोगी सहित अन्य बीमारियों का उपचार करवाने वाले शामिल रहे। हताश और निराश पीड़ित बीमार रोगी के यहां सीढ़ियों पर ही बैठने के लिए मजबूर हो गए । क्योंकि पैरामेडिकल स्टाफ के द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक काम रोकने और हड़ताल कर बैठने की वजह से रोगियों के ओपीडी कार्ड नहीं बनाए गए।  जब यहां आने वाले रोगियों पीड़ितों सहित गर्भवती महिलाओं के ओपीडी कार्ड  नहीं बनाए गए तो ऐसे में संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास जाकर उपचार कराना या अपने आप को या अपने रोग को दिखा कर मेडिसन लेना संभव नहीं रहा।

क्योंकि ओपीडी कार्ड सहित संबंधित डॉक्टर का डाटा कंप्यूटर में फीड होता है , जिसका सारा रिकॉर्ड पंचकूला या फिर चंडीगढ़ हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय तक भी पहुंचता है। शुक्रवार को बिना किसी पूर्व सूचना अथवा नोटिस के अचानक हड़ताल पर धरना देकर बैठने वालों में एसडीसीएच असिस्टेंट अरुणा, एनएचएम से अनीता, एमपीएचडब्ल्यू से ईश्वरी, विजय सिंह , नर्सिंग स्टाफ में रेनू, क्लर्क राकेश, सुनील, ममता सहित अन्य पटौदी अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी भी शामिल रहे । इनके द्वारा किस मुद्दे को लेकर और अपनी किन मांगों को मनवाने के लिए हड़ताल की गई ? इस संबंध में पूछताछ करने पर हड़ताल सहित धरने पर बैठने वाले पैरामेडिकल स्टाफ में से एसडीसीएच असिस्टेंट अरुणा ने कहां की पटौदी अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर योगेंद्र सिंह का पटौदी अस्पताल से ट्रांसफर नहीं किया जाने की मांग को लेकर ही उनके द्वारा यह हड़ताल सहित धरना प्रदर्शन किया जा रहा है ।

अस्पताल परिसर में हड़ताल सहित धरने पर बैठे पैरामेडिकल स्टाफ से एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह के द्वारा एक बार भी मौके पर पहुंचकर हड़ताल सहित धरना का कारण जानने का प्रयास नहीं किया गया। इतना ही नहीं अस्पताल परिसर में मौजूद होते हुए भी उन्होंने एक बार भी अपने ही स्टाफ के सदस्यों से रोगी अथवा पीड़ितों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए एक बार भी अपना अपना काम आरंभ करने के लिए निर्देश नहीं दिए गए । सवाल अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है ? कि आखिर ऐसा क्या कारण और कौन सी मजबूरी थी जो सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर योगेंद्र सिंह के द्वारा एक बार भी हड़ताल सहित धरना पर बैठे स्टाफ के बीच में आकर बात करने का या फिर समझाने का प्रयास नहीं किया गया । कथित रूप से ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है कि जब सीनियर मेडिकल ऑफिसर अस्पताल परिसर में मौजूद हो और एक बार भी हड़ताल सहित धरना पर बैठे स्टाफ के बीच पहुंचकर उनकी परेशानी उनकी मांग के विषय में जानकारी लेकर या फिर उनकी परेशानी को लिखित में लेकर स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सीएमओ गुरुग्राम डॉ वीरेंद्र सिंह या फिर जिला प्रशासन के किसी आला अधिकारी तक पहुंचाने के लिए भी क्यों अनदेखी की गई ? हड़ताल सहित धरना पर बैठे स्टाफ की जो भी मांग थी उसे लिखित में लेकर स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित शासन और प्रशासन तक पहुंचाना सीनियर मेडिकल ऑफिसर की ऑन ड्यूटी जिम्मेदारी सहित नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है । इसके विपरीत कथित रूप से सीनियर मेडिकल ऑफिसर करीब साढे 4 घंटे तक तमाशा ही देखते रहे । अस्पताल परिसर में ही लोगों के बीच यह कहते हुए भी एक दूसरे को सुना गया कि शुक्रवार को पैरामेडिकल स्टाफ के द्वारा जो हड़ताल सहित धरना प्रदर्शन किया गया इसका कथित रूप से अपरोक्ष पूरा समर्थन सीनियर मेडिकल ऑफिसर के द्वारा पर्दे के पीछे से दिया गया।

दूसरी तरफ ऐसे रोगी और पीड़ित भी परेशान होते रहे जिनको अपने-अपने रोग या फिर बीमारी से संबंधित मेडिसन डिस्पेंसरी से प्राप्त करनी थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका , इसका भी कारण यही था कि मेडिसन देने वाले डिस्पेंसरी के स्वास्थ्य कर्मचारी भी अपनी डिस्पेंसरी से नदारद ही रहे । पटौदी नागरिक अस्पताल के पैरामेडिकल स्टाफ के द्वारा हड़ताल सहित धरना की वजह से ओपीडी कार्ड नहीं बनाए जाने के कारण विभिन्न विशेषज्ञ डॉक्टर अपने अपने रूम अथवा केबिन में उपचार के लिए आने वाले पीड़ितों का भी इंतजार करते रहे । लेकिन जब ओपीडी कार्ड ही नहीं बने तो ऐसे में पीड़ित या फिर रोगियों के पहुंचने का सवाल ही नहीं उठता ।

डीसी और सीएमओ के संज्ञान में मामला
शुक्रवार को पटौदी के नागरिक अस्पताल में जो कुछ भी कथित रूप से प्रायोजित हड़ताल सहित धरना पर पैरामेडिकल स्टाफ बैठा , इसकी जानकारी मिलते ही पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार मौका पर पहुंचे । यहां भी उन्होंने प्रोटेस्ट किया जाने का कारण जानना चाहा । इस पर भी हड़ताल सहित धरना पर बैठे स्टाफ में से जवाब दिया गया कि पटौदी नागरिक अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर योगेंद्र सिंह का ट्रांसफर रुकवाया जाए । इस पर एसडीएम प्रदीप कुमार के द्वारा बताया गया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है । जो कुछ भी मांग है वह लिखित में दी जाए, उन मांगो को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा दिया जाएगा। बात करने पर पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार ने बताया कि शुक्रवार के इस घटनाक्रम के विषय में डीसी निशांत कुमार यादव और सीएमओ गुरुग्राम डॉ वीरेंद्र सिंह को अवगत करा दिया गया है । इसके साथ ही उन्होंने हड़ताल सहित धरना पर बैठे पैरामेडिकल स्टाफ को साफ साफ शब्दों में बता दिया कि किसी का ट्रांसफर करना और रोकना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है । यदि किसी मामले की जांच विभागीय स्तर पर चल रही है तो जांच के बाद ही उचित फैसला विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा लिया जा सकेगा।

बिजली आपूर्ति के साथ भी छेड़छाड़
शुक्रवार को इस पूरे कथित प्रायोजित हंगामे के बीच में बेहद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है । अस्पताल की बिजली आपूर्ति में कथित रूप से जानबूझकर किसी के इशारे पर ही बाधित की गई । भाजपा पटौदी मंडल अध्यक्ष कृष्ण यादव सहित अन्य पदाधिकारी जब अस्पताल परिसर में पहुंचे, सबसे पहले उन्होंने विभिन्न डॉक्टरों के कमरे में पहुंचकर यह देखा क्या डॉक्टर वास्तव में अपनी सीट पर बैठ रोगियों या फिर मरीजों को देख रहे हैं या उपचार के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके बाद सीनियर मेडिकल ऑफिसर से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली गई । साथ ही धरना और हड़ताल के विषय में पूछा गया । कृष्ण यादव के मुताबिक अस्पताल में बाधित बिजली आपूर्ति को दोपहर लगभग 12. 30 बजे बहाल करवाया गया । बिजली आपूर्ति को जानबूझकर के बंद किया हुआ था । इसके बाद हड़ताल सहित धरना पर बैठे पैरामेडिकल स्टाफ को समझाया गया कि अपनी ड्यूटी करें।

जांच जारी होगी कठोर कार्रवाई
इस पूरे प्रकरण में पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता से बात करने पर उन्होंने कहा कि पूरा घटनाक्रम उनके संज्ञान में है । हर प्रकार से और प्रत्येक एंगल से हर तथ्य की विभिन्न स्तर पर जांच की जा रही है । जांच में जो भी कोई दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कठोरतम कार्यवाही तो की ही जाएगी , दोषी पाए गए पटौदी अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारी अधिकारी या फिर डॉक्टर के साथ भी किसी प्रकार की राहत की कोई गुंजाइश ही नहीं बचेगी । अस्पताल रोगियों और पीड़ितों के उपचार के लिए है । अपने पद या अधिकार क्षेत्र से बाहर दखल देने या फिर जानबूझकर अन्य किसी प्रकार की शरारत करने वाले कर्मचारी को पटौदी अस्पताल से कार्यमुक्त किया जा सकता है।

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