Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

… ‘1857 का संग्राम-हरियाणा के वीरों के नाम’ एक यादगार शाम

26



… ‘1857 का संग्राम-हरियाणा के वीरों के नाम’ एक यादगार शाम

नाटक में स्वतंत्रता सेनानी राजा राव तुला राम के संघर्ष का जींवत मंचन

स्वतंत्रता की पहली लड़ाई में हरियाणा के वीरों की भूमिका का प्रदर्शन

देश की आजादी की पहली लड़ाई का पहला बिगुल 1857 में बजा था

अहम योगदान देने वाले सदरूदीन मेवाती पर गीत प्रस्तुत किया गया

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम ।
 आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा द्वारा संडे देर सायं को गुरुग्राम के सेक्टर 29 में लगे सरस मेले में सांस्कृतिक संध्या में ‘1857 का संग्राम-हरियाणा के वीरों के नाम’  पर नाटक का मंचन किया गया। देश की आजादी की पहली लड़ाई 1857 में शुरू हुई थी। स्वतंत्रता की इस पहली लड़ाई में हरियाणा के वीरों की भूमिका का चंडीगढ़ से आए कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से प्रभावशाली रूपांतरण किया। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले सदरूदीन मेवाती पर एक गीत प्रस्तुत किया गया, जिसके बोल थे कि “ मैं सदरूदीन किसान का बेटा-माहिर सूं फसल ऊगावण में, देश की खातिर जंग लड़ी थी 1857 में”।सरस मेले की नोडल अधिकारी एवं गुरुग्राम ज़िला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनु शयोकंद ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की तथा हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफ़िसर रिचा कौशल ने अध्यक्षता  की।

कलाकारों ने बताया कि किस प्रकार से अंग्रेजी हकुमत ने हमारे उपर असहनीय जुल्म किए। न केवल हरियाणा बल्कि पूरा हिदुस्तान उनके जुल्म की आग में झुलसा। आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। देश की आजादी के लिए शुरु किए 1857 के संग्राम की शुरुआत अंबाला से 10 मई से हुई थी। इस क्षेत्र के वीर जवानों ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया। नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार स्वतंत्रता सेनानी राजा राव तुला राम ने संघर्ष किया। नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि अंबाला की छावनी नंबर नौ और छावनी नंबर 60वीं ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले विरोध किया और लड़ाई शुरू की। कलाकारों ने बताया कि विवशता के चलते अंग्रेजी सेना में शामिल हुए हमारे सैनिक भी आखिरकार तत्कालीन अंग्रेजी सेना के खिलाफ हुए और सैनिक बहादुर ने अंग्रेजी सेनापति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। कलाकारों ने दर्शाया कि किस प्रकार 1857 में देश ने बहादुरशाह के नेतृत्व में जंग छेड़ दी थी।

आज़ादी को बरकरार रखने व नवनिर्माण में दें योगदान
गुरुग्राम ज़िला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनु श्योकंद ने कहा कि लाखों बलिदानियों की कुरबानियों से देश आजाद हो गया और आज की पीढ़ी पर इस आज़ादी को बरकरार रखते हुए देश को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाना है, भारत को विकसित देशों में शुमार करना है। सभी देशवासियों को भारत के नवनिर्माण में योगदान देना है। समाज में अनेक प्रकार की बुराइयां व्याप्त हैं, जिनको समाप्त करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आजादी के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में गांव रोहनात व आसपास के लोगों ने डटकर लड़ाई लड़ी, परिणाम स्वरूप अंग्रेजों ने पूरे रोहनात गांव को नीलाम कर दिया था। लोगों को तोपों से उड़ा दिया गया और हांसी में लोगों के उपर बुलडोजर चढ़ाए गए, जिसके चलते हांसी में एक सड़क का नाम अब भी लाल सड़क के नाम से है। 
सही आजादी तब जब कोई भूखा नहीं सोए
अनु श्योकंद ने कहा कि देश की सही आजादी तब आएगी जब देश में कोई भूखा नहीं सोएगा, सभी के सिर पर छत होगी, समाज में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति अर्थात् गरीब से गरीब व्यक्ति का भी जीवन स्तर इतना ऊँचा हो कि वह भी स्वाभिमान से अपना जीवन बसर कर सके, यही माननीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का सपना है, जिसे उन्होंने ‘अंतोदय’ का नाम दिया है।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading