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UPI लाइट से कर सकेंगे ऑफलाइन पेमेंट, एक बार में भुगतान की सीमा 500 रुपये

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UPI लाइट से कर सकेंगे ऑफलाइन पेमेंट, एक बार में भुगतान की सीमा 500 रुपये

केंद्र सरकार कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में भारत में हर महीने यूपीआई से पेमेंट का नया रिकॉर्ड बन रहा है। इसी क्रम में अब आरबीआई यूपीआई के जरिए बिना इंटरनेट भी पेमेंट करने का ऑप्शन दे रही है।


जी हां, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने डिजिटल भुगतान को आधुनिक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक और कदम उठाया है। आरबीआई ने ‘यूपीआई लाइट’ पर ऑफलाइन माध्यम से एक बार में भुगतान की सीमा को 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये करने का प्रस्ताव किया है।

ऑफलाइन यूपीआई एक बार में 500 रुपये करने का प्रस्ताव

आरबीआई गवर्नर ने गुरुवार को तीन दिनों तक चली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद इसका ऐलान किया। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक अब यूपीआई से ऑफलाइन भुगतान की भी अनुमति दे रहा है। उन्होंने बताया कि छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान के लिए नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) और यूपीआई लाइट सहित ऑफलाइन मंच से एक बार में 200 रुपये भेजने की सीमा को बढ़ाकर 500 रुपये करने का प्रस्ताव है। हालांकि, अब भी कुल भुगतान की सीमा 2,000 रुपये ही रहेगी।

कमजोर इंटरनेट वाले इलाकों में भी पेमेंट होगा संभव

उन्होंने कहा कि यूपीआई पर छोटे मूल्य के लेन-देन की गति बढ़ाने के लिए सितंबर 2022 में ‘यूपीआई लाइट’ लाया गया था। उन्होंने कहा कि इसको बढ़ावा देने के लिए ‘नियर फील्ड कम्युनिकेशन’ (एनएफसी) तकनीक का उपयोग करके ऑफलाइन लेनदेन की सुविधा प्रदान करने का प्रस्ताव है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इसका मकसद भुगतान के इस तरीके की स्वीकार्यता बढ़ाना है। दास ने कहा कि ये सुविधा न केवल खुदरा क्षेत्र को डिजिटल रूप से सक्षम बनाएगी, बल्कि जहां इंटरनेट व दूरसंचार संपर्क कमजोर है, या उपलब्ध नहीं है वहां कम राशि का लेनदेन इससे संभव हो पाएगा।

पेमेंट से पहले AI आधारित संवाद की सुविधा

इसके अलावा यूपीआई पर कंज्यूमर AI के साथ संवाद करके पेमेंट कर सकेंगे। यानी आरबीआई UPI पर ‘कन्वर्सेशनल पेमेंट्स’ (संवादात्मक भुगतान) की सुविधा शुरू करने जा रहा है। इसके जरिए यूजर्स ट्रांजैक्शन के लिए AI based System के साथ कॉन्वर्सेशन कर पाएंगे, ये एकदम सेफ ट्रांजैक्शन होगा। इससे देश में डिजिटल क्षेत्र का विस्तार होगा। हिंदी और अंग्रेजी के बाद इसे अन्य भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जाएगा।

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