सफल एवं श्रेष्ठ शिक्षक आप भी बन सकते है।
सफल एवं श्रेष्ठ शिक्षक आप भी बन सकते है।
शिक्षकों से संबंधित पाठ्यक्रम।
कुछ पाठ्यक्रम ऐसे हैं जिनमें केवल वही व्यक्ति प्रवेश लेते हैं जो शिक्षक बनने की इच्छा रखते हैं और शिक्षक के रूप में अपना कैरियर प्रारंभ करना चाहते हैं । शिक्षकों से संबंधित कुछ पाठ्यक्रम निम्नलिखित प्रकार से हैं।
✒️1. बी० एड० ( बैचलर ऑफ एजूकेशन )
शिक्षक बनने के इच्छुक युवाओं के मध्य यह पाठ्यक्रम अत्यंत लोकप्रिय है । यह पाठ्यक्रम महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित किए जाते हैं । अभी तक यह पाठ्यक्रम एक वर्ष की अवधि का होता था , लेकिन वर्ष 2015 से इस पाठ्यक्रम की अवधि बढ़ाकर 2 वर्ष कर दी गई है । इस पाठ्यक्रम के लिए सामान्यतः राज्य स्तर पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है और प्रवेश परीक्षा में सफल विद्यार्थियों को ही B.Ed. में प्रवेश दिया जाता है । प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदक का किसी विधा में स्नातक होना अनिवार्य है । यद्यपि B.Ed. भी स्नातक स्तर की ही डिग्री है । B.Ed. की पढ़ाई पूर्ण करके एवं अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण करके B.Ed. डिग्री धारक हाई स्कूल स्तर तक के विद्यालयों में शिक्षक बन सकते हैं । यदि आप B.Ed. के पाठ्यक्रम में प्रवेश चाहते हैं तो तैयारी कीजिए । इसकी प्रवेश परीक्षा बहुत कठिन नहीं है । यदि आप स्नातक स्तर पर अच्छे विद्यार्थी रहे हैं तो यह परीक्षा आसानी से उत्तीर्ण कर सकते हैं । इस परीक्षा में सामान्यत : निम्नलिखित विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं –
✒️न्यूमेरिकल एबिलिटी।
✒️जनरल नालेज एवं मेंटल एबिलिटी।
✒️ इंग्लिश ।
✒️स्नातक स्तर का आपका विषय।
✒️भाषा का ज्ञान।
✒️शिक्षण कला आदि ।
प्रवेश परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं । सभी विश्वविद्यालयों में लगभग समान स्तर का पाठ्यक्रम होता है ।
- बी० टी० सी० ( बेसिक ट्रेनिंग सर्टीफिकेट )
यह पाठ्यक्रम उ० प्र० राज्य में अधिक प्रचलन में है । वैसे बदले हुए नाम से कई अन्य राज्यों में भी यह पाठ्यक्रम चलन में है । उ० प्र० में इस पाठ्यक्रम में केवल उ० प्र० के निवासी ही भाग ले सकते हैं । यह पाठ्यक्रम दो वर्ष की अवधि का होता है और इसमें प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा में शामिल होना होता है । इस परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदक का स्नातक होना जरूरी है । इस पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर लेने के बाद प्राइमरी एवं जूनियर हाई स्कूल तक के विद्यालयों में शिक्षक बना जा सकता है । संभवत : इस पाठ्यक्रम का नाम बदलकर बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजूकेशन किया जा रहा है और 10 + 2 की परीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थी इस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे । यह पाठ्यक्रम चार वर्ष की अवधि का होगा । - एन० टी० टी० ( नर्सरी टीचर ट्रेनिंग )
प्राथमिक विद्यालयों में छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए महानगरों में नर्सरी टीचर ट्रेनिंग का कोर्स बहुत चलन में है , क्योंकि महानगरों में बहुत छोटी उम्र से ही बच्चों को विद्यालय भेज दिया जाता है । इस कोर्स की योग्यता 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण रखी गई है तथा इसमें कहीं – कहीं सीधे और कहीं – कहीं प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है । इस पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष है । प्रवेश परीक्षा में जनरल नालेज , करेंट अफेयर्स , हिंदी , अंग्रेजी और शिक्षण कला से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं । इस पाठ्यक्रम को उत्तीर्ण करने के बाद प्राइमरी विद्यालयों में शिक्षक बना जा सकता है । - जे० बी० टी० ( जूनियर बेसिक ट्रेनिंग )
यह पाठ्यक्रम भी एन० टी० टी० के समान है और 12 वीं उत्तीर्ण विद्यार्थियों को इस पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाता है । इस पाठ्यक्रम में भी कहीं सीधे और कहीं प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया को पूरा करने के बाद प्राइमरी विद्यालयों में जाता है । इस पाठ्यक्रम शिक्षक बना जा सकता है । - बी ० पी ० टी ० ( बैचलर इन फिजिकल एजूकेशन )
बैचलर इन एजूकेशन की भांति ही बैचलर इन फिजिकल एजूकेशन का भी पाठ्यक्रम होता है । जो लोग खेलकूद आदि में रुचि रखते हैं , वे लोग इस पाठ्यक्रम को पूरा करते हैं । आजकल लगभग सभी विद्यालयों में और महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में खेलकूद विभाग होते हैं जिनमें शारीरिक शिक्षकों की आवश्यकता होती है । बी ० पी ० टी ० के पाठ्यक्रम कई अवधियों के होते हैं । अपनी शैक्षिक योग्यता के अनुरूप यह पाठ्यक्रम पूरा किया जा सकता है । उपरोक्त सभी पाठ्यक्रम भारत के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं लेकिन IGNOU द्वारा दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से भी अध्ययन की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है ।
✒️प्रतियोगी परीक्षाएं।
शिक्षक बनने के लिए केवल पाठ्यक्रम पूरा कर लेना ही पर्याप्त नहीं है । शिक्षक के पद पर भर्ती के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं । - टी० जी० टी० ( ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर )
बी० एड० का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद यद्यपि डिग्री धारक शिक्षक बनने के लिए पात्र हो जाता है , लेकिन उसे सरकारी विद्यालयों में सीधे शिक्षक नियुक्त नहीं किया जा सकता । कक्षा 6 से कक्षा 10 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए ट्रेंड ग्रेजुएट टीचरों की आवश्यकता होती है । लगभग सभी राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर की भर्ती की जाती है । इसके लिए विज्ञापन निकाल कर आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाते हैं । इस परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए आवेदक को स्नातक होने के साथ – साथ B.Ed. की डिग्री धारक होना अनिवार्य है । विषयवार लिखित परीक्षा आयोजित करके योग्य अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है । चयन की मेरिट सूची में शामिल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया जाता है और अंतिम रूप से चयन के बाद उन्हें शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाता है । कुछ राज्यों में सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के लिए भी ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर की भर्ती की जाती है ।
✒️2. पी ० जी ० टी ० ( पोस्ट ग्रेजुएट टीचर )
जो लोग परास्नातक स्तर की डिग्री धारक हैं और साथ में बी ० एड ० की डिग्री भी रखते हैं , वे लोग पी ० जी ० टी ० के लिए पात्र माने जाते हैं । पी ० जी ० टी ० सरकारी एवं अशासकीय विद्यालयों में कक्षा 11 एवं कक्षा 12 के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किए जाते हैं । सामान्यतः इन्हें व्याख्याता ( लेक्चरर ) कहा जाता है । इस श्रेणी के शिक्षकों की नियुक्ति भी राज्य सरकारों के स्तर पर नियुक्त निकायों या लोक सेवा आयोगों द्वारा की जाती है । इस श्रेणी के लिए भी विस्तृत विज्ञापन प्रकाशित करके आवेदन पत्र मांगे जाते हैं । विषय के अनुरूप प्रतियोगी परीक्षा एवं साक्षात्कार के माध्यम से चयन की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है
✒️3. टी० ई० टी० ( टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट )
भारत के कई राज्यों में शिक्षक बनने के लिए टी० ई० टी० की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है । B.Ed. एवं D.Ed. के डिग्री धारक इस परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए पात्र होते हैं । अब तो कई राज्यों के मा ० उच्च न्यायालयों ने भी यह अनिवार्य कर दिया है कि शिक्षक बनने के लिए यह परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी । यह एक प्रतियोगी परीक्षा होती है । इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद परीक्षा आयोजक संस्था द्वारा एक प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है । इस प्रमाण पत्र का धारक शिक्षक भर्ती कार्यक्रम में शामिल हो सकता है । यह प्रमाण पत्र 5 से 7 वर्ष तक के लिए वैध होता है ।
✒️4. सी० टी० ई० टी० ( सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट )
इस परीक्षा का आयोजन सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन द्वारा किया जाता है । इस परीक्षा में बी० एड० डिग्री धारक ही शामिल हो सकते हैं । इस परीक्षा को कम से कम 60 % अंकों के साथ उत्तीर्ण करना होता है । इस परीक्षा के आधार पर केंद्रीय विद्यालयों , नवोदय विद्यालयों , तिब्बती स्कूल , सैनिक स्कूलों और राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधीन विद्यालयों में शिक्षक बना जा सकता है । इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद एक प्रमाण पत्र दिया जाता है , जो 5 से 7 वर्षों तक मान्य रहता है ।
✒️5. यू० जी० सी० नेट ( टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट )
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( UGC ) द्वारा शोध कार्यों को बढ़ावा देने तथा शिक्षकों की पात्रता निर्धारण हेतु राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा ( नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट ) का प्रति वर्ष आयोजन किया जाता है । यह परीक्षा वर्ष में दो बार अर्थात दिसंबर और जून माह में देश के विभिन्न केंद्रों में आयोजित की जाती है । इस परीक्षा के मुख्यतः दो उद्देश्य होते हैं । प्रथम शोध कार्यों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करना और दूसरा शिक्षकों हेतु पात्रता का मापदंड निर्धारित करना । नेट की परीक्षा उर्त्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए पात्र होते हैं । प्रारंभ में इन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया जाता है । बाद में अनुभव के आधार पर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर पदोन्नति की जाती है । नेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए व्याख्याता हेतु कोई उम्र सीमा नहीं रखी गई है । सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए केवल 55 % या अधिक अंकों के साथ संबंधित विषय में माष्टर डिग्री अनिवार्य है । अन्य आरक्षित वर्गों के लिए यह प्रतिशत 50 रखा गया है । यू ० जी ० सी ० द्वारा नेट परीक्षा के लिए आर्ट विषय के 94 विषयों को मान्यता दी गई है । विज्ञान विषयों को अलग रखा गया है । नेट की परीक्षा में तीन प्रश्न – पत्र होते हैं जिनकी परीक्षा एक ही दिन में दो पारियों में संपन्न करायी जाती है । प्रथम प्रश्न पत्र सामान्य बोध पर आधारित होता है जबकि शेष दो प्रश्न पत्र विषय से संबंधित होते हैं । यदि आप शिक्षक बनना चाहते हैं तो अपनी योग्यता और पात्रता के अनुसार उपरोक्त किसी प्रतियोगी परीक्षा को उत्तीर्ण करके बन सकते हैं ।
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