भूलते जा रहे हैं वैदिक कैलेंडर, अंग्रेजी मीडियम वाले खास ध्यान दें ।
भूलते जा रहे हैं वैदिक कैलेंडर, अंग्रेजी मीडियम वाले खास ध्यान दें ।
- चैत्र
- वैशाख
- ज्येष्ठ
- आषाढ़
- श्रावण
- भाद्रपद
- अश्विन
- कार्तिक
- मार्गशीर्ष
- पौष
- माघ
- फाल्गुन
चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास होता है, जिस दिन ये मास आरम्भ होता है, उसे ही वैदिक नव-वर्ष मानते हैं l चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख मास आता है जो अप्रैल-मई के मध्य में आता है, ऐसे ही बाकी महीने आते हैं l फाल्गुन मास हमारा अंतिम मास है जो फरवरी-मार्च में आता है, फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की सम्पति हो जाती है, फिर अगला वर्ष चैत्र मास का पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नववर्ष आरम्भ होता है।
हमारे समस्त वैदिक मास (महीने) का नाम 28 में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं।
जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम हुआ।
- चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास
- विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास
- ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास
- पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़
- श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास
- पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद
- अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास
- कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास
9,. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास - पुष्य नक्षत्र से पौष मास
- माघा मास से माघ मास
- पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास
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