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विलुप्त हो रहे ब्रज की रासलीला को बचाएगी योगी सरकार, ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने भातखंडे यूनिवर्सिटी से किया MOU

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विलुप्त हो रहे ब्रज की रासलीला को बचाएगी योगी सरकार, ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने भातखंडे यूनिवर्सिटी से किया MOU

द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में जिन लीलाओं को किया। उन्हीं लीलाओं का मंचन सदियों से ब्रज भूमि के साथ-साथ देश-विदेश में होता रहा है। लेकिन आज के समय में रासलीला कला विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। इस कला को जीवंत रखने के लिए यूपी की योगी सरकार ने पहल शुरू की है।

रासलीला में भगवान के विभिन्न स्वरूप बनने की इच्छा रखने वाले कलाकारों के लिए 1 वर्ष का कोर्स कराया जाएगा। ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने इसके लिए भातखंडे यूनिवर्सिटी लखनऊ के साथ मिलकर एमओयू साइन किया है। इसके तहत रासलीला अकादमी में एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स कराएगा। फॉर्म भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। फॉर्म वृंदावन की रासलीला एकेडमी से प्राप्त की जा सकती है।

ब्रज में रासलीला को भगवान की सेवा का एक अभिन्न अंग माना जाता रहा है। रासलीला करने के लिए 3 दशक पहले तक ब्रज में 25 से 30 हजार युवा जुड़े थे। ब्रज के वृंदावन, मथुरा, बरसाना, नंदगांव आदि जगहों पर सैंकड़ों मंडलियां होती थी। इन मंडलियों में लीला का मंचन करने वाले युवा लंबे समय तक अभ्यास करते थे। इसके बाद वह भगवान की लीलाओं का मंचन किया करते थे।

30 साल पहले तक रासलीला करने के लिए युवा उत्साहित नजर आते थे। वह अब धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। रासलीला पर आधुनिकता हावी होती जा रही है। आज के समय रासलीला सीखने वाले कम युवा रहे गए हैं। मंडलियों की संख्या में भी कमी है। स्वामी घनश्याम बताते हैं, युवाओं की संख्या में आई कमी की सबसे बड़ी वजह मोबाइल और इस काम में मेहनत के अनुरूप राशि न मिलना है। अब रासलीला से जुड़े अधिकांश लोग अब या तो भागवत कथा कर रहे हैं या फिर पांडित्य कार्य।

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