जी हां यह बिल्कुल सच है कूङा करकट रखने की जगह न घर में और न ही बाहर बची
जी हां यह बिल्कुल सच है कूङा करकट रखने की जगह न घर में और न ही बाहर बची सबसे गंभीर समस्या वार्ड नंबर 7 और वार्ड नंबर 8 के निवासियों के लिए यहीं पर ही आबादी के बीचो बीच बनाया गया है डंपिंग यार्ड कूङा करकट कि सड़ांध और बदबू से फैल रही है बीमारियां पटौदी के एसडीएम की गैर मौजूदगी में तहसीलदार को दिया ज्ञापन फतह सिंह उजाला पटौदी 22 अगस्त । एक वह जमाना भी था जब अहीरवाल पटौदी क्षेत्र के लोग सीना चौड़ा कर बोलते थे यहां तो घर-घर से सैनिक निकलते हैं। यह आज भी सच है। लेकिन इससे एक कदम आगे और भी कडवा सच यह है कि अब पटौदी के बहुत बड़े हिस्से या फिर रिहायशी क्षेत्र मैं हम जनता अपने स्वास्थ्य और स्वच्छ और पर्यावरण के लिए संघर्ष करती दिखाई दे रही है । पटौदी मंडी नगर परिषद बनाए जाने के साथ ही दायरे में रहने वाले लोगों को मिलने वाली सुविधाओं की तरफ शायद चिंतन और मंथन की नहीं किया गया । यही कारण है पिछले कई वर्षों से चली आ रही हेली मंडी क्षेत्र में रिहाइसी बस्ती के बीच में डंपिंग यार्ड नासूर बनता चला आ रहा है । पटौदी रेलवे स्टेशन के निकट वार्ड नंबर 7 बाबा हरदेवा कॉलोनी और जयदेव कॉलोनी वार्ड नंबर 8 पार्ट दो में बनाए गए डपिंग यार्ड मैं समस्त हेली मंडी नगर पालिका क्षेत्र का विभिन्न वार्डों तथा अलग-अलग मार्केट से कूड़ा करकट लाकर यहां पटका जा रहा है। इसका यहां रहने वाले निवासी पिछले कई वर्षों से विरोध करते आ रहे हैं । यहां पर अधिकांश अनुसूचित वर्ग और पिछड़े वर्ग के निवासी रहते हैं। मंगलवार को आजाद, मीना, नवीन, ललित, पुष्पा, संजू, रेणु, मीनू, सुनीता, शीला, गीता, सुषमा, उषा, कौशल्या, राजू ,रजनी, विमला, राम दुलारी, रोशनी, विमला, विनोद कोशिक, संदीप और अन्य ने पटौदी के एसडीएम की गैर मौजूदगी में पटौदी के तहसीलदार को गंदगी सहित कूङा करकट से छुटकारा दिलाने के लिए ज्ञापन दिया । ज्ञापन देने वालों का कहना है कि बरसात के कारण कूङा करकट की बदबू से आम लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है । डेंगू वायरल बुखार जैसी सीजनल बीमारियां घर-घर में फैली हुई है । बच्चे, रोगी और बुजुर्ग सबसे अधिक परेशान हो रहे हैं । छोटे बच्चों का खेलना और बड़े लोगों का बाहर सुबह शाम के समय भ्रमण करना बंद हो चुका है। क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को कई बार यहां गंभीर होती जा रही कूङा करकट की इस समस्या के विषय में अवगत जा चुका है। जनप्रतिनिधि और अधिकारी मोका मुआयना के लिए तो पहुंचते हैं । समाधान का भरोसा भी दिलाते हैं, लेकिन एक दिन बीत रहा है और यहां रहने वालों का जीवन नर्क बनता जा रहा है।
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