राम मंदिर शिलान्यास का साक्षी होना जीवन का सौभाग्य- विट्ठल गिरी
राम मंदिर शिलान्यास का साक्षी होना जीवन का सौभाग्य- विट्ठल गिरी
भगवान श्री राम वास्तव में जीवन जीने के जीवट काही नाम
जिसके भी जीवन काल में राम मंदिर का शिलान्यास उसका जीवन धन्य
भगवान राम ने जीवन के लिए मर्यादा और युद्ध के लिए दी शिक्षा
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम 30 दिसंबर । अयोध्या जो कि पूरे ब्रह्मांड में धर्म नगरी और भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में स्थापित है। वहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर के शिलान्यास और रामलाल के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी होना जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है । सही मायने में भगवान राम ने अपने जीवन काल में शिक्षा से लेकर युद्ध करने तक बहुत कुछ शिक्षा भी दी है। यह प्रतिक्रिया जूना अखाड़े के महंत और बुचावास कनीना आश्रम या फिर महंत लक्ष्मण गिरि गौ सेवा धाम के संचालक विट्ठल गिरी महाराज ने राम मंदिर शिलान्यास आयोजन का साक्षी बनने का निमंत्रण मिलने के उपरांत अपनी प्रतिक्रिया में जाहिर की।
विट्ठल गिरी महाराज ने कहा पोष शुक्ल द्वादशी विक्रम संवत 2080 सोमवार 22 जनवरी 2024 वह ऐतिहासिक दिन और तिथि होगी, जब गर्भगृह में रामलाल के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी बनने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय की तरफ से निमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ है । 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में पूरे ब्रह्मांड के कोने-कोने से भगवान श्री राम के भक्त और अनुयाई साक्षी बनने के लिए पहुंचेंगे । ऐसे में अनुरोध किया गया है कि आमंत्रित अतिथि 21 जनवरी से पहले पधारे और 23 जनवरी के उपरांत ही प्रस्थान का अपना कार्यक्रम बनाएं ।
उन्होंने कहा लगभग 500 वर्ष के लंबे संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद ही भगवान श्री राम के अयोध्या में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सका है। इसके लिए अनेक लोगों और प्रकांड विद्वान साधु संतों के द्वारा माननीय अदालत के समक्ष अकाट्य साक्ष्य प्रस्तुत किए गए । विट्ठल गिरी महाराज ने कहा सही मायने में भगवान श्री राम और उनका जीवन आदर्श जीवन जीने की पद्धति की शिक्षा प्रदान करता है । भगवान श्री राम अपने भाइयों और भार्या के साथ महल से लेकर बीयाबान जंगलों में भी रहे। उन्होंने आश्रम में रहकर शास्त्र और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही अपने युद्ध कौशल का भी परिचय करवाया। भगवान श्री राम के जीवन चरित्र और आदर्श को प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आत्मसात करना चाहिए । वास्तव में देखा जाए तो भगवान श्री राम कण-कण और रोम रोम में व्याप्त है।
विट्ठल गिरी महाराज ने कहा भारतीय सनातन संस्कृति में हमारी अपनी प्रातः काल का आरंभ भी राम-राम से ही होता है । इतना ही नहीं विभिन्न सुरक्षा बलों में भी एक दूसरे का अभिवादन राम-राम कहकर ही किया जाता है । यह भी कटु सत्य है कि हमारे अपने जीवन के अंतिम काल में प्राण विसर्जन के उपरांत अंतिम संस्कार के समय भी राम का ही नाम लिया जाता है । कहा भी गया है राम से बड़ा राम का नाम । ऐसे में इस बात में किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए कि जिस भी व्यक्ति के जीवन काल में भगवान श्री राम के भव्य राम मंदिर का शिलान्यास और रामलाल के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, ऐसे सभी प्राणियों का जीवन और जीवन काल धन्य है।
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