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हरियाणा में 10 के 10 का दंभ, क्यों रह गया आधा अधूरा

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हरियाणा में 10 के 10 का दंभ, क्यों रह गया आधा अधूरा

सुपर सीएम खट्टर और सीएम सैनी के द्वारा की गई ताबड़तोड़ रैलियां

पीएम मोदी, सीएम योगी, जेपी नड्डा, राजनाथ व अन्य स्टार प्रचारक पहुंचे

आधे हरियाणा में ही खिला कमल और और आधे हरियाणा में पंजा मजबूत

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम । वर्ष 2019 के जैसी मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा के द्वारा हरियाणा प्रदेश में 10 के 10 कमल खिलाने का दावा किया गया । इसके लिए आम चुनाव की घोषणा होने से पहले ही भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व और हरियाणा भाजपा के द्वारा अपनी रणनीति के तहत प्रचार अभियान भी आरंभ कर दिया गया। सभी 10 लोकसभा क्षेत्र में कमल के फूल खिले, इसके लिए दुनिया की सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी के द्वारा मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान, पन्ना प्रमुख की कार्यशाला से लेकर विभिन्न प्रकार के आयोजन किए गए। आखिर ऐसे क्या और कौन से कारण रहे 2019 की तरह 2024 में मोदी मैजिक से 10 के 10 कमल के फूल नहीं खिल सके ? दूसरी तरफ भाजपा के मुकाबले देरी से उतारे गए मुख्य प्रतिद्वंद्वी पॉलीटिकल पार्टी कांग्रेस के उम्मीदवार आधे हरियाणा में पंजा को मजबूत करने में कामयाब रहे हैं।

पीएम मोदी के द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में अंतिम समय में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में रेलिया की गई । इसी कड़ी में हरियाणा प्रदेश में सुपर सीएम  कहलाने वाले मनोहर लाल खट्टर और सीएम नायब सैनी के द्वारा सभी विधानसभा क्षेत्र में ताबड़तोड़ रेलिया को संबोधित करते हुए भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए पसीना बहाया गया । पीएम मोदी के अलावा भाजपा की तरफ से स्टार प्रचारक कहे जाने वाले यूपी के सीएम योगी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित और भी बड़े चेहरे हरियाणा में कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के मुकाबले में भाजपा की जीत का रास्ता तैयार करने के लिए पहुंचे, फिर भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आर एन शर्मा का इस संदर्भ में कहना है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं। इसी प्रकार से लोकसभा चुनाव में संबंधित राज्य के मुद्दे भी अलग-अलग ही होते हैं । भाजपा के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अनेक विकास परियोजनाएं धरातल पर लाई गई। लेकिन कुछ मामले ऐसे भी रहे जिनको लेकर किसान वर्ग से लेकर आम जनमानस और सरकारी कर्मचारियों में भाजपा को लेकर नाराजगी देखी गई। लोगों की इस नाराजगी में कहीं ना कहीं राज्य सरकार की नीतियों को लेकर भी चर्चा होती रही । विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहे । सबसे महत्वपूर्ण किसान आंदोलन कहा जा सकता है। भाजपा के द्वारा किसान और कृषि हित में जो कुछ भी घोषणा और वादा किया गया , किसानों के मुताबिक उसको पूरा नहीं किया गया । परिणाम स्वरूप किसान वर्ग सड़कों पर उतरकर दिल्ली की सीमा पर जा बैठा । 

इसी प्रकार से परिवार पहचान पत्र छोटी-छोटी त्रुटियों को सही करवाने के लिए आम जनमानस सरकारी कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हुआ। ऐसे ही और भी विभिन्न कारण रहे हैं , जिनको लेकर ऐसा महसूस किया गया कि लोगों ने बिना शोर मचाए राजनीतिक बदलाव का मन बनाया हुआ है । जिसका परिणाम हरियाणा प्रदेश में पांच लोकसभा क्षेत्र में कमल के फूल खिला और पांच लोकसभा क्षेत्र में पंजाब मजबूत होकर सामने आना कहा जा सकता है । इसी कड़ी में कांग्रेस के द्वारा अपने घोषणा पत्र में जनता के बीच कांग्रेस पार्टी के प्रति विश्वास मजबूत करने के वादे किए गए। इन वादों पर लोगों के द्वारा भरोसा भी जाहिर किया गया । आम चुनाव के बाद अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने प्रस्तावित है । अब देखना यही होगा कि विधानसभा चुनाव में मुख्य पॉलीटिकल पार्टी भाजपा और कांग्रेस कौन से मुद्दे लेकर आम जनता का विश्वास जीतने में सफल रहेगी।

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