हमें छींक आती है तो हमारी आँखें बंद क्यों हो जाती हैं?
हमें छींक आती है तो हमारी आँखें बंद क्यों हो जाती हैं?
अक्सर जब हमें छींक आती है तो हमारी आँखें बंद हो जाती हैं. जैसे ही छींक आने का अंदेशा होता है वैसे ही आँखों को पता चल जाता है और पलकें खुद ही बंद होने लगती हैं. क्या आप जानते हैं कि छींक आने के दौरान आँखें बंद होने का कारण क्या है? आखिर हमें छींक आती ही क्यों है? अपने इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इसके बारे में बताएंगे और यह भी जानकारी देंगे कि छींक आने का फायदा क्या है.
📌छींक आने पर इसलिए बंद हो जाती हैं आँखें-
छींक आना शरीर की एक सामान्य गतिविधि है. वैसे ऑख खोलकर छींकना बहुत ही कठिन है या यॅू कहें कि नामुमकिन है। दसअसल जब हमारी नांक में कोई धूल का बड़ा कण फंस जाता है तो हमारा दिमाग हमारे फेंफडों को उसे बाहर निकालने का संदेश देता है और उसी को बाहर निकालने के लिए हमारे फेंफडों को अधिक हवा बाहर फेंकनी पडती है और इस प्रक्रिया के अन्तर्गत हमें छींक आती है।
जब हमें छींक आती है शरीर के बहुत से अंग ऐसे होते हैं जो कि एक्टिव हो जाते हैं. ट्राइजेमिनल नाम की तंत्रिका की छींकने में खास भूमिका होती है. इस तंत्रिका के द्वारा हमारी आँखों, मुंह और नाक को नियंत्रित किया जाता है. इसी वजह से छींकने के दौरान इन तीनों अंगों पर दबाव पड़ता है जिसके चलते आँखें बंद हो जाती हैं.
📌छींक आने का कारण क्या है –
सामान्य स्थिति में दिन में एक-दो बार और सर्दी-जुकाम होने पर हमें बार-बार छींक आती है. असल में हमारी नाक के अंदर एक झिल्ली पाई जाती है. इसे म्यूकस कहते हैं. यह बहुत नाजुक और संवेदनशील झिल्ली होती है. सांस के जरिए नाक में आने वाले बाहरी कणों या संवेदनशील गंध को महसूस करने पर इस झिल्ली के द्वारा दिमाग को संदेश दिया जाता है. जिससे बाद हमारे फेफड़े के द्वारा इस प्रक्रिया में शामिल होकर छींक आने में अपनी भूमिका निभाई जाती है. छींक आने से अनावश्यक कण नाक से बाहर निकल जाते हैं.
📌छींक को रोकने की न करें कोशिश-
बहुत से लोग पब्लिक प्लेस या ऑफिस जैसी जगह पर होने के दौरान छींक को रोकने की कोशिश करते हैं. यह आपकी सेहत लिए बहुत घातक हो सकता है. छींक को नियंत्रित न करके रुमाल को अपने मुंह और नाक से लगाकर छींक लेना चाहिए. इससे आपके गले और नाक में मौजूद अनावश्यक कण भी बाहर निकल जाते हैं. एक तरह से नाक, गले की सफाई हो जाती है.
निष्कर्ष यह है कि छींक आना एक स्वभाविक प्रकिया है और हमारे लिए तनिक भी हानिकारक नहीं है।
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