जहाँ यश, धर्म, सत्यता वहाँ धन लक्ष्मी एक वास्तविक धन की कहानी!!
जहाँ यश, धर्म, सत्यता वहाँ धन लक्ष्मी= एक वास्तविक धन की कहानी!!
★बहुत समय पहले विष्णु के परम भक्त एक सेठ थे। उनके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी। दिनरात विष्णु जी की भक्ति में लीन रहते थे। हमेशा सच बोलते थे। सभी की मदद करते थे। एक बार भगवान विष्णु जी देवी लक्ष्मी जी से सेठ की खूब तारीफ कर रहे थे तो मां लक्ष्मी जी ने विष्णु जी से कहा, ” स्वामी आप इस सेठ की इतनी प्रशंसा कर रहे हैं, क्या यह प्रशंसा के योग्य हैं। क्यों न आज इनकी परीक्षा लिया जाए।”
★ भगवान विष्णु ने कहा, “अभी सेठ गहरी निंद्रा में हैं, आप चाहे तो उनकी परीक्षा ले सकती हैं।
★ इधर सेठ गहरी नींद में सो रहे थे। तभी माता लक्ष्मी उनके सपने में आईं। उन्होंने कहा कि हे मनुष्य! मैं धन-संपदा देने वाली देवी महालक्ष्मी हूं।
★ गहरी नींद में सो रहे सेठ जी को आश्चर्य हुआ। उन्हें एक पल विश्वास नहीं हुआ कि उनके स्वप्न में मां लक्ष्मी जी उन्हें दर्शन दे रही हैं।
★सेठ जी बोले, ” यह मेरा सौभाग्य है कि मां लक्ष्मी आपने मुझे स्वप्न में दर्शन दिया। देवी मां मैं धन्य हो गया, बताइए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं।”
★ मां लक्ष्मी ने कहा कि बस इतनी-सी बात है कि मैं तुम्हारे इस भवन में वर्षों से रह रही हूं, अब मेरा मन यहां नहीं लगता है। मेरा स्वभाव चंचल है, अब मैं तुम्हारे भवन से जा रही हूं।
★ सेठ ने विनम्रपूर्वक मां लक्ष्मी से आग्रह करते हुए कहा, ” मां आप यही रहें। यह मेरा निवेदन है। लेकिन आपका यहां मन नहीं लग रहा है तो मैं कैसे आपको रोक सकता हूं। आप अपनी इच्छा के अनुसार जहां चाहे वहां जा सकती हैं।”
★इसके बाद मां लक्ष्मी उस सेठ के घर से चली गई।
★ कुछ समय पश्चात मां लक्ष्मी अपना रूप बदल के ‘यश’ के रूप में आई। सेठ अभी भी गहरी नींद में थे। यश के रूप में आई हुई लक्ष्मी ने सेठ से बोली, “सेठ, तुम मुझे पहचान रहे हो, मैं कौन हूं?”
★सेठ ने कहा, “श्रीमान! मैंने आपको नहीं पहचाना।”
★ यश के रूप में आई हुई मां लक्ष्मी ने कहा, ” मैं यश हूं। तुम्हारी प्रसिद्धि और कीर्ति मेरे ही वजह से है। पर अब लक्ष्मी देवी यहां से चली गई है तो अब मेरा क्या काम? मैं तुम्हारे साथ अब नहीं रहना चाहता हूं।”
★ सेठ ने कहा कि अगर आप भी जाना चाहते हैं तो चले जाइए, जैसी आपकी इच्छा।
★ सेठ जी अभी भी गहरी नींद में थे और उन्होंने सपना देखा धीरे-धीरे वे गरीब हो गए हैं। उनके गरीब होने पर उनके नाते-रिश्तेदार सभी उनसे दूर हो गए हैं। वे अब अकेले हैं। सेठ के पास ढेर सारा धन दौलत था, तब उनके रिश्तेदार और साथी उनका गुणगान करते थे पर अब वे गरीब हो गए हैं, अब यही लोग सेठ जी की बुराई करने लगे। सेठ जी सब स्वप्न में देख रहे थे।
★ मां लक्ष्मी धर्म का रूप धारण करके दोबारा सेठ जी के सपने में आईं।
★ उन्होंने कहा कि सेठ मैं धर्म हूं। अब मैं भी तुम्हारे साथ नहीं रह सकता हूं। मां लक्ष्मी और यश के चले जाने के बाद अब तुम दरिद्र हो गए हो, अब मैं तुम्हारे पास नहीं रुकूंगा इसलिए मैं भी तुम्हें छोड़कर जा रहा हूं।
★सेठ ने कहा, “जैसी आपकी इच्छा।’
★ सेठ जी का साथ धर्म भी छोड़कर चला गया।
★ कुछ पल बीतने के बाद सत्य का रूप धारण कर सेठ के सपने में मां लक्ष्मी फिर आईं। उन्होंने कहा, ” मैं सत्य हूं। मां लक्ष्मी, यश, और धर्म के जाने के पश्चात अब मैं भी यहां नहीं रहूंगा, मेरा क्या काम।”
★ इतना सुनते ही सेठ जी ने तुरंत सत्य के पैर पकड़ लिए और बोले, ” महाराज मैं आपको नहीं जाने दूंगा। पहले सभी ने मेरा साथ छोड़ दिया है, मुझे त्याग दिया है। पर आप मुझ पर दया करिए, कृपया मुझे छोड़कर यहां से मत जाइए। सत्य के बिना मैं एक पल अपना जीवन नहीं गुजार सकता हूं। अगर आप चले जाएंगे तो मैं अपना शरीर त्याग दूंगा।”
★ सत्य ने सेठ जी से प्रश्न किया, “तुमने मां लक्ष्मी, यश और धर्म तीनों को बड़ी ही सहजता से जाने दिया। तुमने उन्हें रोका क्यों नहीं।”
★ सेठ जी ने बड़ी ही विनम्रता से जवाब दिया, “मेरे लिए वे तीनों बहुत ही महत्व रखते हैं पर उन तीनों के बिना भी मैं अपने भगवान की पूजा-आराधना, जप-तप कर सकता हूं। भगवान की कृपा प्राप्त कर सकता हूं लेकिन सत्य महाराज अगर आप मेरा साथ छोड़ देंगे तो मुझ में झूठ भर जाएगा। जब मेरे अंदर सच्चाई नहीं होगी तो मेरे वाणी (बोली) में झूठ होगा तो मैं ईश्वर की भक्ति कैसे प्राप्त कर पाऊंगा? झूठ के कारण मेरे व्यवहार में लालच, बुराई, चालाकी भर जाएगी। तब मैं सच का साथ नहीं दे पाऊंगा, तब मैं अपने भगवान की किस मुंह से वंदना करूंगा। इस तरह से मैं अपने भगवान से दूर हो जाऊंगा।”
★सेठ जी का उत्तर सुनकर सत्य बहुत प्रसन्न हुआ और कहा कि तुम्हारी अटूट भक्ति से मैं प्रसन्न हुआ इसलिए मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। तुम एक अच्छे व सच्चे इंसान हो।
★इतना कहते हुए ‘सत्य’ अंतर्ध्यान हो गए।
★ सेठ जी अभी भी गहरी निंद्रा में थे। तत्पश्चात उनके सपने में धर्म वापस आया और उसने कहा कि मैं अब तुम्हारे पास ही रहूंगा क्योंकि यहां सत्य का निवास है। सेठ जी ने खुश होकर कहा ‘धर्म’ आपका स्वागत है!
★उसके कुछ ही पल बाद ‘यश’ वापस आए और बोले, ” जहां सत्य और धर्म रहता है, वहां यश अपने आप ही आ जाता है, सेठ मैं भी अब तुम्हारे साथ ही रहूंगा।”
★ सेठ जी प्रसन्न हो गए और यश का स्वागत किया।
★ स्वप्न में अभी सेठ जी थे। तभी अंत में मां लक्ष्मी आईं। उन्हें देखते ही सेठ नतमस्तक हो गए और कहा हे देवी, क्या आप भी पुनः मेरे घर पधारेंगी। मुझ पर कृपा करेंगी।
★ महालक्ष्मी ने कहा कि अवश्य, जहां पर सत्य, धर्म और यश होता है, वहीं पर मेरा निवास होता है।
★ महालक्ष्मी की इस कृपा को सुनते ही सेठ जी की नींद खुल गई। उन्हें यह सपना लगा लेकिन यह तो उनकी एक कठिन परीक्षा थी, जिसमें सेठ जी पास हो गए।
★ उनकी सत्यता और भक्ति ने उन्हें धन, यश, धर्म सब कुछ दे दिया।
★ दोस्तों हमेशा स्मरण रखना कि जहां सत्य का निवास होता है, वहीं पर यश, धर्म और लक्ष्मी का निवास अपने आप ही हो जाता है इसलिए हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए सत्य को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए !
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