भगवान से क्या मांगें?
भगवान से क्या मांगें?
सन्त जन कहते हैं कि हमें भगवान से कुछ माँगना नहीं चाहिए और अगर माँगना ही है तो माँगना आना चाहिए। मांगना भी एक कला है जैसे …..
1-भक्त प्रहलादजी ने भगवान से माँगा: “हे प्रभु मैं यह माँगता हूँ कि मेरी माँगने की इच्छा ही खत्म हो जाए।”
2-महारानी कुंती ने भगवान से माँगा: “हे प्रभु मुझे बार-बार विपत्ति दो ताकि आपका स्मरण होता रहे।”
3-महाराज पृथु जी ने भगवान से माँगा: “हे प्रभु मुझे दस हजार कान दीजिये ताकि मैं नित्य आपकी पावन लीला गुणानुवाद का अधिक से अधिक रसास्वादन कर सकूँ।”
4-और वानरराज सुग्रीव जी तो बड़ा ही सुंदर कहते हैं …..
“अब प्रभु कृपा करो एही भाँती।
सब तजि भजन करौं दिन राती॥”
अथार्त : हे प्रभो अब तो इस प्रकार कृपा कीजिए कि सब छोड़कर दिन-रात मैं आपका भजन ही करूँ। यानि भगवान से माँगना दोष नहीं मगर साथ में क्या माँगना ये हमें आना चाहिए। श्री हरि-सुकृपा हम सभी पे बनी रहे।
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