ब्रह्म गायत्री क्या हैं
ब्रह्म गायत्री क्या हैं !!
परमपूज्य गुरुदेव गायत्री महाविज्ञान में लिखते हैं –
गायत्री ईश्वरीय दिव्य शक्तियों का एक पुंज है। उस पुंज में कितनी शक्तियां निहित हैं,इसकी कोई संख्या नहीं बतायी जा सकती। उसके गर्भ में शक्तियों का भण्डार है।
गायत्री की अनन्त शक्तियों में से मनुष्य को बहुत थोड़ी शक्तियों का अभी तक पता चला है और जिन शक्तियों का पता चला है उनमें से बहुत थोड़ी उपयोग में आई हैं। जो शक्तियां अब तक जानी जा चुकी हैं,समझी जा सकती हैं,उनकी संख्या लगभग एक हजार है।
कहने का तात्पर्य यह हैं कि अब तक गायत्री की अनंत शक्तियों का ज्ञान हमारे सामने नही आया हैं ।
ऋषियों ने मुनियों ने तत्त्वदर्शियों ने सर्व साधारण के लिये समय को देखते हुये अलग-अलग ढंग से गायत्री के अंश का प्रस्तुतिकरण किया हैं ।
वेद काल मे गायत्री मन्त्र ही था। जिसे हम ब्रह्म गायत्री कहते हैं –
वैदिक गायत्री मंत्र जिसका हम प्रतिदिन उच्चारण करते हैं जो गुरुदेव ने हम सबको दिया हैं वो हैं ब्रह्म गायत्री – ॐ भूर्भूवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमही धियो यो नः प्रचोदयात्।
कालांतर में इसके साथ एक से अधिक गायत्री मंत्र का चलन शुरू हो गया। कोई एक,कोई दो, कोई तीन,कोई पांच ॐ के साथ गायत्री मन्त्र का उच्चारण करने लगें। परमपूज्य गुरुदेव लिखते ॐ तो विशुद्ध ब्रह्म ही हैं,जो फायदा एक ॐ लगाने से मिलता हैं वही फायदा 5 ॐ लगाने से मिलता हैं । लेकिन शुद्ध रूप से गायत्री में एक ही गायत्री हैं – इसलिए गुरुदेव ने हमे वही दिया और हम सब उसका उच्चारण करते हैं – ब्रह्म गायत्री ।
मध्य काल जब मनुष्य की प्राण शक्ति और उच्चारण शक्ति कम हुई तो ऋषियों ने विशुद्ध ब्रह्म के भाव को गायत्री मन्त्र ॐ तत् सत् के रूप में दिया ।आज भी बहुत सारे साधक एक दूसरे का अभिवादन और गुरू-शिष्य इसी की दीक्षा देते है –
ॐ तत् सत् इसका भी आध्यात्मिक भावार्थ भी वहीं हैं (साकार ब्रह्म)
ब्रह्म तत्व ही परम सत हैं या
ब्रह्म तत्व की ही सत्ता है
और जब मनुष्य की शक्ति थोड़ी विकसित हुई तब ऋषियों ने पंचाक्षरी गायत्री के रूप में गायत्री को लोगों को दिया ॐ भूर्भुवः स्वः।
चूंकि गायत्री परम् शक्ति हैं अलग- अलग तत्त्वदर्शियों ने गायत्री के
24 बीज मंत्रो को
24 देवता
24 देवी
24 अवतार
24 शक्ति
24 ऋषि
24 गुण
24 अंग
इत्यादि रूप में व्याख्या की है।
आगे जा कर जब गायत्री को तन्त्र से जोड़ा गया तो ऋषियों ने अवतार,ग्रह,नक्षत्र,तत्व,पक्षी , वृक्ष इत्यादि के गुण के आधार पर 24 गायत्री मंत्रो की विवेचना की। ये स्थुल प्रतीक सिर्फ अलंकारिक है।इनका उपयोग उनके सूक्ष्म गुणों का आत्मसात करना होता हैं।
इस प्रकार 24 शक्ति बीजो द्वारा 24 देवताओं से सम्बन्ध स्थापित किया गया ।गायत्री मन्त्र के 24 अक्षरों में से प्रत्येक के देवता क्रमश: (१) गणेश (२) नृसिंह (३) विष्णु (४) शिव (५) कृष्ण (६) राधा (७) लक्ष्मी (८) अग्नि (९) इन्द्र (१०) सरस्वती (११) दुर्गा (१२) हनुमान् (१३) पृथ्वी (१४) सूर्य (१५) राम (१६) सीता (१७) चन्द्रमा (१८) यम (१९) बह्मा (२०) वरुण (२१) नारायण (२२) हयग्रीव (२३) हंस (२४) तुलसी है।
जिन नामों का उल्लेख है उनका प्रयोग तन्त्र विज्ञान में विशुद्ध देव शक्तियों की छाया लेकर मनुष्य,मह,तत्व,पक्षी,वृक्ष आदि जो हुए हैं. वे इन शक्तियों के या तो स्थूल प्रतीक है या आलंकारिक विवेचना हंस – पक्षी, तुलसी -पौधा, सूर्य चन्द्र – ग्रह, अग्नि वरुण आदि – तत्त्व, राम कृष्ण सीता राधा हनुमान् आदि – अवतारी पुरुष उन देव शक्तियों के स्थूल प्रस्फुरण है।
👉इन देव गायत्रियों के साथ व्याहृतियाँ नही लगती है, क्योंकि ये वेदोक्त नहीं तन्त्रोक्त हैं।
ब्रह्म गायत्री तो ॐ भूर्भूवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमही। धियो योनः प्रचोदयात्। ही हैं ।
साधक के साधना का दो उद्देश्य हो सकते हैं :-
1) आत्मिक (आत्म दर्शन , आत्म परिष्कार,आत्मज्ञान ) :- ब्रह्म गायत्री मंत्र
2) भौतिक विशेष :- गुण से सम्बंधित गायत्री (24 तान्त्रिक गायत्री मंत्र) – देव गायत्री मन्त्र।
भौतिक लाभ के लिये गुणवत्ता वाले देव गायत्री की उपासना की जाती लेकिन इनकी कोई स्वतंत्र भाव न होने से गुरुदेव ने इसका लाभ लेने के लिये ब्रह्म गायत्री के साथ दशांश देव गायत्री बताया हैं ।
जैसे कि हमारे अन्दर अगर भगवान राम जैसी मर्यादा की गुणवत्ता चाहिये तो हमे 9 ब्रह्म गायत्री और 1 राम गायत्री के अनुपात में की उपासना करनी होंगी ।
इस तन्त्रोक्त मन्त्र / देव गायत्री की दो शर्ते होती हैं-
इसकी उपासना ब्रह्म गायत्री के दशांश के साथ और समर्थ गुरु के संरक्षण में होती हैं
परमपूज्य गुरुदेव ने हम सब को विशुद्ध गायत्री (ब्रह्म गायत्री) का जप दिया हैं,अपने आत्म उत्कर्ष के लिये हमें उसे ही लेकर आगे बढ़ना चाहिए। नवरात्रि काल में गायत्री महामंत्र जप का विशेष महत्व है।
सब भाव गुरु चरणों में …
तस्मै श्री गुरुवे नमः

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