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नई दिल्ली अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से नए राज्य के दर्जे तक, 75 साल में लालकिले से PM ने कौन सी घोषणाएं कीं..!!

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नई दिल्ली: अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से नए राज्य के दर्जे तक, 75 साल में लालकिले से PM ने कौन सी घोषणाएं कीं..!!

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री सरकार की उपलब्धियों, देश की चुनौतियों के साथ कई घोषणाएं करते रहे हैं. यह काम हर पीएम ने अपने-अपने तरीके से किया. इस बार पीएम मोदी 10वीं बार लाल किले से देश को संबोधित करेंगे. जानना, देखना, सुनना दिलचस्प होगा कि वे इस बार क्या कहने वाले हैं क्योंकि उनके दूसरे कार्यकाल का लाल किले से यह अंतिम सम्बोधन होगा.

पिछले 75 सालों में देश के प्रधानमंत्रियों की ओर से लालकिले की प्राचीर से कई घोषणाएं की गईं. इस मौके पर यह जानना भी जरूरी है कि देश के दो पीएम गुलजारी लाल नंदा और चंद्रशेखर लाल किले की प्राचीर से तिरंगा नहीं लहरा सके. पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी का कार्यकाल देश के विकास, चीन और पाकिस्तान से लड़ने और उससे हुई भरपाई में गुजरा. हालांकि, भारत इस बीच लगातार तरक्की करता रहा.

ये सभी पीएम जब भी लाल किले पर पहुंचे तो गरीबी और भुखमरी मिटाने की चर्चा की:

आजादी के सपूतों को याद किया. शहीदों को याद करना नहीं भूले. घोषणाएं न करने पर सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और भविष्य का खाका खींचा. इसी दौर में पहला पमाणु परीक्षण इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुआ. पंचायती राज का मौजूदा स्वरूप राजीव गांधी की देन है. डिजिटल इंडिया के मौजूदा स्वरूप में भी राजीव गांधी की बड़ी भूमिका है. आजादी की 76वीं वर्षगांठ के मौके पर जानते हैं, पिछले 75 सालों में लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्रियों ने कौन-कौन सी घोषणाएं कीं.

पीएम नरेंद्र मोदी: विरासत से एकता तक, 5प्रण लिए:

पीएम के रूप में मोदी अब तक नौ बार लाल किले पर झंडा फहरा चुके हैं. पहले कार्यकाल में वे अपने पुराने साथियों की तर्ज पर देश को संबोधित करते रहे यानी देश का विकास, उपलब्धियां आदि बताते रहे. लेकिन बाद में वे स्पष्ट घोषणाएं करने लगे. साल 2022 में उनका पांच प्रण चर्चा में रहा, जिसमें उन्होंने विकसित भारत, गुलामी के हर अंश से मुक्ति का प्रण, विरासत पर गर्व, एकता का प्रण और आने वाले 25 साल में कैसा होगा भारत, का जिक्र किया.

मनमोहन सिंह. युवाओं के लिए कौशल मिशन की घोषणा:

आर्थिक उदारीकरण के जनक के रूप में पहचान रखने वाले मनमोहन सिंह के दस वर्ष के कार्यकाल को भले ही लोग मौन पीएम के रूप में मान्यता दें लेकिन उनका पूरा फोकस आम आदमी और देश के आर्थिक विकास पर रहा. लाल किले की प्राचीर से उनके सम्बोधन में हमेशा से यह महसूस किया गया. उनके हर भाषण में आतंकवाद, भ्रष्टाचार मुद्दा रहा. साल 2008 में उन्होंने लाल किले से कौशल विकास मिशन की घोषणा की, जो आज फल-फूल रहा है. युवाओं की मदद में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है. 2012 में उन्होंने कौशल विकास प्राधिकरण की घोषणा की.

अटल बिहारी बाजपेई: अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का वादा और चंद्रयान की घोषणा:

साल 1998 में पोखरण परीक्षण के बाद पीएम के रूप में अटल बिहारी वाजपेई लाल किले से देश को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने स्पष्ट किया कि परमाणु परीक्षण युद्ध के लिए नहीं है. उनका दिल कितना बड़ा था कि परमाणु परीक्षण की नींव रखने का श्रेय उन्होंने इंदिरा गांधी को दिया. अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा का वायदा भी किया. साल 2003 के अपने अंतिम भाषण में चंद्रयान को अंतरिक्ष में भेजने की घोषणा की थी. तीन नए राज्य उत्तराखंड, झारखण्ड और छतीसगढ़ के गठन को भी उन्होंने देश की तरक्की के लिए बेहद जरूरी बताया. अनेक विपरीत हालातों के बावजूद वे कभी भी पाकिस्तान और चीन से बातचीत बंद करने के समर्थक नहीं रहे. भ्रष्टाचार उनके लिए हमेशा से मुद्दा रहा और लालकिले की प्राचीर से भी वे इस पर वार करते रहे.

इन्द्र कुमार गुजराल. भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह का नारा:

साल 1997 में लाल किले से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने की घोषणा की, जो देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई. उन्होंने आर्थिक स्वराज की बात भी की. गुजराल ने राजनीति में महिलाओं के उचित सम्मान न मिलने पर खेद जताना भी खुद में महत्वपूर्ण रहा. उन्होंने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह का नारा दिया.

एचडी देवेगौड़ा. रियायती दरों पर राशन और उत्तराखंड को नए राज्य का दर्जा:

एचडी देवेगौड़ा ने एक ही बार साल 1996 में लाल किले से देश को संबोधित किया. खुद को किसान के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे गरीबों का दर्द समझते हैं. इस मौके पर उन्होंने उत्तराखंड को नए राज्य का दर्जा देने, रियायती दरों पर गेहूं-चावल देने समेत कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा करके सबको चौंका दिया था.

पीवी नरसिंह राव. हर भाषण में पाक को दी चेतावनी:

राव ने पीएम के रूप में पांच बार संबोधित किया. इस दौरान वे आर्थिक सुधारों के सहारे देश को आगे ले जाने की बात करते रहे. यही वह दौर था जब देश ने उदारीकरण स्कीम के तहत दुनिया के लिए अपने दरवाजे खोले थे. उसके बाद से भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पर, राव की महत्वपूर्ण घोषणाओं में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढांचे को मजबूत करना रहा. वे अपने हर भाषण में पाकिस्तान को चेतावनी देने से नहीं चूकते थे.

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