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राष्ट्रीय पर्वों पर सैनिकों, शहीदों के परिवारों का हम सब करें सम्मान: सुनीता सिंगला

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राष्ट्रीय पर्वों पर सैनिकों, शहीदों के परिवारों का हम सब करें सम्मान: सुनीता सिंगला
-शहीद अमर सिंह की 100वीं जयंती पर कार्यक्रम में कही यह बात

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम। शहीद अमर सिंह जी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में शहीद अमर ङ्क्षसह पब्लिक स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान स्कूल के शिक्षक, अतिथि, बच्चों ने मिलकर शहीर अमर ङ्क्षसह को नमन किया। इस अवसर पर विधायक सुधीर सिंगला की धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता सिंगला मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची।
सुनीता सिंगला ने कहा कि गुरुग्राम जिला के गांव बिलासपुर में जन्में वीर शहीद अमर ङ्क्षसह ने आजाद हिंद फौज में वर्षों तक अपने सेवाएं दी। इस दौरान वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भी बहुत करीब रहे। उन्होंने देश सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। ऐसे महान देशभक्तों का हमें सदा सम्मान करना चाहिए। ऐसे महान व्यक्तियों की सात पीढिय़ों तक भी हम कर्ज नहीं उतार सकते। क्योंकि उन्होंने अनेक यातनाएं सहकर हमें आजाद कराने में अपना सब कुछ गंवा दिया। सुनीता सिंगला ने कहा कि क्रांतिकारियों का कोई धर्म-मजहब नहीं होता, वे तो देश के लिए जीते हैं देश के लिए मरते हैं। इसलिए देश की जांबाज जब सेना में आता-जाता है तो उसे हर किसी को सेल्यूट और स्वागत करना चाहिए। क्योंकि वे हमारे कल को सुरक्षित करने के लिए अपना आज दांव पर लगाते हैं। उन्होंने कहा कि देश का हर सैनिक हमारे लिए सम्मान का पात्र है। सीमा पर सैनिक तिरंगे की शान के लिए डटे हैं तो देश के भीतर हम सबका कर्तव्य है कि उन सैनिकों के परिवारों को हम सम्मान दें। सुनीता सिंगला ने कहा कि हर राष्ट्रीय पर्व पर हमें शहीदों, सैनिकों के परिवारों को सम्मानित करना चाहिए। हम सिविलियन का यह कर्तव्य होना चाहिए। सम्मान के रूप में अगर हम सैनिकों के परिवारों को एक फूल भी भेंट करते हैं तो यह उनके लिए बहुत बड़ा सम्मान होगा। किसी घर से पिता सेना में है तो किसी घर से बेटा, किसी घर से पोता तो किसी घर से एक सुहागिन का सुहाग। हम रिश्तों में जरूर बंधे रहते हैं, लेकिन सैनिक के लिए उसका सबसे बड़ा फर्ज भारत माता की रक्षा करना होता है। जब भारत माता सुरक्षित है तो सैनिक भी गौरवान्वित महसूस करता है।

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