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नई तकनीक में सौर ऊर्जा से अपशिष्ट कंक्रीट रीसाइक्लिंग

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नई तकनीक में सौर ऊर्जा से अपशिष्ट कंक्रीट रीसाइक्लिंग

कंक्रीट का उपयोग निर्माण कार्यों में किया जाता है। कंक्रीट की माँग को पूरा करने के लिए व्यापक उत्खनन और खनन करना पड़ता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही साथ प्राथमिक खनिज संसाधनों में भी कमी हो रही है। इसमें प्रयोग में आने वाले रेत खनन से भी नदियों को पारिस्थितिक तंत्र को भी नुकसान पहुँचता है। इसीलिए, वर्तमान समय में निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाली सामग्री का पुनर्चक्रण और इसके लिए प्रभावी विकल्प खोजा जाना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

विशिष्ट संरचनात्मक अनुप्रयोगों में उपयोगी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के शोधकर्ताओं ने निर्माण और तोड़-फोड़ से पैदा होने वाले मलबे को रिसाइकिल करने के लिए सौर तापीय ऊर्जा से उपचार प्रक्रिया विकसित की है, जिसमें सौर विकिरण के उपयोग से शोधकर्ताओं को अपशिष्ट कंक्रीट को गर्म करके पुनर्चक्रित कंक्रीट उत्पाद के रूप में बदलने में सफलता मिली है। प्राप्त पुनर्चक्रित कंक्रीट की गुणवत्ता, यांत्रिक क्रशिंग से प्राप्त सामग्री की तुलना में अधिक है। इस तकनीक से बनाया गया कंक्रीट विशिष्ट संरचनात्मक अनुप्रयोगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।

राजस्थान में किया गया परीक्षण

यह परीक्षण राजस्थान में ब्रह्माकुमारीज संगठन के मुख्यालय के ‘इंडिया वन सोलर थर्मल पावर प्लांट’ में किया गया। उच्च दबाव अथवा हाई प्रेशर पर उत्पन्न भाप का प्रयोग करके बिजली उत्पादन करने हेतु इसमें 770 सौर संकेन्द्रक हैं। यह संयंत्र 2017 से चल रहा है और लगभग 25,000 लोगों के समुदाय को उचित लागत और कम रखरखाव पर बिजली उपलब्ध कराता है। अपशिष्ट कंक्रीट के उपचार के लिए पूर्ण पैमाने पर परीक्षणों में दो संकेन्द्रक का उपयोग किया गया है।

उच्च गुणवत्ता

हीटिंग के लिए संकेंद्रित सौर ऊर्जा का उपयोग होता है, जिसकी मदद से कंक्रीट कचरा रिसाइकिल किया जाता है। इस प्रकार से उच्च गुणवत्ता की पुनर्चक्रित सामग्री प्राप्त होती है, जो कंक्रीट में उपयोग होने वाले पत्थर की गिट्टियों और रेत की जगह ले सकती है। अध्ययन में, तोड़-फोड़ वाले स्थलों से प्राप्त कंक्रीट अपशिष्ट को संकेंद्रित सौर विकिरण का उपयोग करके 550 डिग्री सेल्सियस से अधिक तक गर्म किया गया है। सौर विकिरण को बड़े परावर्तकों और कास्ट आयरन से बने रिसीवर्स के माध्यम से संकेद्रित किया गया है। मोटी और महीन निर्माण सामग्री प्राप्त करने के लिए इसे यांत्रिक रूप से साफ किया जाता है।

सौर ऊर्जा का एक प्रभावी उपयोग

आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता प्रोफेसर रवींद्र गेट्टू के अनुसार “इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह दिखाना था कि सौर विकिरण का उपयोग इस तरह के कार्यों में कैसे किया जा सकता है। यह अध्ययन बड़े पैमाने पर अपशिष्ट कंक्रीट के रीसाइक्लिंग का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यह अपशिष्ट कंक्रीट के रीसाइक्लिंग में संकेंद्रित सौर ऊर्जा के प्रभावी उपयोग को भी दर्शाता है। इससे निर्माण और तोड़-फोड़ से निकले अपशिष्ट के प्रसंस्करण में लगने वाली ऊर्जा की खपत कम करने में भी मदद मिलेगी।”

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