शहीद पुलिस अधिकारी रणबीर सिंह और ओम प्रकाश को दी श्रद्धांजलि
शहीद पुलिस अधिकारी रणबीर सिंह और ओम प्रकाश को दी श्रद्धांजलि
शहीदों की याद में खेल प्रतियोगिता का भी किया आयोजन करवाया गया
एसीपी सुखबीर सिंह ने विजेता टीमों को ईनाम देकर किया सम्मानित
शहीदों की शहादत सदैव दिलों में रहेगी जिंदा, शहीदों को किया जाएगा
फतह सिंह उजाला
पटौदी 22 अक्टूबर । अपनी ड्यूटी व कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए शहीद हुए पुलिसकर्मियों/अधिकारियों के सम्मान में पूरे भारत मे 21 अक्टूबर के दिन को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। पुलिस महानिदेशक हरियाणा के निर्देशानुसार गुरुग्राम पुलिस द्वारस 21 अक्टूबर 2025 (पुलिस स्मृति दिवस) से 31 अक्टूबर 2025 (राष्ट्रीय एकता दिवस) तक शहीदों के सम्मान में उनके जन्म स्थान पर जाकर उनकी प्रतिमाओं पर पुष्प/फूलमाला अर्पित करके उन्हें श्रद्धाजंलि दी जाएगी तथा शहीदों की याद में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें खेल प्रतियोगिताएं, हेल्थ चेकअप कैम्प, पौधरोपण, पुलिस-बैंड-शो, देशप्रेम पर आधारित मूवी शो व वैपन एग्जीबिशन इत्यादि शामिल है। इसी कड़ी में सुखबीर सिंह, सहायक पुलिस आयुक्त पटौदी, निरीक्षक संतोष कुमार, प्रबन्धक फरुखनगर व निरीक्षक ब्रह्मप्रकाश, प्रबन्धक थाना पटौदी द्वारा मूल रूप से गाँव जाटोला (थाना फरुखनगर) के रहने वाले शाहिद उप–निरीक्षक रणबीर सिंह तथा गाँव लोकरी (थाना पटौदी) के रहने वाले शहीद सहायक-उप-निरीक्षक ओम प्रकाश के गाँवो में जाकर उनकी प्रतिमाओं पर फूलमाला चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
इस दौरान शहीदों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया तथा इन श्रद्धाजंलि कार्यक्रमों में उपस्थित आसपास के गांवों के सरपंच, मौजिज व्यक्तियों, लोगों, युवकों व उपस्थित पुलिसकर्मी/अधिकारी उपस्थित को शहीदों के बलिदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई तथा उनकी याद में खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया और इन खेल प्रतियोगिताओं में विजेता खिलाड़ियों/टीमों को उचित ईनाम देकर सम्मानित किया गया। गौरतबल है कि 21 अक्तूबर 1959 को भारत-तिब्बत सीमा पर लद्दाख के क्षेत्र में केन्द्रीय रिर्जव पुलिस बल के दस जवान सीमा पर गश्त करते समय चीनी सैनिकों द्वारा घात लगा कर किए गए हमले का शिकार हुए थे। तभी से 21 अक्तूबर को पुलिस शहीदी दिवस के रूप में मनाने की परम्परा आरम्भ हुई थी। तब से आज तक देश में 33241 पुलिसकर्मियों ने कर्त्तव्य की वेदी पर सर्वोच्च बलिदान दिया है। इन वीर सपूतों की कर्मभूमि कश्मीर की पहाड़ियों से लेकर नागालैंड और मणिपुर के घने जंगलों तक व चम्बल के बीहड़ों से लेकर कच्छ के रण तक रही है। इन्होंने हर समय आतंकवादियों, उग्रवादियों, अपराधियों व असमाजिक तत्वों से निपटते हुए भारत के जनमानस और भारत माता की सेवा की है। इनमें केन्द्र पुलिस संगठन के तहत कार्यरत बल जैसे भारत तिब्बत सीमा बल, सी.आर.पी.एफ., सी.आई.एस.एफ. तथा बी.एस.एफ. के जवान भी शामिल हैं।
