जयपुर: अच्छी सड़कों पर टोल के नाम पर हो रही लागत से ज्यादा उगाही, परिवहन मंत्री ने उजागर किया टोल वसूली का सच
जयपुर: देश में अच्छी सड़कों पर टोल के नाम पर लागत से ज्यादा कितनी उगाही कर रही है। इसकी बानगी केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में दिए लिखित उत्तर में खुद स्वीकार की। गडकरी ने बताया कि जयपुर-दिल्ली नेशनल हाइवे (पुराना एनएच-8) पर पिछले 16 साल में सड़क परिवहन मंत्रालय ने 8919 करोड़ रुपए हाइवे पर खर्च किए हैं। जबकि टोल वसूली इससे कहीं ज्यादा 11945 करोड़ रुपए की हो चुकी है।
गडकरी ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। बेनीवाल ने निर्माण लागत वसूलने के बावजूद टोल वसूली जारी रखने के साथ खस्ताहाल सडक़ों पर टोल वसूली के औचित्य के बारे में सवाल पूछा था। लिखित जवाब में बताया गया कि नेशनल हाइवे पर टोल वसूली नियमों के तहत होती है। जो थोक मूल्य सूचकांक से अनुक्रमित नेशनल हाइवे की प्रति किलोमीटर आधार दर पर तय होती है।
जयपुर से दिल्ली हाइवे के दो खंड है:
गुडग़ांव-कोटपुतली-जयपुर खंड पर ज्यादा वसूली हुई है। जबकि इसके मुकाबले गुडग़ांव-दिल्ली पर टोली वसूली कम है।टोल शुल्क में छूट नहीं दी जाती है, जिसकी वजह से इसकी निर्माण लागत से तुलना नहीं की जा सकती है। देश में भले ही हाइवे का जाल तेजी से फैल रहा हो, लेकिन टोल वसूली का मुद्दा भी बना हुआ है। हाइवे निर्माण की लागत निकलने के बाद भी टोल वसूली जारी रहने पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं।
टोल वसूली और खर्च का हिसाब:
गुडग़ांव-कोटपुतली-जयपुर: टोल वसूली की लागत 9218.30 करोड़ और रखरखाव का खर्च 6430 करोड़ रुपए
दिल्ली-गुडग़ांव: टोल वसूली की लागत 2727.50 करोड़ और रखरखाव का खर्च 2489.45 करोड़ रुपए
सबसे ज्यादा टोल वाला प्रदेश है राजसथान:
देश के नेशनल हाइवों पर 1063 टोल नाके हैं, जिनमें से अकेले राजस्थान में 163 टोल नाके हैं। यह किसी भी राज्य में सर्वाधिक है। इसके अलावा जयपुर-दिल्ली हाइवे पर स्थित शाहजहांपुर टोल नाका देश के सर्वाधिक टोल वसूली वाले नाकों में शुमार है।