आज का हिन्दू -पंचांग
आज का हिन्दू -पंचांग ~ 🌞
⛅ दिनांक – 05 मार्च 2022
⛅ दिन – शनिवार
⛅ विक्रम संवत – 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन – उत्तरायण
⛅ ऋतु – वसंत ऋतु
⛅ मास – फाल्गुन
⛅ पक्ष – कृष्ण
⛅ तिथि – तृतीया रात्रि 08:35 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ नक्षत्र – रेवती 06 मार्च रात्रि 02:29 तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅ योग – शुक्ल रात्रि 12:36 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल – सुबह 09:53 से सुबह 11:22 तक
⛅ सूर्योदय – 06:57
⛅ सूर्यास्त – 18:43
⛅ दिशाशूल – पूर्व दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण –
💥 विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌞 ~ हिन्दू पंचांग ~ 🌞
🌷 विघ्न- बाधाओं से मुक्ति हेतु 🌷
🙏🏻 ‘श्री’ माने सौंदर्य, ‘श्री’ माने लक्ष्मी, ‘श्री’ माने ऐश्वर्य, ‘श्री’ माने सफलता | ईश्वर के रास्ते चलने पर किसीके जीवन में विघ्न-बाधाएँ हों तो ‘श्री ॐ स्वाहा |’ इस मंत्र की एक माला रोज करने से विघ्न-बाधाएँ नष्ट होती हैं |
🙏🏻 ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१९ से
🌞 ~ हिन्दू पंचांग ~ 🌞
🌷 किसी की मृत्यु के वक्त 🌷
🙏🏻 कहीं भी मृत्यु हो गई तो उसका तुम भला करना | तुलसी की सूखी लकड़ियां अपने घर में रख लो | कही भी अपने अड़ोस- पड़ोस में किसी की मृत्यु हुई तो उसके होठों पर, आँखों पर, शरीर पर, छाती पर तुलसी की सूखी लकड़ियां थोड़ी रख लो और तुलसी की लकड़ी से उसका अग्निदान शुरू करो |
🙏🏻 उसका कितना भी पाप होगा, दुर्गति से रक्षा होगी, नरकों से रक्षा होगी अथवा तुलसी की लकड़ियां न हो तो तुलसी की माला उसके गले में डाल दो, शव के.. मुर्दे के.. तो भी उसको राहत मिलेगी कर्मबंधन से |
🙏🏻 तुलसी के पत्ते उसके मुहँ में डाल
दो | तुलसी का पानी जरा छिटक दो | हरी ॐ ॐ ॐ.. का कीर्तन कराओ | फिर हास्य न कराओ | हरी ॐ ॐ.. शांति ॐ.. तुम आत्मा हो | तुम चैतन्य हो | तुम शरीर नहीं हो | शरीर बदलता है | आत्मा ज्यों का त्यों | ॐ ॐ.. कुटुम्बियों को मंगलमय जीवन मृत्यु पुस्तक पढावो और कुटुंबी उसके लिए बोले क्योंकि मृतक व्यक्ति सवा दो घंटे के बाद मूर्छा से जगता है, जैसे आप मुर्दे को देखते हो, ऐसे ही वो अपने मुर्दे शरीर को देखता है | तो सूचना दो | तुम शरीर नहीं हो…. तुम अमर आत्मा हो | मरनेवाले तुम नही हो|
🙏🏻 पिताजी,भाई,पड़ोसी जो भी हो मृत व्यक्ति का नाम ले के ये तो शरीर का नाम है आप अनाम है | शरीर साकार है, आप निराकार है | शरीर जड़ था तुम्हारे बिना भगू भाई ! मानो भगू भाई मर गए | ॐ ॐ.. आपने मृतक व्यक्ति की बड़ी भारी सेवा कर दी | उसके विचारों में आत्मज्ञान भरने का महापुण्य किया है |जो आत्मज्ञान देता है, वो तो ईश्वर रूप हो जाता है | आपका आत्मा तो ईश्वर रूप है ही है | कोई भी मर जाए, चाहे दुश्मन मर जाए, वैर मत रखो | उसकी सदगति हो, उसका भला हो |
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