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Rajni

आज का हिन्दू पंचांग

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🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~ 🌞
⛅ दिनांक 13 मार्च 2022
⛅ दिन – रविवार
⛅ विक्रम संवत – 2078
⛅ शक संवत – 1943
⛅ अयन – उत्तरायण
⛅ ऋतु – वसंत
⛅ मास – फाल्गुन
⛅ पक्ष – शुक्ल
⛅ तिथि – दशमी सुबह 10:21 तक ततपश्चात एकादशी
⛅ नक्षत्र – पुर्नवसु रात 8:06 तक तपश्चात पुष्य
⛅ योग – शोभन 14 मार्च सुबह 4:18 तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅ रविपुष्यामृतयोग 13 मार्च रात्रि 8:06 से 14 मार्च सूर्योदय 6:50 तक
⛅सर्वार्थसिद्धि योग – 13 मार्च रात्रि 8:06 से 14 मार्च सूर्योदय 6:50 तक
⛅ राहुकाल -9:51 से 11:20 तक
⛅ सूर्योदय – 06:51
⛅ सूर्यास्त – 18:48
⛅ चन्द्रोदय – 02:18 PM.
⛅ चन्द्रोस्त – 4:18 AM
⛅ दिशाशूल – पश्चिम
⛅ विजय मुहूर्त – 2:49 PM से 3:37 PM
⛅ गोधूलि मुहूर्त – 6:36 PM से 7:00 PM
⛅ सायह्न सन्ध्या – 6:48 से 8:00 तक
🔹दिन के चौघड़िया🔹
6:51 से 8:20 उद्वेग-अशुभ
8:20 से 9:50 चर – सामान्य
9:50 से 11:20 लाभ – उन्नति
11:20 से 12:49 अमृत- सर्वोत्तम
12:49 से 2:19 काल – हानि
2:19 से 3:49 शुभ – उत्तम
3:49 से 5:18 रोग- अमंगल
5:18 से 6:48 उद्वेग-अशुभ

🔹रात के चौघड़िया🔹

6:48 से 8:18 शुभ – उत्तम
8:18 से 9:48 अमृत- सर्वोत्तम
9:48 से 11:19 चर – सामान्य
11:19 से 12:49 रोग- अमंगल
12:49 से 2:19 काल – हानि
2:18 से 3:49 लाभ – उन्नति
3:349 से 5:19 उद्वेग-अशुभ
5:19 से 6:50 शुभ – उत्तम

⛅ व्रत पर्व विवरण- रविपुष्यामृत योग

🌹रविपुष्यामृत योग : 13 मार्च रात्रि 8:06 से 14 मार्च सूर्योदय तक रविपुष्यमृत योग है ।

🌹रविवार के साथ पुष्य नक्षत्र का संयोग ” रविपुष्यामृत योग ” कहलाता है । यह योग मंत्रसिद्धि और औषधि – प्रयोग के लिए विशेष फलदायी है ।

🌹कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में 🌹
🌳 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |
*🙏🏻
🌞 ~ हिन्दू पंचांग ~ 🌞

🌷 रविपुष्यामृत योग 🌷
🙏🏻 ‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं |

‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
🙏🏻 इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)

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