आज की सबसे बड़ी बुद्धिमत्ता और लोकसेवा
आज की सबसे बड़ी बुद्धिमत्ता और लोकसेवा
नवयुग के आगमन की संभावना स्पष्ट है। आगामी विश्वव्यापी उथल-पुथल, समग्रक्रांति की पूर्व सूचना है। अच्छा हो ईश्वर की इच्छा में अपनी इच्छा मिलाकर हम चलें। आंधी-तूफान से टकराने की अपेक्षा समय रहते अपने को झुका लें। जो अवश्यंभावी है, जो उचित है, उसके अनुकूल चलना ही ठीक है।
स्वयं तो हम बदलें ही, दूसरे उन सबको भी बदलने की प्रेरणा दें, जिनको वस्तुतः प्यार करते हैं और हित चाहते हैं। स्त्री, पुत्र, भाई, भतीजे, कुटुंबी, संबंधी, मित्र, परिजन सभी को इस प्रकार की प्रेरणा करें कि सभी अपनी रीति-नीति बदलें, सुधारें। यह कर्त्तव्य हमें इन दिनों अधिक तत्परतापूर्वक पालन करना चाहिए, क्योंकि ईश्वर की भावी दंड व्यवस्था अंधाधुंध नहीं सप्रयोजन है। यदि लोग बदल जाते हैं, सुधर जाते हैं तो उस क्रूर कर्म की विशेष आवश्यकता न रह जाएगी। हमारा परिवर्तन भावी आपत्तियों को टाल सकने या घटा सकने में समर्थ हो सकता है। विश्वमानव की आज सबसे बड़ी सेवा यही हो सकती कि हम जनसाधारण को दुर्बुद्धि त्यागने और सन्मार्ग पर चलने के लिए रजामंद करने का प्रयत्न करें।
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