आज का गीता उपदेश
आज का गीता उपदेश
2) मृत्यु से भय व्यर्थ है
हर व्यक्ति के मन में मृत्यु का भय होता है। इस संसार का जब से निर्माण हुआ है, तब से जन्म-मृत्यु का चक्र चलता आ रहा है। यह प्रकृति का नियम है। इस सत्य को स्वीकार करके भयमुक्त होकर आज में जीना चाहिए। किसी को भी आने वाले पल के बारे में कुछ नहीं पता होता लेकिन इस संशय में भयभीत रहने से जीवन नहीं जिया जा सकता।
3) कर्म सबसे ऊपर आता है
श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि व्यक्ति कर्म करने के लिए ही पैदा हुआ है और बिना कर्म किये कोई नहीं रह सकता। फल की चिंता करना व्यर्थ है क्योंकि इससे मनुष्य का मन काम से भटकने लगता है। किसी कर्म से सफलता नहीं मिलती तो क्या हुआ, असफलता भी ज्ञान के द्वार खोलती है। अगर बिना फल की चिंता किये कर्म करते रहोगे तो सफलता और मन की शांति जीवन भर तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेगी। जो कर्मफल से विरक्त होकर कर्म करता जाता है, उसका आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता जाता है।
क्रमश:
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