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मानव जीवन का सार समझने के लिए गुरु का होना अत्यंत आवश्यक: राज्यपाल     

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मानव जीवन का सार समझने के लिए गुरु का होना अत्यंत आवश्यक: राज्यपाल                                                                                                राज्यपाल  बंडारू दत्तात्रेय का शुक्रवार को गुरुग्राम का दौरा                                                                                                                          राज्यपाल दत्तात्रेय ने साईं का आंगन में धार्मिक कार्यक्रम में की शिरकत

राज्यपाल ने कहा,  सच्ची आस्था और भक्ति भक्त को भगवान से जोड़ती 

फतह सिंह उजाला                                      गुरुग्राम, 25 अगस्त। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि हमारी सभ्यता व संस्कृति हमें सिखाती है कि सच्ची आस्था और भक्ति भक्त को भगवान से जोड़ती है। हमारे धार्मिक रीति-रिवाज, संस्कार हमें न केवल आत्मिक एवं मानसिक संतुष्टि प्रदान करते हैं बल्कि हमें मानवता की राह भी दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में गुरु को ईश्वर का दर्जा दिया गया है। यही हमारे देश की संस्कृति की अनूठी पहचान है। राज्यपाल वीरवार की शाम सुशांत लोक स्थित साईं का आंगन मंदिर में एक धार्मिक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने दीप प्रज्वलित करने उपरांत अपने संबोधन में गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि मानव जीवन का सार समझने के लिए गुरु का होना अत्यंत आवश्यक है। गुरु की वाणी का अधिक से अधिक श्रवण कर उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि गुरु के चरणों की सेवा करने का अवसर प्राप्त होना परम सौभाग्य की बात है । इसलिए मनुष्य को समर्पित एवं तन्मय होकर गुरु की सेवा करना चाहिए। जीवन में अगर कुछ पाना है तो पहले संत और गुरुजनों के सत्संग से अपने आप को जोड़ना होगा। इसके बाद समर्पित भाव से धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।                      

राज्यपाल ने श्री शिरडी साईं बाबा के जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी के प्रति करुणा और दयाभाव रखना उनके जीवन और शिक्षाओं का सार है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही मंदिर एवं सभी धार्मिक स्थल हमारे आस्था के पावन पवित्र स्थल रहे हैं तथा यह हमें समग्र रूप से प्रेरणा देते रहे हैं। उन्हीं पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए साईं का आंगन केंद्र ने भी आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों के अलावा परोपकारी और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी समग्र रूप से शुरू किया है। राज्यपाल ने कहा कि गुरु डॉ. सत्पथी ने गुरु तत्व के सभी आयामों को समाहित करते हुए गुरु-शिष्य परंपरा पर लगभग अड़तीस हजार पंक्तियाँ लिखी हैं, जोकि हम सबके लिए अनुकरणीय है। 

राज्यपाल ने इस दौरान मंदिर परिसर में स्थित बाबाजी की चावड़ी व  दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर की प्रतिकृति के दर्शन कर पूजा अर्चना भी की। कार्यक्रम में गुरु डॉ. चंद्रभानु सत्पथी, मंदिर के ट्रस्टी डॉ जी. सत्पथी रेड्डी, राजीव चंद्रा जोशी, अरूण कुमार, संजय चन्द्र सहित अन्य गणमान्य व भक्तजन उपस्थित रहे।

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