भूपेंद्र चौधरी को जानने के लिए भूपेंद्र तो बनना ही होगा पटौदी के पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी ने अपने अंदाज में की राजनीति राव इंद्रजीत के कथित विरोध के बावजूद पटौदी से बने भूपेंद्र एमएलए भूपेंद्र का 5 साल का कार्यकाल पूरी तरह से बेदाग रहा ढाणी चांदनगर फरुखनगर के लोगों को दिलाया मतदान का अधिकार अध्यात्मिक राजनेता भूपेंद्र चौधरी को उनके चाहने वालों ने किया याद फतह सिंह उजाला
पटौदी । राजनीति और अध्यात्म इनका आपस में कोई मेल नहीं है । जहां बात राजनीति की आ जाती है , वहां पर कथित रूप से अहंकार भी अवश्य जन्म ले लेता है। एक अहंकार होता है , एक अति आत्मविश्वास होता है । इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर कहा जा सकता है । कांग्रेस नेता एवं पटौदी के पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी कोई यदि सही मायने में जानना है , तो इस बात में कोई शक नहीं है की सामने वाले को भूपेंद्र चौधरी बनना ही होगा। इसके बिना भूपेंद्र चौधरी की विचारधारा उनकी कार्यप्रणाली उनकी सोच तक पहुंच पाना राजनीतिक लोगों के लिए कोई हंसी खेल नहीं हो सकता । पटौदी विधानसभा क्षेत्र ही नहीं हरियाणा के इतिहास में हरियाणा बनने के बाद भूपेंद्र चौधरी के द्वारा पटौदी विधानसभा क्षेत्र के ही ढाणी चांदनगर फरुखनगर के ग्रामीणों को उनके भारतीय होने सहित मतदान करने का अधिकार कांग्रेस के पूर्व सीएम भूपेंद्र चौधरी के कार्यकाल में दिलाया गया। भूपेंद्र चौधरी का 5 वर्ष का कार्यकाल क्षेत्र और स्थानीय लोगों के लिए मोदी की राजनीति के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इतने ठोस विकास कार्य भूपेंद्र चौधरी के द्वारा करवाए गए जोकि भविष्य में किसी भी राजनेता के लिए संभव नहीं है । गौरतलब है कि पटौदी हल्का केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह का मजबूत राजनीतिक गढ़ रहा है। अपवाद स्वरूप उनकी मर्जी के बिना यहां से किसी के लिए भी एमएलए बनना आसान काम नहीं रहा। ऐसे में जनवरी 2005 में रामपुरा और अहिरवाल की राजनीतिक चुनौती को अपने ही अंदाज में राजनीति करने वाले चौधरी भूपेंद्र ने सहज स्वीकार किया और पूर्व सीएम चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में पटौदी से कांग्रेस के एमएलए बनकर पटौदी क्षेत्र की जनता के लिए कि नहीं गुरुग्राम और पूरे हरियाणा के हित को ध्यान में रखते हुए अनेक विकास योजनाएं बनाने और लागू करने में अपनी दूरगामी राजनीतिक सोच का परिचय दिया। अपने अंतिम समय में चौधरी भूपेंद्र सिंह का राजनीति के साथ-साथ अध्यात्म में गहरा लगाव होता चला गया । भूपेंद्र चौधरी के लिखी गई पुस्तक राजनेताओं और चिकित्सकों को आत्मचिंतन और आत्ममंथन करने के लिए भी निश्चित हो विवश कर सकती है । इस पुस्तक का टाइटल जन्म लेने के बाद केवल इंसान का बच्चा ही क्यों रोता है ? चौधरी भूपेंद्र के द्वारा रखा गया है । बेहद संक्षिप्त शब्दों में चौधरी भूपेंद्र नहीं यह बताने और संदेश देने का प्रयास किया है कि राजनीति और अध्यात्म एक दूसरे के पूरक है। अपने अंतिम समय में राजनीति से अधिक आध्यात्मिक चिंतन और मंथन करने वाले भूपेंद्र चौधरी को अंतिम विदाई देने वालों में प्रमुख रूप से असम के पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार , आईएएस रेणु फुलिया , आईएएस पंकज , पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा , प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान , अशोक तवर पूर्व सांसद, एमएलए चिरंजीलाल , पूर्व मंत्री राव दान सिंह , पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया , पूर्व मंत्री कप्तान अजय यादव , गुरुग्राम की निवर्तमान मेयर मधु आजाद , डॉ हरिओम अग्रवाल , भूपेंद्र चौधरी के पुत्र यश चौधरी, परमेश रंजन , सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट परल चौधरी , पारीका चौधरी, टिंपल चौधरी , नीलम चौधरी , गुलशन शर्मा , पूर्व पार्षद प्रवीण , किसान नेता राव मानसिंह , एडवोकेट प्रदीप सहित अन्य लोगों ने भूपेंद्र चौधरी को मौजूदा समय में राजनीति का एक आइकॉन बताते हुए उनके द्वारा किए गए कार्यों और निस्वार्थ समर्पण से प्रेरणा लेने का आह्वान किया है।
Comments are closed.