स्ट्रोक का समय पर ट्रीटमेंट से दिव्यांगता और मौत से बचाव किया जाना संभव
स्ट्रोक का समय पर ट्रीटमेंट से दिव्यांगता और मौत से बचाव किया जाना संभव दिमाग से जुड़ी परेशानियों के लक्षणों को नही करें नजरअंदाज वर्ल्ड ब्रेन डे पर आर्टेमिस हॉस्पिटल ने लोगों को किया जागरूक
शनिवार 22 जुलाई 2023 को मनाया जा रहा है वर्ल्ड ब्रेन डे
इस बार की थीम ‘ब्रेन हेल्थ एंड डिसेबिलिटी: लीव नो वन बिहाइंड’
फतेह सिंह उजाला गुरुग्राम, 21 जुलाई । दिमाग से जुड़ी बीमारियों जैसे स्ट्रोक, एन्यूरिज्म या आर्टरीवीनस मालफॉर्मेशन एवीएमएस को लेकर जागरूक करने के मकसद से आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम के डॉक्टरों ने आज वर्ल्ड ब्रेन डे के मौके पर एक अवेयरनेस सेशन आयोजित किया।
इस मौके पर आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में स्ट्रोक यूनिट के डायरेक्टर डॉक्टर विपुल गुप्ता अपनी टीम के साथ मौजूद रहे। उन्होंने रोग के समय पर पता चलने और उसके बाद इलाज के फायदों के बारे में बताया, साथ ही बताया कि कैसे समय पर ट्रीटमेंट से दिव्यांगता और मौत से बचाव किया जा सकता है।
दिमाग से जुड़ी समस्याएं जैसे स्ट्रोक, एन्यूरिज्म और एवीएम किसी भी व्यक्ति या परिवार की जिंदगी खराब कर सकती हैं। इस तरह की परेशानियों में तुरंत मेडिकल हेल्प और स्पेशलाइज्ड केयर की जरूरत पड़ती है। डॉक्टर विपुल गुप्ता के नेतृत्व में टीम ने लोगों को समझाया कि शुरुआती लक्षणों और संकेतों को अनदेखा न करें।
इस मौके पर डॉक्टर गुप्ता ने कहा, ”चेतावनी के संकेतों को पहचानना और समय पर इलाज कराना लाइफ सेविंग साबित होता है। स्ट्रोक के सामान्य संकेतों में एफएएसटी फास्ट समेत चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नता आ जाना, बोलने या बातचीत को समझने में कठिनाई, गंभीर सिरदर्द, दृष्टि की समस्याएं, चक्कर आना या बैलेंस बिगड़ना और भ्रम या अचानक व्यवहार में बदलाव आना शामिल है । रोग की शुरुआती पहचान और फिर तुरंत इलाज की मदद से रिकवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं, यहां तक कि 70 प्रतिशत स्ट्रोक को रोका जा सकता है.”। पिछले कुछ सालों में तकनीक काफी एडवांस हुई है जिसके चलते दिमाग की बीमारियों के इलाज में क्रांति आ गई है । डॉ. गुप्ता ने मिनिमली इनवेसिव एंडोवैस्कुलर प्रक्रियाओं, कॉइलिंग, मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी, न्यूरोइमेजिंग एडवांसमेंट और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों की उपलब्धता पर भी बात रखी । इन एडवांस तकनीक की मदद से इलाज बहुत ही सटीक और सुरक्षित हो गया है, डॉक्टरों को बिल्कुल टारगेट पर ट्रीटमेंट करने में मदद मिलती है । जिससे रिस्क कम रहता है और मरीज की रिकवरी जल्दी होती है। अगर मरीज समय पर इलाज के लिए पहुंच जाए तो 80 फीसदी से ज्यादा लोग ठीक हो सकते हैं। डॉक्टर विपुल गुप्ता ने आगे बताया, ”वर्ल्ड ब्रेन डे का मौका हमें दिमाग की बीमारियों के संकेतों को पहचानने और तुरंत मेडिकल हेल्प लेने के बारे में जानकारी साझा करने और लोगों को अवेयर करने का एक बेहतर मौका देता है । रोग के समय पर पता चलने की तकनीक में हुई तरक्की की इंपोर्टेंस लोगों को समझाकर ब्रेन की हेल्थ को सुधारा जा सकता है और मरीजों को समय पर ठीक किया जा सकता है ।
आर्टेमिस अस्पताल में डेडिकेटेड स्ट्रोक यूनिट है, जिसकी प्रतिबद्धता मरीजों की केयर और रिसर्च है। जिसके बलबूते अस्पताल को मेडिकल फील्ड में काफी प्रशंसा मिली है। टीम के अथक प्रयासों के माध्यम से, स्ट्रोक यूनिट मेडिकल एडवांसमेंट का दायरा बढ़ाती रहती है और यह सुनिश्चित करती है कि मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज मुहैया हो। हाल ही में आर्टेमिस अस्पताल में स्ट्रोक यूनिट को विश्व स्ट्रोक संगठन द्वारा दुनिया में सर्वश्रेष्ठ डेडिकेटेड स्ट्रोक यूनिट के लिए डायमंड कैटेगरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया । वर्ल्ड ब्रेन डे के मौके पर डॉक्टर विपुल गुप्ता ने लोगों से सेहत के प्रति सतर्क और सावधान रहने के साथ एजुकेट होने की अपील की । ताकि वो लोग दिमाग से जुड़ी बीमारियों के लक्षण समझ सकें और उसी हिसाब से डॉक्टर को दिखा सकें और एडवांस तकनीक की मदद से डॉक्टर मरीजों का जीवन आसान कर सकें।
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