Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

राजस्थान का ये नागौर जिला बना नशीले पदार्थों का गढ़, हफ्तेभर में चार करोड़ का नशा बरामद

15

जयपुर: राजस्थान का ये नागौर जिला बना नशीले पदार्थों का गढ़, हफ्तेभर में चार करोड़ का नशा बरामद

जयपुर: नशीले पदार्थ तस्करों के लिए नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिला कमाई का गढ़ बन गया है। हफ्तेभर में चार करोड़ से अधिक का मादक पदार्थ बरामद कर पुलिस ने करीब एक दर्जन सप्लायर/तस्कर गिरफ्तार किए हैं। इससे साफ है कि नागौर में नशा करने वालों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। इस नए साल के ढाई महीने भी नहीं बीते कि एनडीपीएस एक्ट के तहत तीन दर्जन मामले दर्ज कर भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद किए गए हैं। यही नहीं करीब पचास सप्लायर/तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़े हैं।

सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव आने को है। पुलिस की ओर से मादक पदार्थ के विरोध में सख्त अभियान चलाया जा रहा है। आए दिन तस्कर पकड़े जा रहे हैं। इन दिनों स्मैक के साथ एमडीएमए की तस्करी भी बड़े पैमाने पर हो रही है। माना जा रहा है कि इसी साल में हुई कार्रवाई में करीब सात-आठ करोड़ के मादक पदार्थ बरामद किए जा चुके हैं। स्मैक/एमडी बाहर से नागौर आ रही है। एक अनुमान के मुताबिक हर चौथा युवक नशीले पदार्थ की गिरफ्त में है। अफीम के साथ डोडा-पोस्त और एमडी की मांग व सप्लाई सर्वाधिक है। शीशियों में बंद नशीले पदार्थ की तस्करी कम हुई है।

इस साल भी नशे के खिलाफ पुलिस का अभियान जारी रहा। बावजूद इसके ना मादक पदार्थ की तस्करी पर लगाम लगी ना ही नशेडिय़ों की संख्या कम हो पाई है। पुलिस के कागजों में एनडीपीएस मामलों की संख्या बढ़ती गई। यहां तक कि नागौर जेल में करीब पचास फीसदी बंदी मादक पदार्थ की तस्करी के आरोप में परेशानी झेल रहे हैं। यहीं नहीं डीडवाना के अलावा परबतसर-मेड़ता जेल में भी इनकी संख्या अच्छी खासी है। खास बात यह है कि तस्करी के आरोप में पकड़े जाने वाले साठ फीसदी से अधिक तस्करों की उम्र महज बीस-बाइस साल है।

नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं युवा:
पुलिस अफसरों का कहना है कि पिछले चार-पांच साल में मादक पदार्थ के तस्करों के लिए नागौर ऐशगाह बन चुका है। प्वॉइंट दर प्वॉइंट पर खड़े नशे के तस्कर ही नहीं रोजाना डोज लेने वालों को भी मादक पदार्थ मुहैया कराया जा रहा है। स्मैक/एमडी ही नहीं अफीम, डोडा-पोस्त, गांजा के अलावा अन्य मादक पदार्थ भी खूब पकड़ में आ रहे हैं। रोजाना पुलिस की कार्रवाई भी तस्करी पर पूरी तरह लगाम नहीं लगा पा रही है। आलम यह है कि नशा करने वालों को ही कुरियर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। शराब तस्करी को अब बहुत मामूली माना जाने लगा है। इसलिए भी मादक पदार्थ के तस्कर भी बढ़े और इनके शौकीन भी। छोटी-छोटी पुडिय़ा में कमाई भी चौगुनी तो नशा भी ज्यादा, ऐसे में युवाओं की तादात इधर ज्यादा बढ़ी। इसकी मुख्य वजह यह भी रही कि इसकी खपत जिले में ही इतनी बढ़ गई कि बाहर जाने की जरुरत तक खत्म हो गई।

नशे की लत ने बनाया कुरियर:

अफीम से लेकर एमडी ही नहीं चरस-गांजा, स्मैक, ब्राउन शुगर, हेरोईन, कोकीन तक बरामद हुई। पकड़े गए कई तस्करों ने नशे के लालच में खुद के कुरियर बनने की बात तक कबूली। गली-गली तक नशा बिक रहा है, कभी माल नशेड़ी को खुद लेने जाना पड़ता है तो कभी उस तक खेप पहुंचाई जा रही है। असल में नशा करने वाले कई युवा भी मादक-पदार्थ की खरीद-फरोख्त में लग गए हैं।
केस-1:

11 मार्च को मूण्डवा के ईनाणा में दबिश देकर डीएसटी व पुलिस टीम ने करीब डेढ़ करोड़ का मादक पदार्थ बरामद कर एक जने को गिरफ्तार किया।
केस-2:

11 मार्च को ही थांवला थाना इलाके में डीएसटी मेड़ता के सहयोग से दबिश देकर दो जनों को गिरफ्तार किया, इनके कब्जे से 57 लाख रुपए का स्मैक पाउडर बरामद किया गया।
केस-3:

12 मार्च को डीएसटी एवं रोल थाना पुलिस ने जायल क्षेत्र के छावटा खुर्द गांव की सरहद में कार्रवाई करते हुए करीब 60 लाख की कीमत के मादक पदार्थ बरामद कर दो जनों को गिरफ्तार किया।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading